हाइलाइट्स
- अफीम का डोडा पोस्त तस्करी फिरोजाबाद में 50 लाख की खेप जब्त की गई।
- ट्रक के टूल बॉक्स में छिपाकर ले जाया जा रहा था 1.20 क्विंटल अफीम का डोडा पोस्त।
- एंटी नारकोटिक्स और रसूलपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई से दो तस्कर गिरफ्तार।
- बिहार से माल लाकर हरियाणा में फुटकर में बेचने की थी योजना।
- तस्करों का नेटवर्क भाई और चाचा-भतीजे की साझेदारी में चल रहा था, दो आरोपी अभी भी फरार।
फिरोजाबाद:
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में एक बड़ी अफीम का डोडा पोस्त तस्करी का खुलासा हुआ है। एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) आगरा जोन और थाना रसूलपुर पुलिस ने मिलकर एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश किया है जो बिहार से हरियाणा तक फैला हुआ था। ट्रक के टूल बॉक्स में छिपाकर ले जाया जा रहा 1.20 क्विंटल अफीम का डोडा पोस्त पकड़ा गया, जिसकी बाजार में अनुमानित कीमत 50 लाख रुपये बताई जा रही है।
क्या होता है अफीम का डोडा पोस्त?
अफीम का डोडा पोस्त वह अवशेष होता है जो अफीम निकालने के बाद बचता है, लेकिन उसमें भी नशे के तत्व मौजूद रहते हैं। यह ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में बड़ी मात्रा में नशे के तौर पर उपयोग होता है। इसकी तस्करी पर सरकार ने सख्त रोक लगाई हुई है, लेकिन फिर भी अंतरराज्यीय गिरोह इस मादक पदार्थ को अवैध तरीके से इधर-उधर पहुंचाते हैं।
कठफोरी टोल से पहले पकड़ा गया ट्रक
ANTF टीम को इनपुट मिला था कि बिहार से एक ट्रक अफीम का डोडा पोस्त लेकर सिरसागंज के रास्ते हरियाणा जा रहा है। जैसे ही ट्रक कठफोरी टोल के पास पहुंचा, टीम अलर्ट हो गई। CO ANTF आगरा उमेश पंवार, निरीक्षक हरवेंद्र मिश्रा, और रसूलपुर थाना प्रभारी प्रदीप कुमार की अगुवाई में ट्रक को रोका गया। CO सिटी अरुण कुमार चौरसिया की देखरेख में जब ट्रक की तलाशी ली गई तो टूल बॉक्स में रखी गईं पांच बोरियों में छिपाकर ले जाया जा रहा अफीम का डोडा पोस्त बरामद हुआ।
गिरफ्तार तस्करों की पहचान
पुलिस ने मौके से दो तस्करों को गिरफ्तार किया:
- मुसलम – निवासी डाडका, थाना होडल, पलवल (हरियाणा)
- बलराम – निवासी हरनाही गांव, थाना बाराचट्टी, गया (बिहार)
इन दोनों के पास से पुलिस ने ट्रक, 12 टन कार्बन के पैकेट, मोबाइल और नकदी भी जब्त की है। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इस खेप का वजन 1.20 क्विंटल था।
चौंकाने वाला खुलासा: पारिवारिक नेटवर्क से जुड़ा तस्करी गैंग
एसपी सिटी रविशंकर प्रसाद ने मीडिया को जानकारी दी कि गिरफ्तार मुसलम, फरार आरोपी असलम का सगा भाई है। वहीं बलराम का भतीजा, फरार आरोपी ज्ञानी के संपर्क में था। चारों मिलकर इस नशे के नेटवर्क को चला रहे थे।
- ज्ञानी बिहार से अफीम का डोडा पोस्त खरीदता था।
- बलराम उसे ट्रक के टूल बॉक्स में छिपा कर हरियाणा भेजता था।
- असलम हरियाणा में उसे फुटकर में बेचता था और मोटा मुनाफा कमाता था।
इस प्रकार यह अफीम का डोडा पोस्त तस्करी का संगठित और सुनियोजित नेटवर्क था।
अब तक की बरामदगी
बरामद सामग्री | विवरण |
---|---|
अफीम का डोडा पोस्त | 1.20 क्विंटल |
ट्रक | पूरी तरह जब्त |
कार्बन के पैकेट | 12 टन वजन के |
मोबाइल फोन | कई सिम के साथ बरामद |
नकद राशि | गोपनीय, पूछताछ जारी |
कानून की नजर में अफीम का डोडा पोस्त
भारत में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत अफीम का डोडा पोस्त तस्करी एक गंभीर अपराध है। इसके लिए 10 साल तक की जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है। इस केस में NDPS एक्ट की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।
आगे की कार्रवाई
फरार आरोपियों असलम और ज्ञानी की तलाश में पुलिस टीम छापेमारी कर रही है। साथ ही इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है। मोबाइल फोन से मिले डेटा की फॉरेंसिक जांच कर अन्य सहयोगियों का सुराग जुटाया जा रहा है।
अफीम का डोडा पोस्त तस्करी क्यों है खतरनाक?
- यह ग्रामीण युवाओं में तेजी से नशे की लत बढ़ाता है।
- कृषि और मजदूरी करने वाले लोग इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं।
- स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है – लीवर, किडनी, फेफड़े पर भारी प्रभाव।
- अपराध दर बढ़ती है, क्योंकि नशे की लत पूरी करने के लिए चोरी, लूट जैसी घटनाएं बढ़ती हैं।
- समाज में अस्थिरता और युवाओं का भविष्य अंधकारमय होता है।
क्या है समाधान?
- अंतरराज्यीय पुलिस समन्वय को और मजबूत करना होगा।
- सीमावर्ती इलाकों पर कड़ी नजर रखनी होगी।
- युवाओं को नशा मुक्ति के लिए सरकारी योजनाओं से जोड़ना होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनजागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।
- तस्करी में इस्तेमाल होने वाले ट्रकों और वाहनों की GPS निगरानी जरूरी है।
फिरोजाबाद में अफीम का डोडा पोस्त तस्करी का यह मामला देशभर में फैले नशे के नेटवर्क की गहराई और खतरनाक पहुंच को उजागर करता है। पुलिस की सजगता और संयुक्त कार्रवाई की वजह से यह बड़ा मामला पकड़ा गया, लेकिन यह सिर्फ़ एक झलक है। जब तक पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ नहीं होता, तब तक समाज सुरक्षित नहीं माना जा सकता