भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन? दो नाम सबसे आगे, चुनाव की तारीख तय… जल्द खुल सकता है बड़ा सियासी राज!

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हाइलाइट्स

  • नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू होगी, 9 सितंबर को चुनाव का ऐलान।
  • जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से खाली हुई कुर्सी, अब बिहार और संघ के बीच संतुलन की चुनौती।
  • भाजपा की नज़र जातिगत और राजनीतिक संतुलन साधने वाले चेहरे पर।
  • नीतीश कुमार, मनोज सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के नाम सबसे आगे।
  • आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच समन्वय से होगा अंतिम फैसला।

नया उपराष्ट्रपति: 9 सितंबर को चुनाव, 7 अगस्त से नामांकन प्रक्रिया शुरू

देश के नए उपराष्ट्रपति के चयन को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को होंगे और अधिसूचना 7 अगस्त को जारी की जाएगी। नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त तय की गई है। मतदान के दिन ही नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।

वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 22 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद यह पद रिक्त हो गया है। अब इस पद के लिए संभावित नामों पर भाजपा और एनडीए के भीतर गहन मंथन शुरू हो चुका है।

नया उपराष्ट्रपति: सियासत, जाति और संगठन की तिकड़ी में उलझा चुनाव

नीतीश कुमार: भाजपा-जदयू समीकरण को साधने की कोशिश?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सबसे ज़्यादा चर्चा में है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा, बिहार चुनाव 2025 को ध्यान में रखते हुए उपराष्ट्रपति पद के ज़रिए जदयू को एक सशक्त संदेश दे सकती है। यदि नीतीश कुमार को नया उपराष्ट्रपति बनाया जाता है, तो भाजपा-जदयू गठबंधन फिर से मज़बूत हो सकता है।

मनोज सिन्हा: अनुभव और संघ से नज़दीकी

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जो कि भाजपा के पुराने और संघ समर्थित नेता हैं, का नाम भी आगे चल रहा है। उनके पास प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों अनुभव हैं। उनका चयन उत्तर भारत में सवर्ण वोट बैंक को मज़बूत करने की दिशा में एक कदम हो सकता है।

नया उपराष्ट्रपति: भाजपा की रणनीति और संघ की भूमिका

जातीय संतुलन अहम

सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बार ऐसा उपराष्ट्रपति चुनना चाहती है जो राजनीतिक और जातिगत संतुलन को बनाए रखे। 2022 में राष्ट्रपति पद पर द्रौपदी मुर्मू को बिठाकर भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला था। उसी साल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति बनाकर जाट किसानों को साधने की कोशिश की गई थी। अब देखना यह होगा कि इस बार भाजपा किस वर्ग को संतुष्ट करने की कोशिश करती है।

आरएसएस की नज़र ‘संगठन’ पर

रिपोर्ट्स में यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा और आरएसएस के बीच भविष्य के अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। संघ चाह रहा है कि नया अध्यक्ष एक मजबूत संगठनात्मक नेता हो, वहीं प्रधानमंत्री मोदी का झुकाव कुछ वरिष्ठ मंत्रियों की ओर है।

नया उपराष्ट्रपति: संभावित नामों पर एक नज़र

नाम पार्टी/पद संभावित कारण
नीतीश कुमार मुख्यमंत्री, बिहार जदयू को साधने की कोशिश, बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर
मनोज सिन्हा उपराज्यपाल, जम्मू-कश्मीर संघ का करीबी, प्रशासनिक अनुभव
रविशंकर प्रसाद पूर्व मंत्री, भाजपा सवर्ण प्रतिनिधित्व, कानूनी पृष्ठभूमि
धर्मेंद्र प्रधान शिक्षा मंत्री, भाजपा ओबीसी कार्ड, संघ की नज़दीकी
भूपेंद्र यादव पर्यावरण मंत्री, भाजपा ओबीसी चेहरा, मजबूत संगठन अनुभव

नया उपराष्ट्रपति: क्या भाजपा दोहरे समीकरण पर चल रही है?

भाजपा के रणनीतिकार ऐसा समीकरण तलाश रहे हैं, जिसमें उपराष्ट्रपति सवर्ण वर्ग से और अध्यक्ष ओबीसी या दलित वर्ग से हो। इससे पार्टी को जातीय संतुलन साधने में मदद मिल सकती है। साल 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री की भूमिका और अंतिम मुहर

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे मसले पर व्यक्तिगत रूप से संघ के साथ बैठक कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे नामों पर संघ की सहमति नहीं है। लेकिन पीएम मोदी के हस्तक्षेप से चर्चा आगे बढ़ सकती है।

भाजपा चाहती है कि नया उपराष्ट्रपति न सिर्फ पार्टी की राजनीतिक ज़रूरतों को पूरा करे, बल्कि वह व्यक्ति राष्ट्रपति के अनुपस्थित रहने पर उच्च सदन की गरिमा को भी संभाल सके।

नया उपराष्ट्रपति: कब तय होगा नाम?

भाजपा सूत्रों के अनुसार पार्टी अगस्त के अंत तक नया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तय करना चाहती है ताकि 9 सितंबर को होने वाले चुनाव के लिए पर्याप्त तैयारी हो सके। इस नाम पर अंतिम मुहर एनडीए के सहयोगी दलों की सहमति के बाद ही लगेगी।

नया उपराष्ट्रपति का चयन सिर्फ एक संवैधानिक पद भरने का मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक जटिल राजनीतिक, सामाजिक और संगठनात्मक समीकरण छिपा है। भाजपा और आरएसएस दोनों के लिए यह फैसला 2024 के चुनावी सफर का हिस्सा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस सियासी शतरंज में कौन सा मोहरा उपराष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचेगा — नीतीश, मनोज, या कोई और?

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