हाइलाइट्स
- Muslim women namaz के बाद पुणे के धार्मिक स्थल पर किया गया गौमूत्र से शुद्धिकरण
- घटना पिंपरी चिंचवड़ के मोरया गोसावी समाधि स्थल की, जहां दो मुस्लिम महिलाओं ने नमाज़ अदा की
- हिंदू संगठनों ने “धार्मिक स्थल की मर्यादा भंग” होने का आरोप लगाते हुए किया शिव वंदना और शुद्धिकरण
- पुलिस और प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर हालात को शांत किया
- सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल होने के बाद तेज़ हुई राजनीतिक बहस
मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज़ अदा करने के बाद हिंदू संगठनों का शुद्धिकरण अभियान
महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड़ क्षेत्र में धार्मिक सहिष्णुता पर एक नया सवाल खड़ा हो गया है। यहां के प्रसिद्ध मोरया गोसावी समाधि स्थल पर दो Muslim women namaz अदा करती हुई देखी गईं, जिसके बाद वहां मौजूद हिंदू संगठनों ने कथित रूप से उस स्थान को “अपवित्र” मानते हुए गौमूत्र से शुद्ध किया और शिव वंदना की।
वीडियो वायरल होने से भड़की सामाजिक भावनाएं
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गया है, जिसमें दो Muslim women namaz अदा करते हुए दिखाई दे रही हैं। वीडियो के वायरल होते ही हिंदू सकल समाज से जुड़े कार्यकर्ता समाधि स्थल पर पहुंचे और वहां ‘शुद्धिकरण’ प्रक्रिया शुरू कर दी। उन्होंने नारेबाजी करते हुए इसे “धार्मिक भावनाओं का अपमान” बताया।
🪩 मुस्लिम महिला ने पढ़ी नमाज़ तो उस स्थान को गौमूत्र से किया गया शुद्धिकरण।
महाराष्ट्र पुणे के पिंपरी चिंचवड़ में मोरया गोसावी की समाधि स्थल के आसपास दो मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज अदा करने के बाद,
हिंदू सकल समाज ने उस स्थान को गौमूत्र से शुद्ध किया और वहां शिव वंदना की।… pic.twitter.com/KlcrI8Zz3B
— IND Story’s (@INDStoryS) April 30, 2025
प्रशासन ने क्या कदम उठाए?
पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने तत्काल प्रभाव से मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला संवेदनशील है और वे दोनों समुदायों के लोगों से संयम बरतने की अपील कर रहे हैं। फिलहाल इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन Muslim women namaz को लेकर सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक कृत्यों पर बहस फिर से शुरू हो गई है।
पिंपरी चिंचवड़ पुलिस उपायुक्त का बयान
पुलिस उपायुक्त अजय बंसोड़े ने कहा:
“यह घटना एक सांप्रदायिक विवाद का रूप न ले, इसके लिए हम दोनों पक्षों से संवाद कर रहे हैं। Muslim women namaz का वीडियो जांच के दायरे में है और अगर किसी ने कानून का उल्लंघन किया है तो कार्रवाई की जाएगी।”
धर्मस्थलों पर निजी प्रार्थना: अधिकार या अतिक्रमण?
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक गतिविधियों को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं। Muslim women namaz जैसे कृत्य जहां धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा हो सकते हैं, वहीं यह दूसरों के लिए असहमति का विषय भी बन सकते हैं, खासकर यदि वह स्थान किसी विशेष धर्म से जुड़ा हो।
क्या समाधि स्थल सार्वजनिक स्थान है?
स्थानीय प्रशासन के अनुसार मोरया गोसावी समाधि स्थल एक सार्वजनिक स्थल है, लेकिन उसकी देखरेख हिंदू ट्रस्ट द्वारा की जाती है। इस ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि वहां Muslim women namaz करना “स्थल की मर्यादा के विरुद्ध” है।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर राजनीतिक दलों की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा:
“हर भारतीय को संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया है। यदि दो Muslim women namaz पढ़ती हैं, तो उसमें किसी प्रकार की आपत्ति नहीं होनी चाहिए।”
भाजपा की प्रतिक्रिया
वहीं भाजपा नेताओं ने इसे “सोची-समझी उकसावे की कार्रवाई” करार दिया।
सोशल मीडिया पर फैला आक्रोश
घटना से जुड़ा वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। एक वर्ग इसे Muslim women namaz के खिलाफ धार्मिक असहिष्णुता बता रहा है, वहीं दूसरा वर्ग इसे “धार्मिक स्थल की मर्यादा का उल्लंघन” करार दे रहा है। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर #MuslimWomenNamaz हैशटैग ट्रेंड कर रहा है।
इतिहास में ऐसे और भी मामले
भारत में इससे पहले भी Muslim women namaz को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं:
- उत्तर प्रदेश के एक मंदिर के बाहर नमाज़ पढ़ने पर हुए बवाल
- कर्नाटक में स्कूलों में हिजाब विवाद से उपजा बड़ा राजनीतिक संकट
- दिल्ली विश्वविद्यालय में मुस्लिम छात्रों द्वारा सार्वजनिक नमाज़ पर उठा विवाद
विशेषज्ञों की राय
धार्मिक मामलों के जानकार प्रोफेसर मोहम्मद अली का कहना है:
“Muslim women namaz पर आपत्ति करना संविधान की मूल भावना के विरुद्ध है। हां, यदि वह स्थान किसी एक धर्म विशेष का है और वहाँ नियम स्पष्ट हैं, तो सहमति से ही धार्मिक क्रियाएं होनी चाहिए।”
वहीं हिंदू संस्कृति पर शोध करने वाले प्रोफेसर शंकरलाल मिश्रा ने कहा:
“हर धर्मस्थल की एक धार्मिक पवित्रता होती है। Muslim women namaz जैसे कार्य वहां बिना अनुमति के करना सही नहीं है।”
संवाद की आवश्यकता
इस घटना ने एक बार फिर इस बात की ओर इशारा किया है कि धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक संवाद की भारत में कितनी ज़रूरत है। Muslim women namaz जैसी घटनाएं केवल भावनाओं की परीक्षा नहीं, बल्कि लोकतंत्र की भी कसौटी हैं। यदि संवाद के माध्यम से समाधान निकाला जाए, तो ऐसे विवादों से बचा जा सकता है।