खंडवा में दूध पर मचा घमासान: सड़क पर पोस्टर लेकर खड़ा युवक बोला ‘दूध है मांसाहार’, पीछे क्या है ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद की सच्चाई?

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हाइलाइट्स

  • ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद: खंडवा जिले में युवक के अभियान ने हिंदू संगठनों को आक्रोशित किया।
  • आनंद नगर में हाथों में पोस्टर लेकर युवक ने शुरू किया विवादित कैंपेन।
  • युवक ने बताया कि वह एक एनजीओ के लिए काम कर रहा है।
  • पुलिस ने मौके पर पहुंचकर युवक को थाने ले जाकर पूछताछ शुरू की।
  • हिंदू संगठनों का आरोप—‘नॉनवेज मिल्क’ कहकर भारतीय संस्कृति पर प्रहार हो रहा है।

खंडवा के आनंद नगर में ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद से तनाव

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के आनंद नगर इलाके में रविवार को अचानक तनाव की स्थिति बन गई। एक युवक हाथों में पोस्टर लेकर सड़क किनारे खड़ा था, जिस पर लिखा था—“दूध मांसाहार है।” इस संदेश को लेकर स्थानीय लोग भड़क उठे। ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद की यह खबर तेजी से पूरे क्षेत्र में फैल गई। कुछ ही देर में हिंदू जागरण मंच और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए और युवक से पूछताछ शुरू कर दी।

सूत्रों के अनुसार युवक का नाम राहुल चौहान है और वह एक एनजीओ के लिए काम करता है। पूछताछ में राहुल ने बताया कि उसे लोगों को यह समझाने का काम सौंपा गया है कि दूध वास्तव में शाकाहारी नहीं बल्कि मांसाहारी है। उसने दावा किया कि यह पहल विदेशों में पहले से चल रही है और भारत में भी इसी सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एनजीओ के काम और उद्देश्य पर सवाल

राहुल चौहान ने पुलिस और हिंदू संगठनों को बताया कि वह जिस संस्था से जुड़ा है, उसका उद्देश्य लोगों की मानसिकता को बदलना है। संस्था का मानना है कि दूध का उत्पादन ऐसे तरीकों से किया जाता है जो शाकाहारी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं हैं। इस अभियान को लेकर स्थानीय लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद भारतीय संस्कृति और परंपराओं पर सीधा हमला है।

पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए युवक को थाने ले जाकर उससे पूछताछ शुरू की। मोघट थाने के अधिकारियों ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एनजीओ की पृष्ठभूमि की भी जांच की जा रही है।

हिंदू संगठनों की नाराजगी

विश्व हिंदू परिषद और हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना है कि दूध भारत की संस्कृति का अहम हिस्सा है। मंदिरों में भगवान को दूध और उससे बनी सामग्री का भोग लगाया जाता है। लोगों का मानना है कि दूध को ‘नॉनवेज मिल्क’ कहकर समाज में भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।

हिंदू संगठनों का कहना है कि इस तरह के अभियान का मकसद लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाना है। उनका आरोप है कि ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद की जड़ें विदेशों तक फैली हुई हैं और यह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है।

अमेरिका में कैसे तैयार होता है ‘नॉनवेज मिल्क’

अमेरिका और अन्य विकसित देशों में बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन करने के लिए नई तकनीकें अपनाई जाती हैं। वहां दुधारू जानवरों को मांस से तैयार विशेष आहार दिया जाता है ताकि दूध उत्पादन बढ़ सके। इन देशों में इसे सामान्य माना जाता है, लेकिन भारतीय परंपरा में यह अस्वीकार्य है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत जैसे शाकाहारी समाज में ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद लोगों की भावनाओं को भड़काने का कारण बन सकता है। यही कारण है कि खंडवा में इस विषय पर इतना विरोध देखने को मिला।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका

खंडवा पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभालने की कोशिश की। पुलिस ने राहुल चौहान से विस्तृत पूछताछ की और उससे जुड़े एनजीओ के बारे में जानकारी जुटाई। फिलहाल पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि यह अभियान किसके निर्देश पर चलाया जा रहा था और इसका उद्देश्य क्या है।

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि किसी को भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद पर पुलिस की सतर्कता के चलते स्थिति नियंत्रण में है।

स्थानीय लोगों का आक्रोश

आनंद नगर के स्थानीय लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि दूध को लेकर भ्रम फैलाने का यह प्रयास समाज को बांटने की कोशिश है। कई लोगों ने मांग की है कि इस अभियान के पीछे की ताकतों को बेनकाब किया जाए।

स्थानीय निवासी और दुकानदारों का कहना है कि दूध सिर्फ आहार का हिस्सा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक है। ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद को लेकर उनका कहना है कि यह देश की परंपराओं पर हमला है।

समाज पर संभावित प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के विवाद समाज में अनावश्यक तनाव पैदा कर सकते हैं। दूध जैसे सामान्य खाद्य पदार्थ पर सवाल उठाने से लोगों की सोच में भ्रम पैदा होगा। धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को भड़काने वाले ऐसे अभियान सामाजिक सद्भाव के लिए खतरा साबित हो सकते हैं।

खंडवा में शुरू हुआ यह विवाद भारत में बढ़ती सांस्कृतिक बहस का प्रतीक है। एक तरफ कुछ संगठन आधुनिक विचारों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक आस्था और परंपराओं को लेकर समाज का बड़ा वर्ग सजग है। ‘नॉनवेज मिल्क’ विवाद फिलहाल खंडवा तक सीमित है, लेकिन यह आने वाले समय में बड़ा मुद्दा बन सकता है। प्रशासन और पुलिस को चाहिए कि ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच कर समाज में शांति बनाए रखें

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