हाइलाइट्स
जम्मू-कश्मीर हमले के बाद National Security को लेकर एजेंसियां अलर्ट पर
खुफिया एजेंसियों ने ISI के लिए जासूसी कर रहे लोगों को पकड़ा
एक मशहूर यूट्यूबर की गिरफ्तारी से सोशल मीडिया की निगरानी बढ़ी
फोन कॉल और मैसेज पर कुछ विशेष शब्दों को लेकर चेतावनी
बार-बार संदिग्ध शब्दों के प्रयोग पर पुलिस कर सकती है पूछताछ
जम्मू-कश्मीर हमले के बाद देश में सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ी
पिछले महीने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को एक बार फिर से झकझोर कर रख दिया है। इस हमले ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली बल्कि एक बार फिर से National Security के महत्व को रेखांकित किया है। इस हमले के बाद से देश की तमाम खुफिया एजेंसियां, जैसे इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB), नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) और साइबर क्राइम सेल सक्रिय हो चुकी हैं।
आतंकवादी हमले से उठे सवाल: क्या पर्याप्त है National Security?
यह आतंकी हमला देश की National Security में एक बड़ी चूक का संकेत था। जिस तरह से आतंकी संगठनों ने सीमा पार से योजनाबद्ध तरीके से हमला किया, वह इस बात का प्रमाण है कि दुश्मन ताकतें अब भी सक्रिय हैं। सरकार और एजेंसियों ने हमले के बाद सुराग ढूंढते हुए कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है। इनमें से कुछ ऐसे लोग भी थे जो भारत में रहते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी कर रहे थे।
यूट्यूबर की गिरफ्तारी: सोशल मीडिया और National Security का टकराव
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पकड़े गए लोगों में एक मशहूर यूट्यूबर भी शामिल था, जो सोशल मीडिया पर राष्ट्रवाद का चोला ओढ़े हुए था लेकिन अंदरखाने में पाकिस्तान को खुफिया जानकारी भेज रहा था। यह गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि अब National Security केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रही, बल्कि डिजिटल स्पेस में भी इसके लिए नए खतरे पैदा हो चुके हैं।
देश विरोधी शब्द बन सकते हैं मुसीबत का कारण
अब खुफिया एजेंसियों ने आम नागरिकों को चेतावनी दी है कि यदि वे अपने फोन कॉल्स या मैसेज में कुछ खास शब्दों का बार-बार प्रयोग करते हैं, तो वे निगरानी के दायरे में आ सकते हैं। ये शब्द कुछ इस प्रकार हैं: ब्लास्ट, बम, आरडीएक्स, हैकिंग, अटैक, ISI, टेरर आदि।
इन शब्दों का प्रयोग National Security के लिहाज से संवेदनशील माना गया है। अगर कोई व्यक्ति बार-बार इन्हें दोहराता है, विशेष रूप से किसी एक स्थान से या खास नंबर पर, तो वह एजेंसियों के रडार पर आ सकता है।
क्या हर कोई आएगा निगरानी में?
नहीं, सरकार और एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि आम नागरिकों की निजता का पूरा सम्मान किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति मज़ाक में एक-दो बार इन शब्दों का इस्तेमाल करता है, तो उससे पूछताछ नहीं की जाएगी। लेकिन बार-बार किसी संदिग्ध संदर्भ में इन शब्दों का प्रयोग करना National Security को खतरे में डाल सकता है, और तब संबंधित व्यक्ति से पूछताछ की जा सकती है।
भारत में Surveillance का बढ़ता दायरा
हाल के वर्षों में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए Surveillance सिस्टम को मजबूत किया है। मोबाइल कॉल्स, इंटरनेट ट्रैफिक, सोशल मीडिया गतिविधियों पर अब अत्यधिक निगरानी रखी जा रही है। NIA और IB जैसी संस्थाएं इस बात की लगातार निगरानी करती हैं कि देश विरोधी तत्व किस माध्यम से गतिविधियाँ चला रहे हैं।
National Security को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि डिजिटल मीडिया, सोशल नेटवर्किंग साइट्स और मैसेजिंग ऐप्स पर विशेष नजर रखी जाए।
खुफिया जानकारी लीक होने का खतरा
एक बड़ी चुनौती यह भी है कि किस प्रकार कुछ लोग सोशल मीडिया या गेमिंग ऐप्स जैसे माध्यमों से छिपकर संवेदनशील सूचनाएं साझा करते हैं। एजेंसियों के अनुसार, आतंकी संगठनों ने अब व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म को भी सूचना के आदान-प्रदान के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। ऐसे में National Security की रक्षा करना और भी मुश्किल हो गया है।
सरकार की रणनीति: तकनीक और जागरूकता का मेल
सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह तकनीकी संसाधनों के साथ-साथ जन-जागरूकता को भी अपनी National Security नीति में शामिल कर रही है। इसके तहत स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में साइबर सुरक्षा और डिजिटल व्यवहार पर आधारित कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर भी प्रचार किया जा रहा है कि लोग राष्ट्रविरोधी तत्वों के झांसे में न आएं।
सजग नागरिक ही राष्ट्रीय सुरक्षा की पहली दीवार
जम्मू-कश्मीर में हुआ आतंकी हमला केवल एक घटना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हमें National Security को हर स्तर पर गंभीरता से लेना होगा। यह केवल सेना और पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर नागरिक को सजग रहना होगा।
फोन कॉल पर कही गई बात, सोशल मीडिया पर किया गया एक पोस्ट, या भेजा गया एक मैसेज भी देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में नागरिकों को सतर्क रहना होगा और ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे राष्ट्र की अखंडता पर आंच आए।