हाइलाइट्स
- Sulphos खाने से हुई मौत, ऑनलाइन गेम को लेकर मां की डांट बना कारण
- मृतक छात्र Jawahar Navodaya Vidyalaya में पढ़ता था, गर्मी की छुट्टियों में घर आया था
- इलाज के दौरान झांसी मेडिकल कॉलेज में तोड़ा दम, परिजन सदमे में
- परिवार नहीं बता सका कौन-सा online game खेल रहा था बच्चा
- बढ़ते online game addiction से बच्चों में मानसिक तनाव की घटनाएं बढ़ीं
मां की डांट और online game का नशा बना मौत का कारण
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के मुस्करा थाना क्षेत्र के एक छोटे से गांव, पहाड़ी भिटारी, से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। महज 13 साल की उम्र में एक छात्र ने Sulphos खाकर आत्महत्या कर ली। वजह बनी मोबाइल पर खेला जाने वाला online game और मां की डांट।
छात्र का नाम नैतिक था, जो कि महोबा के जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा सात में पढ़ता था। गर्मियों की छुट्टियों के चलते वह अपने माता-पिता के साथ गांव आया हुआ था।
कैसे हुआ हादसा: मां ने पढ़ाई के लिए टोका, बेटे ने उठा लिया खौफनाक कदम
मिली जानकारी के अनुसार सोमवार की शाम नैतिक मोबाइल में किसी online game में मशगूल था। उसकी मां सरोज ने उसे डांटा और पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा। बस इतनी सी बात से आहत होकर अगले ही दिन, मंगलवार की दोपहर, नैतिक ने गेहूं में रखी Sulphos की गोलियां खा लीं।
हालत बिगड़ने पर उसने खुद अपने पिता को फोन किया और बताया कि उसने ज़हर खा लिया है।
उपचार में लगी पूरी ताकत, लेकिन नहीं बच सका नैतिक
नैतिक के पिता मनोज कुमार राजपूत और दादा ने उसे तत्काल मुस्करा सीएचसी पहुंचाया, जहां से उसे उरई मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। हालत में सुधार न होता देख झांसी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। लेकिन मंगलवार की देर शाम इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
यह खबर जैसे ही गांव और स्कूल प्रशासन को मिली, हर कोई सन्न रह गया।
online game addiction: बच्चों के लिए एक खतरनाक मानसिक जाल
यह कोई पहली घटना नहीं है जब online game के कारण कोई बच्चा आत्मघाती कदम उठा बैठा हो। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अत्यधिक online gaming बच्चों में न केवल पढ़ाई से ध्यान भटकाती है बल्कि उनमें चिड़चिड़ापन, आक्रोश और मानसिक असंतुलन भी पैदा करती है।
Online game addiction आज एक सामाजिक बीमारी बनता जा रहा है, जिसका कोई ठोस इलाज हमारे पास नहीं है।
बच्चों में online game addiction के लक्षण
समय की भावना खत्म होना
गुस्से और हिंसा का बढ़ना
नींद की कमी
परिवार से दूरी बनाना
अकेलेपन की भावना
Sulphos जैसी चीजें बच्चों की पहुंच से दूर क्यों नहीं?
इस दुखद घटना ने एक और सवाल खड़ा कर दिया है: आखिर घर में Sulphos जैसी जानलेवा चीजें बच्चों की पहुंच में क्यों रखी जाती हैं?
Sulphos (एल्युमिनियम फॉस्फाइड) एक अत्यंत विषैला पदार्थ है जो कृषि में उपयोग किया जाता है। यह थोड़ी सी मात्रा में ही जानलेवा हो सकता है।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
थानाध्यक्ष मुस्करा योगेश तिवारी ने मीडिया को बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं आया था। हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन अब सक्रिय हो गया है और जांच शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
परिवार ने भी किसी प्रकार की शिकायत दर्ज नहीं करवाई है और अपने स्तर पर शव का अंतिम संस्कार कर दिया।
विशेषज्ञों की राय: बच्चों से संवाद की जरूरत
मनोचिकित्सक डॉ. अम्बुज गुप्ता कहते हैं, “बच्चों को केवल डांटना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी भावनाओं को समझना जरूरी है। Online game addiction से जूझते बच्चे किसी न किसी रूप में मानसिक दबाव में होते हैं। मां-बाप को उनके साथ संवाद बढ़ाना चाहिए।”
अब जरूरी है सतर्कता और जागरूकता
यह घटना पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। मोबाइल और online game की लत केवल मनोरंजन नहीं रही, यह बच्चों की मानसिकता और जीवन के लिए घातक बनती जा रही है।
सरकार, स्कूल, अभिभावक और समाज – सभी की ज़िम्मेदारी है कि online game addiction पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाएं।
खेल मौत का नहीं, जीवन का होना चाहिए
एक 13 साल का बच्चा, जो जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ता था, जो शायद भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर या देश का कोई बड़ा अधिकारी बन सकता था, वो आज सिर्फ एक online game और Sulphos की वजह से नहीं रहा।
हमें अब यह सोचना होगा कि तकनीक का उपयोग हम बच्चों को कितना और कैसे दें। और सबसे जरूरी, हमें बच्चों की मानसिक स्थिति को समय रहते समझना और संभालना होगा।