पाकिस्तान बाल विवाह: 60 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति ने 11 साल की बच्ची से की शादी, 12 साल की उम्र में बच्ची बनी मां

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हाइलाइट्स

  • पाकिस्तान बाल विवाह का यह मामला समाज और कानून की विफलता को उजागर करता है।
  • 60 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति ने 11 वर्षीय बच्ची से शादी कर मानवता को शर्मसार किया।
  • बच्ची ने 12 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया, जिससे स्वास्थ्य और सुरक्षा पर संकट गहराया।
  • पाकिस्तान में बाल विवाह को लेकर कानून मौजूद हैं, लेकिन उनका पालन बेहद कमजोर है।
  • यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि को धूमिल कर रहा है।

पाकिस्तान बाल विवाह का यह मामला क्यों है चौंकाने वाला?

पाकिस्तान में पाकिस्तान बाल विवाह का यह नया मामला पूरी दुनिया को झकझोर रहा है। खबरों के मुताबिक, एक 60 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति ने 11 साल की मासूम बच्ची से शादी कर ली। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि बच्ची ने महज 12 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दे दिया। यह घटना न केवल बाल विवाह के बढ़ते मामलों को उजागर करती है बल्कि पाकिस्तान में महिला अधिकारों और बच्चों की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल उठाती है।

पाकिस्तान में बाल विवाह की स्थिति

पाकिस्तान बाल विवाह कोई नया मुद्दा नहीं है। यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान के कई ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में बाल विवाह आम बात है। वहां की सामाजिक मानसिकता और धार्मिक कट्टरता के चलते बच्चियों को नाबालिग उम्र में ही शादी के बंधन में बांध दिया जाता है।

पाकिस्तान में 18 साल से कम उम्र में शादी करना कानूनन अपराध है, लेकिन कई प्रांतों में इस कानून को गंभीरता से लागू नहीं किया जाता। इस कारण नाबालिग बच्चियों के शोषण की घटनाएं लगातार सामने आती रहती हैं। पाकिस्तान बाल विवाह के ऐसे मामले महिलाओं की शिक्षा और स्वतंत्रता के अधिकार पर भी सीधा प्रहार करते हैं।

धार्मिक कट्टरता और सामाजिक दबाव

पाकिस्तान में कई क्षेत्रों में धार्मिक कट्टरपंथियों का दबदबा इतना अधिक है कि समाज कानून से ज्यादा धार्मिक रूढ़िवादिता को मानता है। इस मामले में भी परिवारों पर समाज का दबाव और परंपराओं का पालन करने की मजबूरी साफ झलकती है। पाकिस्तान बाल विवाह के मामलों में अक्सर गरीब परिवार अपनी बच्चियों को ‘इज्जत’ बचाने के नाम पर कम उम्र में शादी कर देते हैं, जिससे उनका जीवन बर्बाद हो जाता है।

बाल विवाह से स्वास्थ्य पर खतरा

बचपन में शादी करना और इतनी कम उम्र में मां बनना बच्चियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता है। डॉक्टरों के अनुसार, 12 साल की उम्र में मां बनना बच्ची के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। इससे कुपोषण, गर्भावस्था में जटिलताएं और नवजात शिशु की मृत्यु दर जैसी समस्याएं बढ़ती हैं।

पाकिस्तान बाल विवाह के कारण देश में मातृ और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। यह स्थिति पाकिस्तान के स्वास्थ्य ढांचे पर भी सवाल खड़े करती है।

कानून का कमजोर पालन

पाकिस्तान में बाल विवाह निषेध अधिनियम (Child Marriage Restraint Act) लागू है, जो 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों की शादी पर रोक लगाता है। इसके बावजूद पाकिस्तान बाल विवाह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

इसका मुख्य कारण कानून का सख्ती से लागू न होना और अपराधियों को सजा का अभाव है। ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक पंचायतें कानून को नजरअंदाज कर धार्मिक मान्यताओं के नाम पर ऐसे अपराधों को जायज ठहराती हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस घटना के सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। संयुक्त राष्ट्र और महिला अधिकार समूहों का कहना है कि पाकिस्तान बाल विवाह की समस्या को रोकने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। बाल विवाह रोकने के लिए पाकिस्तान सरकार को सख्त कानूनों के साथ-साथ समाज में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

क्या है समाधान?

  1. सख्त कानून का पालन:
    बाल विवाह को लेकर पाकिस्तान में पहले से बने कानूनों को कड़ाई से लागू करना जरूरी है।
  2. शिक्षा को प्राथमिकता:
    समाज में बच्चियों की शिक्षा को बढ़ावा देना बाल विवाह को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
  3. धार्मिक नेताओं की भूमिका:
    धार्मिक नेताओं को समाज को यह समझाना होगा कि इस्लाम में भी बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को महत्व दिया गया है।
  4. गरीबी और सामाजिक सुधार:
    बाल विवाह की जड़ें गरीबी और सामाजिक असमानता में छिपी हैं। इनके समाधान के लिए सरकार को ठोस नीतियां बनानी होंगी।

पाकिस्तान बाल विवाह का यह मामला केवल एक खबर नहीं है, बल्कि समाज की गहरी समस्या का प्रतिबिंब है। जब 11 साल की मासूम बच्ची को शादी के नाम पर शोषण का शिकार बनाया जाता है और वह 12 साल की उम्र में मां बन जाती है, तो यह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है। पाकिस्तान सरकार को ऐसे मामलों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए न सिर्फ कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए, बल्कि समाज की सोच में भी बदलाव लाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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