हाइलाइट्स
- “Nuclear Strike” को लेकर इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर Nuclear Strike की मुहिम शुरू की
- फोर्डो प्लांट बना इजरायल के लिए सबसे बड़ी चुनौती, पहाड़ के नीचे स्थित है यह अत्यंत सुरक्षात्मक ठिकाना
- विशेषज्ञों की राय—इजरायल अकेले नहीं कर सकता इस प्लांट को तबाह, अमेरिका की ज़रूरत अपरिहार्य
- ईरान का दावा—60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन, अब केवल कुछ कदम दूर है परमाणु हथियार बनाना
- JCPOA के टूटने के बाद से बढ़ी गतिविधियां, अब तक फोर्डो पर कोई सीधा हमला नहीं
इजरायल बनाम ईरान: एक असंभव मिशन की शुरुआत?
पश्चिम एशिया एक बार फिर युद्ध के कगार पर है। इस बार वजह है एक निर्णायक कसम और एक अजेय किला—जिसका नाम है फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वे ईरान को किसी भी हालत में परमाणु शक्ति नहीं बनने देंगे। इसी घोषणा के बाद इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने शुक्रवार से ईरान के कई न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया है, जिन्हें एक व्यापक Nuclear Strike मुहिम के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन सवाल है कि क्या इजरायल वास्तव में वह कर सकता है जो वह कह रहा है? क्या फोर्डो जैसी साइट को तबाह करना संभव है? या यह एक ऐसा लक्ष्य है जो केवल सुपरपावर अमेरिका के ही बस की बात है?
क्या है फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट?
ईरान की सबसे रहस्यमयी न्यूक्लियर साइट
फोर्डो प्लांट, ईरान के सबसे सुरक्षा वाले परमाणु ठिकानों में से एक है। यह ठिकाना कोम से 30 किमी और तेहरान से 160 किमी दूर स्थित है। यह जगह एक पहाड़ के अंदर 80 से 300 फीट गहराई में बनी हुई है और यह स्थान पूर्व में IRGC (Islamic Revolutionary Guard Corps) के मिसाइल बेस का हिस्सा था।
फोर्डो को 2000 के दशक में ईरान के गुप्त “अमाद प्रोजेक्ट” के तहत तैयार किया गया था, जिसका मकसद था परमाणु हथियार बनाना। 2009 में पश्चिमी इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा इसका पर्दाफाश किया गया, जिसके बाद ईरान ने खुद IAEA के समक्ष इसकी पुष्टि की।
क्यों इतना मुश्किल है Nuclear Strike?
पहाड़ के नीचे का किला
फोर्डो प्लांट की सुरक्षा व्यवस्था इसे एक ‘बंकर’ से अधिक बनाती है। इसकी दीवारें इतनी मोटी और मजबूत हैं कि पारंपरिक बम और यहां तक कि इजरायल के एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। प्लांट को 3,000 से अधिक IR-1 सेंट्रीफ्यूज रखने के हिसाब से डिजाइन किया गया है और अब यहां IR-6 सेंट्रीफ्यूज भी काम कर रहे हैं।
अमेरिकी हथियारों के बिना अधूरा ऑपरेशन
विशेषज्ञ मानते हैं कि इजरायल के पास फोर्डो को तबाह करने के लिए जरूरी Nuclear Strike क्षमता नहीं है। GBU-57A/B Massive Ordnance Penetrator (MOP)—जो कि अमेरिका के पास है—ही एकमात्र हथियार है जो इतनी गहराई तक पहुंच सकता है।
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की केल्सी डेवनपोर्ट कहती हैं, “इजरायल चाहकर भी फोर्डो जैसी साइट को अकेले नष्ट नहीं कर सकता। उसे अमेरिका की सैन्य सहायता की आवश्यकता होगी।”
ईरान की रणनीति: संवर्धन जारी, हथियार करीब
60% यूरेनियम संवर्धन और चार बमों की क्षमता
JCPOA समझौते के तहत 2015 में फोर्डो को वैज्ञानिक उपयोग के लिए तय किया गया था, लेकिन 2018 में अमेरिका के बाहर निकलने के बाद ईरान ने फिर से संवर्धन शुरू कर दिया। अब तक यहां 2,000 से अधिक IR-6 सेंट्रीफ्यूज एक्टिव हैं जो यूरेनियम को 60% तक समृद्ध कर रहे हैं। अनुमान है कि फोर्डो हर तीन महीने में 166 किलोग्राम समृद्ध यूरेनियम तैयार कर सकता है—जो चार परमाणु बमों के लिए पर्याप्त है।
इजरायल का प्लान: मिशन फोर्डो का अंत?
क्या होगा अगला कदम?
इजरायली राजदूत येचिएल लीटर ने कहा है कि, “पूरा ऑपरेशन फोर्डो के खात्मे के साथ ही पूर्ण होगा।” इसका अर्थ स्पष्ट है—इजरायल अपने Nuclear Strike मिशन का अंत तब तक नहीं मानता जब तक फोर्डो तबाह नहीं होता।
हालांकि अब तक फोर्डो पर कोई प्रत्यक्ष हमला नहीं हुआ है, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इजरायल अमेरिका को इस ऑपरेशन में प्रत्यक्ष सहयोग के लिए मना पाता है या नहीं।
कसम या कल्पना?
फोर्डो की संरचना, सुरक्षा, और रणनीतिक महत्व को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि इजरायल के लिए यह ऑपरेशन एक असंभव मिशन जैसा है। बिना अमेरिकी सहयोग के Nuclear Strike के इस उद्देश्य की प्राप्ति दूर की कौड़ी नजर आती है।
दुनिया की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या नेतन्याहू अपनी कसम को हकीकत में बदल पाएंगे, या यह एक ऐसा सपना बनकर रह जाएगा जो केवल बयानबाज़ी में दमदार था।