हाइलाइट्स
- Parliament Harassment के ताज़ा मामले ने ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में हलचल मचा दी
- मुस्लिम सीनेटर फातिमा पेमैन ने पुरुष सहकर्मी पर “शराब पीने और टेबल पर डांस” का दबाव डालने का आरोप लगाया
- सीनेटर ने घटना के तुरंत बाद संसदीय आचार समिति में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई
- इससे पहले Brittany Higgins केस ने भी Parliament Harassment और यौन उत्पीड़न के खिलाफ बड़े सुधारों की माँग उठाई थी
- विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार सामने आ रहे Parliament Harassment के मामले ऑस्ट्रेलियाई लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं
घटना का पूरा विवरण
“कोई सीमा होती है”: सीनेटर पेमैन का बयान
ऑस्ट्रेलिया की मुस्लिम सीनेटर फातिमा पेमैन ने आरोप लगाया कि एक आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान उनके पुरुष सहकर्मी ने बार‑बार शराब पीने और टेबल पर डांस करने के लिए उकसाया। पेमैन के अनुसार, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में मना करते हुए कहा, “मैं शराब नहीं पीती और यह टिप्पणी मेरे धार्मिक एवं व्यक्तिगत मूल्यों के खिलाफ है।” परंतु सहकर्मी ने नशे की हालत में दोबारा दबाव बनाया। इसी क्षण उन्हें एहसास हुआ कि यह एक गंभीर Parliament Harassment है।
शिकायत की औपचारिक प्रक्रिया
सीनेटर ने उसी शाम लिखित रूप में संसदीय आचार समिति को शिकायत भेजी। समिति के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि Parliament Harassment से जुड़ी यह रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है और प्राथमिक जांच शुरू कर दी गई है। ऑस्ट्रेलियाई संसद में लागू आधुनिक नीति के तहत, शिकायत‑कर्त्ता को 24 घंटे के भीतर सुरक्षा एवं वकील उपलब्ध कराए जाते हैं—एक व्यवस्था जो Brittany Higgins के बहुचर्चित मामले के बाद लागू हुई थी।
नाम उजागर न करने की नीति
अधिकारियों ने फिलहाल आरोपी सांसद का नाम गुप्त रखा है। संसदीय नियमों के अनुसार, प्रारंभिक जाँच पूरी होने तक किसी भी पक्ष की पहचान सार्वजनिक न करने का प्रावधान है, ताकि न्यायिक निष्पक्षता बनी रहे।
ऑस्ट्रेलियाई संसद में Parliament Harassment का इतिहास
Brittany Higgins मामला: सुधार का टर्निंग‑पॉइंट
साल 2021 में पूर्व राजनीतिक स्टाफर Brittany Higgins ने संसद भवन के भीतर बलात्कार का आरोप लगाकर ऑस्ट्रेलियाई राजनीति को झकझोर दिया था। उस केस ने Parliament Harassment की जड़ों को उजागर किया और व्यापक सांस्कृतिक समीक्षा कराई गई, जिसमें पाया गया कि “अत्यधिक शराब सेवन, डराने‑धमकाने और यौन उत्पीड़न” संसद की दैनिक संस्कृति में रचा‑बसा है। समीक्षा ने सिफ़ारिश की कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बाध्यकारी प्रशिक्षण, शून्य‑सहनशीलता नीति और अपराधियों पर त्वरित कार्रवाई हो।
बार‑बार उठते सवाल
दस वर्षों में कम से कम 36 ऐसी शिकायतें दर्ज हुईं, जिन्हें आधिकारिक तौर पर Parliament Harassment की श्रेणी में रखा गया। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक संख्या इससे कई गुना अधिक हो सकती है, क्योंकि “शक्ति असमानता” के कारण पीड़ित अक्सर चुप रहते हैं।
विशेषज्ञों और समुदाय की प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषक क्या कहते हैं?
प्रख्यात पर्यवेक्षक डॉ. एलिसन मैकगोवन के अनुसार, “यदि संसद ही सुरक्षित कार्यस्थल नहीं बन सकी तो बाकी देश से कैसे उम्मीद कर सकते हैं?” वह मानती हैं कि Parliament Harassment पर कड़ा कानून बनाने के साथ‑साथ अनुपालन तंत्र को भी मजबूत करना होगा।
मुस्लिम समुदाय में रोष
इस घटना ने ऑस्ट्रेलिया के मुस्लिम समुदाय में विशेष नाराज़गी पैदा की है। समुदाय के नेता शेख उमर क़ासमी का कहना है, “सीनेटर को उनकी धार्मिक आस्था की वजह से निशाना बनाना धार्मिक भेदभाव भी है। यह केवल Parliament Harassment नहीं, बल्कि इस्लामोफ़ोबिया से जुड़ा मामला भी बन जाता है।”
युवा मतदाताओं की नज़र
ऑस्ट्रेलियाई युवा मतदाता सोशल मीडिया पर हैशटैग #ParliamentHarassmentEnough ट्रेंड करा रहे हैं। TikTok और Instagram रील्स में लोग आग्रह कर रहे हैं कि सांसदों को “वर्कप्लेस कंडक्ट” ट्रेनिंग पास किए बिना पद संभालने की अनुमति न दी जाए।
सुधार के रास्ते और आगे की राह
मौजूदा नीतियों की समीक्षा
ऑस्ट्रेलियाई सरकार 2022 की “Respect@Work” रिपोर्ट के बाद कार्यस्थल‑उत्पीड़न क़ानूनों को कठोर बना चुकी है। परंतु कानूनी भाषा से हटकर व्यवहार परिवर्तन ज़रूरी है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि हर सांसद के लिए वार्षिक “कंडक्ट ऑडिट” अनिवार्य हो, जिससे Parliament Harassment की घटनाएँ रिकॉर्ड होते ही सार्वजनिक की जा सकें।
अनिवार्य नशा नियन्त्रण उपाय
कई विश्लेषकों ने राजनीतिक इवेंट्स के दौरान शराब‐सेवन पर पाबंदी या सीमित मात्रा तय करने की सिफ़ारिश की है। उनका तर्क है कि शराब की अधिकता अक्सर Parliament Harassment को बढ़ावा देती है।
अंतरराष्ट्रीय तुलना
ब्रिटेन, कनाडा और न्यूजीलैंड में “पॉलिटिकल स्टाफ स्टैंडर्ड्स एक्ट” जैसे कानून हैं, जिनका उल्लंघन होते ही दोषी सांसद को संसदीय सिटिंग से निलंबित किया जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया में ऐसा तंत्र अभी विकसित हो रहा है। यदि यह नया मामला सिद्ध हो जाता है, तो पहली बार किसी सांसद पर तत्कालिक निलंबन की मिसाल बन सकती है, जिससे Parliament Harassment के लिए “जीरो टॉलरेंस” का संदेश जाएगा।
फातिमा पेमैन का मामला ऑस्ट्रेलियाई संसद में मौजूद प्रणालीगत समस्याओं की फिर से याद दिलाता है। जब तक शिकायतों की त्वरित सुनवाई, आरोपी की पारदर्शी पहचान और सांस्कृतिक बदलाव एक साथ नहीं होंगे, तब तक Parliament Harassment की घटनाएँ होती रहेंगी। लोकतंत्र के मंदिर माने जाने वाले संसद भवन में सुरक्षा और सम्मान का भाव सुनिश्चित करना न केवल सांसदों, बल्कि आम जनता की भी ज़िम्मेदारी है।