नेपाल किडनी रैकेट का खौफनाक खुलासा! दिल्ली से जुड़ा नेटवर्क, 100 से ज्यादा जिंदगियां बर्बाद

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हाइलाइट्स

  • नेपाल किडनी रैकेट का खुलासा, पुलिस ने पांच लोगों को किया गिरफ्तार
  • काठमांडू और दिल्ली के बीच चल रहा था खतरनाक किडनी रैकेट
  • सरगना श्याम कृष्ण भंडारी ने 100 से ज्यादा लोगों को बनाया शिकार
  • गरीब और अनजान लोगों को बहला-फुसलाकर भेजा जाता था भारत
  • मानव तस्करी निरोधक ब्यूरो ने कड़ी कार्रवाई कर दर्ज किया मामला

नेपाल किडनी रैकेट का बड़ा खुलासा

नेपाल पुलिस ने एक चौंकाने वाले मामले का पर्दाफाश करते हुए एक बड़े नेपाल किडनी रैकेट को उजागर किया है। इस मामले में पुलिस ने सरगना श्याम कृष्ण भंडारी समेत कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। यह रैकेट पिछले पांच वर्षों से सक्रिय था और अब तक 100 से ज्यादा नेपाली नागरिकों को अपनी गिरफ्त में ले चुका था। यह घटना नेपाल और भारत के बीच फैले अवैध अंग व्यापार नेटवर्क पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

नेपाल पुलिस के मानव तस्करी निरोधक ब्यूरो ने शनिवार को आधिकारिक रूप से जानकारी देते हुए बताया कि इस आपराधिक नेटवर्क को समाप्त करने के लिए लंबे समय से खुफिया जांच चल रही थी। आखिरकार, नेपाल और भारत के विभिन्न शहरों में छापेमारी कर इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया।

कैसे चलता था यह खतरनाक किडनी रैकेट?

यह नेपाल किडनी रैकेट बेहद योजनाबद्ध तरीके से संचालित हो रहा था। सरगना श्याम कृष्ण भंडारी और उसके साथी नेपाल के गरीब और ग्रामीण इलाकों से भोले-भाले लोगों को बहकाते थे। वे उन्हें बड़े पैसों का लालच देकर दिल्ली भेजते थे। दिल्ली पहुंचने के बाद इन लोगों को निजी क्लीनिकों में ले जाकर उनकी किडनी निकाल ली जाती थी।

पुलिस के अनुसार, इस रैकेट में शामिल लोग फर्जी दस्तावेज और नकली पहचान पत्र बनवाने में माहिर थे। भंडारी ने इस गोरखधंधे को भारत में चलाने के लिए भारतीय आधार कार्ड का भी इस्तेमाल किया। यह पूरी घटना बताती है कि किस तरह सीमापार अपराधी नेटवर्क गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर संगठित अपराध को अंजाम दे रहे हैं।

पैसों का लालच और शिकार बने लोग

पुलिस जांच में सामने आया है कि इस नेपाल किडनी रैकेट का मुख्य तरीका लोगों को लालच देना था। भंडारी अपने शिकारों को एक किडनी के बदले छह लाख नेपाली रुपये देने का वादा करता था। आर्थिक तंगी से जूझ रहे ग्रामीण युवक और मजदूर इस जाल में फंस जाते थे।

लेकिन पैसे का यह वादा सिर्फ धोखा साबित होता था। कई पीड़ितों को पैसे नहीं दिए गए, जबकि उनका स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो गया। इनमें से कई पीड़ित आज तक अपनी दूसरी किडनी के साथ कठिन जीवन जीने को मजबूर हैं।

पुलिस की सख्त कार्रवाई और कानूनी प्रावधान

नेपाल पुलिस ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की है। पकड़े गए पांचों आरोपियों के खिलाफ मानव तस्करी विरोधी अधिनियम और अंग व्यापार से जुड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है।

पुलिस ने यह भी बताया कि इस नेटवर्क का दायरा सिर्फ नेपाल और दिल्ली तक ही सीमित नहीं था। यह रैकेट भारत के अन्य राज्यों में भी फैला हो सकता है। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की कोशिशें तेज कर रही है।

नेपाल और भारत में अंग व्यापार पर सवाल

इस नेपाल किडनी रैकेट के खुलासे के बाद नेपाल और भारत दोनों देशों की स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस नेटवर्क के लंबे समय तक सक्रिय रहने से यह साफ होता है कि अपराधियों को काफी समय तक सुरक्षा मिली हुई थी या निगरानी में खामियां थीं।

अंग व्यापार एक गंभीर वैश्विक समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल हजारों लोग अवैध अंग व्यापार का शिकार बनते हैं। दक्षिण एशिया के कई देश इस नेटवर्क के लिए संवेदनशील माने जाते हैं, जहां गरीबी और बेरोजगारी के कारण लोग अपराधियों के जाल में फंस जाते हैं।

पीड़ितों की दर्दनाक कहानियां

नेपाल पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने इस रैकेट से जुड़े कई पीड़ितों के बयान दर्ज किए हैं। इनमें से कई लोगों ने बताया कि उन्हें बताया गया था कि वे किडनी “स्वेच्छा से” बेचेंगे और बदले में उन्हें बड़ी रकम मिलेगी। लेकिन हकीकत यह थी कि पैसे का वादा कभी पूरा नहीं हुआ और उनकी जिंदगी खतरे में पड़ गई।

कई पीड़ितों के स्वास्थ्य की हालत बेहद खराब है। पुलिस और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने अब इन पीड़ितों के लिए विशेष चिकित्सा सहायता की व्यवस्था शुरू की है।

सीमा-पार अपराधों को रोकने की चुनौती

यह नेपाल किडनी रैकेट इस बात का बड़ा उदाहरण है कि सीमापार अपराध किस हद तक संगठित हो चुके हैं। नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा ने अपराधियों को फायदा पहुंचाया। यह मामला दोनों देशों के लिए चेतावनी है कि अंग व्यापार जैसे अपराधों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के रैकेट को खत्म करने के लिए सिर्फ पुलिस कार्रवाई काफी नहीं है। इसके लिए जनजागरूकता अभियान चलाना, गरीबों को रोजगार के अवसर प्रदान करना और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना भी जरूरी है।

नेपाल पुलिस द्वारा उजागर किया गया यह नेपाल किडनी रैकेट न केवल नेपाल बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में फैले अवैध अंग व्यापार के नेटवर्क का गंभीर संकेत है। यह घटना बताती है कि संगठित अपराधियों के लिए सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं। ऐसे मामलों को रोकने के लिए दोनों देशों की सरकारों, पुलिस और समाज को मिलकर कदम उठाने होंगे, वरना यह नेटवर्क और भी लोगों की जिंदगी खतरे में डाल सकता है।

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