पैड गर्ल के घर आधी रात को कौन घुसा? कपड़े फाड़े, मारा-पीटा… वजह जानकर आप भी दहल उठेंगे

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हाइलाइट्स

  • पैड गर्ल रिया पासवान ने पटना पुलिस पर जबरन घर में घुसकर मारपीट करने का लगाया गंभीर आरोप
  • घटना के समय रिया के घर में मौजूद थी गर्भवती महिला और बहन, दोनों को भी बताया पीड़ित
  • रिया का दावा: एकमात्र महिला पुलिसकर्मी के अलावा सभी पुलिसकर्मी पुरुष, की गाली-गलौज
  • दलित वर्ग की होने और सामाजिक न्याय की मांग करने को बताया पुलिस की नाराज़गी का कारण
  • CCTV लगाने की मांग के बाद से रिया बनी थी टारगेट, कहा—“मैं डरने वाली नहीं, इंसाफ की लड़ाई लड़ूंगी”

पटना: ‘पैड गर्ल’ के नाम से प्रसिद्ध और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बना चुकीं रिया पासवान ने पटना पुलिस मारपीट को लेकर चौंकाने वाला आरोप लगाया है। रिया का कहना है कि 31 जुलाई की रात करीब 9 बजे पटना पुलिस के करीब 8 पुलिसकर्मी उनके घर में बिना वॉरंट के घुस आए और उनके साथ, उनकी बहन और एक गर्भवती महिला के साथ मारपीट की। इस दौरान रिया के कपड़े तक फाड़ दिए गए और उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं।

रिया पासवान कौन हैं?

रिया पासवान बिहार की राजधानी पटना के एक सामाजिक संगठन से जुड़ी हैं और महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए ‘पैड गर्ल’ के नाम से जानी जाती हैं। वह दलित समुदाय से आती हैं और युवतियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए वर्षों से संघर्ष करती रही हैं। कुछ समय पहले उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी और अपने अभियानों के बारे में चर्चा की थी।

सीसीटीवी कैमरा लगाने की मांग बनी मुसीबत?

सामाजिक कार्य ने उभारा पुलिस का गुस्सा?

रिया पासवान के मुताबिक, उन्होंने हाल ही में अपने इलाके में सुरक्षा के मद्देनज़र सीसीटीवी कैमरे लगाने की मांग एसडीएम कार्यालय से की थी। रिया का कहना है कि इस मांग के बाद से पुलिस उन्हें लगातार टारगेट कर रही थी और उसी का नतीजा 31 जुलाई की रात को देखने को मिला।

उन्होंने कहा, “मैंने इलाके में कई बार छेड़छाड़ और चोरी की घटनाओं को लेकर पुलिस से कार्रवाई की मांग की, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। जब मैंने खुद कैमरा लगाने की बात की तो पुलिस मुझे चुप कराने लगी।”

क्या कहती हैं रिया पासवान?

“एक महिला पुलिसकर्मी थी, बाकी सभी पुरुष थे”

रिया का बयान साफ तौर पर एक संवेदनशील और शर्मनाक स्थिति को दर्शाता है। उन्होंने बताया:

“रात करीब 9 बजे आठ पुलिसकर्मी मेरे घर में घुसे। एक महिला पुलिसकर्मी थी, बाकी सभी पुरुष थे। मेरी गर्भवती दोस्त को मारा गया, बहन को घसीटा गया और मेरे कपड़े फाड़ दिए। मुझे जातिसूचक शब्द कहे गए। वजह सिर्फ इतनी कि मैं दलित वर्ग की लड़की हूं और सामाजिक न्याय की बात करती हूं।”

रिया ने आगे कहा कि उन्होंने इस हमले की पूरी जानकारी मीडिया और प्रशासन को दे दी है और जल्द ही मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज कराएंगी।

दलित महिला होने पर हुआ हमला?

सामाजिक कार्यकर्ता पर हमले को लेकर बढ़ी चिंता

यह घटना केवल एक महिला कार्यकर्ता के साथ हिंसा का मामला नहीं है, बल्कि यह उस सोच की भी पहचान कराता है, जिसमें आज भी दलित महिला को आवाज़ उठाने पर सज़ा दी जाती है। पटना पुलिस मारपीट के इस मामले में जिस तरह से रिया पासवान और उनके परिवार के साथ व्यवहार हुआ है, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल

क्या पुलिस ने अपने अधिकारों का किया दुरुपयोग?

इस घटना ने पटना पुलिस की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। क्या पुलिस को बिना वारंट किसी के घर में घुसने का अधिकार है? क्या एक दलित महिला को सामाजिक न्याय की मांग करना अपराध है?

हालांकि पुलिस की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेज़ी से वायरल हो रहा है और लोगों में गुस्सा साफ नज़र आ रहा है।

राजनीतिक हलकों में भी गर्माई बहस

विपक्षी दलों ने की कड़ी आलोचना

घटना सामने आने के बाद कई विपक्षी नेताओं ने रिया पासवान के समर्थन में ट्वीट किए हैं और पटना पुलिस मारपीट मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के एक प्रवक्ता ने कहा:

“बिहार में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। एक सामाजिक कार्यकर्ता को इस तरह डराना लोकतंत्र का अपमान है।”

क्या कहती है कानून व्यवस्था?

मानवाधिकारों का उल्लंघन?

यह मामला साफ तौर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन की तरफ इशारा करता है। भारतीय संविधान के अनुसार, हर नागरिक को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार है, फिर चाहे वो किसी भी जाति या वर्ग का हो। लेकिन रिया पासवान के साथ हुआ व्यवहार इस अधिकार की धज्जियां उड़ाता है।

आगे क्या?

रिया की मांग: निष्पक्ष जांच हो

रिया पासवान ने स्पष्ट किया है कि वो डरने वाली नहीं हैं। उन्होंने कहा:

“मैंने डर के कारण नहीं, बल्कि सच्चाई के लिए आवाज़ उठाई थी। मुझे इंसाफ चाहिए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मैं अपनी लड़ाई कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से लड़ूंगी।”

पटना पुलिस मारपीट का यह मामला केवल एक महिला के साथ हिंसा का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल उठाने वाला मामला है। इसमें जातिगत भेदभाव, सत्ता का दुरुपयोग और महिलाओं की असुरक्षा जैसे कई गंभीर पहलू सामने आए हैं। इस मामले में केवल पुलिस की भूमिका नहीं, बल्कि प्रशासन और न्यायपालिका की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए।

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