अब हर कोई नहीं खोल सकेगा शराब की दुकान! यूपी सरकार के नए नियम ने बदल दी पूरी प्रक्रिया

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हाइलाइट्स

  • नई आबकारी नीति 2025-26 से शराब व्यापार में पारदर्शिता और सरकार की कमाई दोनों को नया बल मिला है
  • अब शराब की दुकान खोलने के लिए ई-लॉटरी सिस्टम के माध्यम से पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है
  • सरकार ने कंपोजिट दुकानों का प्रावधान जोड़कर एक ही छत के नीचे शराब के सभी प्रकार की बिक्री का विकल्प दिया
  • मॉल व मल्टीप्लेक्स में प्रीमियम शॉप पर रोक, लेकिन एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशन पर मिल सकती है इजाजत
  • सिर्फ आवेदन शुल्क से ही 1987 करोड़ रुपये की आय, 60,000 करोड़ रुपये राजस्व लक्ष्य तय

नई आबकारी नीति 2025-26: एक बड़ी क्रांति

उत्तर प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति 2025-26 अब सिर्फ शराब बिक्री तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह अब राज्य सरकार की राजस्व नीति का एक मजबूत स्तंभ बन चुकी है। नई नीति ने जहां एक ओर लाइसेंस प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाया है, वहीं दूसरी ओर शराब व्यापार में एकाधिकार को खत्म करने की ठोस कोशिश की गई है।

ई-लॉटरी से पारदर्शिता की नई पहल

अब यूपी में शराब की दुकान खोलने के लिए पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। upexcise.in पोर्टल पर जाकर इच्छुक आवेदकों को आवेदन करना होता है। प्रोसेसिंग शुल्क ₹90,000 निर्धारित किया गया है, जो किसी भी स्थिति में वापस नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि केवल गंभीर और सक्षम उम्मीदवार ही आवेदन करें।
नई नीति के अनुसार अब हर साल ई-लॉटरी के जरिए दुकानें आवंटित की जाएंगी। यानी किसी भी दुकान के लिए नवीनीकरण की सुविधा नहीं दी गई है। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि हर साल नए लोग भी इस व्यवसाय में प्रवेश कर सकें और पुराने लोगों का एकाधिकार न बना रहे।

क्या है नई कंपोजिट दुकान की अवधारणा?

एक ही छत के नीचे सभी प्रकार की शराब

नई आबकारी नीति 2025-26 की सबसे अहम विशेषता “कंपोजिट दुकानों” का प्रावधान है। अब एक ही दुकान पर देशी शराब, विदेशी शराब, बीयर और वाइन की बिक्री की जा सकेगी। इससे उपभोक्ताओं को सुविधा मिलेगी और लाइसेंस धारकों के लिए व्यापारिक अवसर भी बढ़ेंगे।
इन दुकानों को मॉडल शॉप में बदला जा सकता है लेकिन इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना होगा। हालांकि इन दुकानों पर शराब पीने की अनुमति नहीं होगी।

मॉल, मल्टीप्लेक्स में रोक, लेकिन एयरपोर्ट पर छूट

नई नीति के अंतर्गत मॉल और मल्टीप्लेक्स में प्रीमियम दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं दी गई है। लेकिन हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन और मेट्रो स्टेशन जैसे स्थानों पर NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मिलने की स्थिति में दुकानें खोली जा सकती हैं। इससे आम नागरिकों को सुविधा मिलेगी और टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा।

आंकड़ों में शराब की कमाई

रिकॉर्ड तोड़ आवेदन और बढ़ता सरकारी राजस्व

1 अप्रैल 2025 से लागू इस नीति के तहत 27,308 दुकानों के लिए लॉटरी आयोजित की गई थी, जिसमें दो लाख से अधिक आवेदन आए। कुछ स्थानों पर, जैसे ग्रेटर नोएडा में, एक दुकान के लिए 250 से अधिक आवेदन आए।
सिर्फ आवेदन शुल्क से ही सरकार को 1987.19 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।
राज्य सरकार ने इस वर्ष के लिए 60,000 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य तय किया है। पिछली नीति यानी 2024-25 में सरकार को 52,575 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जबकि 2018-19 में यह आंकड़ा 24,000 करोड़ रुपये के आस-पास था।
यह साफ दर्शाता है कि नई आबकारी नीति 2025-26 न केवल पारदर्शिता ला रही है, बल्कि राजस्व में भी तेज़ी से वृद्धि हो रही है।

होम लाइसेंस से घरेलू संग्रह पर भी नियंत्रण

यदि कोई व्यक्ति निर्धारित सीमा से अधिक शराब घर में रखना चाहता है, तो उसे होम लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। इसके लिए सालाना ₹11,000 की फीस और ₹11,000 की ही सुरक्षा राशि देनी होगी। यह कदम कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ-साथ कर संग्रह में भी योगदान देगा।

शराब लाइसेंस के लिए पात्रता और दस्तावेज

कौन ले सकता है लाइसेंस?

  • आवेदक की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए
  • भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है
  • आवेदक के खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए
  • एक व्यक्ति केवल एक आवेदन कर सकता है, लेकिन परिवार के सदस्य अलग-अलग आवेदन कर सकते हैं

आवश्यक दस्तावेज़:

  • आधार कार्ड या वोटर आईडी
  • पिछले तीन वर्षों का आयकर रिटर्न
  • शपथ पत्र
  • आवेदन शुल्क की रसीद
  • निवास प्रमाण पत्र और बैंक विवरण

बड़े व्यापारिक घरानों की पकड़ कमजोर

नई नीति के तहत कोई भी व्यक्ति पूरे प्रदेश में अधिकतम दो दुकानें ही ले सकता है। इससे बड़े बिजनेस ग्रुप्स द्वारा शराब व्यापार पर कब्जा करने की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी और छोटे निवेशकों को भी बराबर मौका मिलेगा। यही बात नई आबकारी नीति 2025-26 को एक समावेशी व्यापारिक नीति बनाती है।

शराब नीति या राजस्व नीति?

नई आबकारी नीति 2025-26 उत्तर प्रदेश सरकार की एक दूरदर्शी नीति साबित हो रही है। इसमें पारदर्शिता, तकनीकी सशक्तिकरण, और सामाजिक जिम्मेदारी को एक साथ मिलाकर प्रस्तुत किया गया है।
राज्य को इससे न सिर्फ अधिक राजस्व प्राप्त हो रहा है, बल्कि यह नीति भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, एकाधिकार की समाप्ति और सार्वजनिक सुविधा में वृद्धि जैसे कई उद्देश्यों को भी सफलतापूर्वक साध रही है।

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