हाइलाइट्स
- Muslim Women in Varanasi बनीं धार्मिक सद्भाव की मिसाल, उतारी जगद्गुरु की आरती
- पातालपुरी मठ में गुरु पूर्णिमा पर हुआ भव्य कार्यक्रम
- जगद्गुरु बालक देवाचार्य ने दिया भाईचारे और समरसता का संदेश
- आरती में शामिल मुस्लिम महिलाओं ने कहा, “गुरु-शिष्य परंपरा में धर्म और जाति नहीं देखी जाती”
- वाराणसी में गंगा-जमुनी तहज़ीब की झलक, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
वाराणसी में अद्भुत दृश्य: मुस्लिम महिलाओं ने उतारी जगद्गुरु की आरती
वाराणसी, जिसे सनातन धर्म की राजधानी कहा जाता है, वहां Muslim Women in Varanasi ने जो दृश्य प्रस्तुत किया वह भारतीय संस्कृति के उस पहलू को सामने लाता है जहां धर्म नहीं, मानवता पहले है। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर पातालपुरी मठ में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में मुस्लिम महिलाओं ने जगद्गुरु बालक देवाचार्य की आरती उतारकर न सिर्फ गुरु-शिष्य परंपरा को सम्मान दिया बल्कि धार्मिक एकता की अद्वितीय मिसाल भी पेश की।
पातालपुरी मठ में हुआ समरसता का उत्सव
गुरु पूर्णिमा पर हजारों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर वाराणसी के प्रसिद्ध पातालपुरी मठ में भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर देशभर से संत, शिष्य और श्रद्धालु उपस्थित हुए। लेकिन कार्यक्रम का केंद्रबिंदु बनीं Muslim Women in Varanasi, जिन्होंने पूरे श्रद्धा भाव से जगद्गुरु बालक देवाचार्य की आरती उतारी।
मुस्लिम महिलाओं ने कहा— ‘गुरु सबके होते हैं’
कार्यक्रम में उपस्थित एक मुस्लिम महिला, नसीम बानो ने कहा—
“हमने कभी धर्म की दीवार नहीं मानी। हमारे लिए गुरु वही होते हैं जो ज्ञान और सत्य का मार्ग दिखाएं। बालक देवाचार्य जी के प्रवचनों ने हमारी सोच बदली है।”
कौन हैं जगद्गुरु बालक देवाचार्य?
जगद्गुरु बालक देवाचार्य वाराणसी स्थित पातालपुरी मठ के प्रमुख संत हैं, जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। उनका संदेश हमेशा से धार्मिक समरसता, जातिविहीन समाज और मानवता की ओर रहा है। उन्होंने कई बार Muslim Women in Varanasi सहित अन्य समुदायों को अपने प्रवचनों में आमंत्रित कर भाईचारे का माहौल बनाया है।
वाराणसी: मुस्लिम महिलाओं ने उतारी जगद्गुरु बालक देवाचार्य की आरती
◆ गुरु पूर्णिमा पर पातालपुरी मठ में हुआ कार्यक्रम का आयोजन
◆ कहा-“गुरु और शिष्य की परम्परा में धर्म और जाति का भेद नहीं”#Varanasi | Varanasi | #GuruPurnima2025 pic.twitter.com/vZVjcEO6cx
— News24 (@news24tvchannel) July 10, 2025
बालक देवाचार्य का संदेश
बालक देवाचार्य ने मंच से कहा,
“गुरु और शिष्य का संबंध आत्मिक होता है। वहां धर्म, जाति, मज़हब का कोई स्थान नहीं होता। यह दृश्य मेरी साधना का सच्चा फल है।”
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ दृश्य
लोग बोले— ‘यही है असली भारत’
Muslim Women in Varanasi द्वारा आरती उतारने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोग इसे भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब की असली तस्वीर बता रहे हैं। वीडियो में महिलाएं भगवा वस्त्र में, हाथों में आरती की थाल लिए हुए दिखाई दे रही हैं और ‘गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु’ का पाठ करती नज़र आ रही हैं।
ट्रेंड हुआ #MuslimWomenInVaranasi
सोशल मीडिया पर #MuslimWomenInVaranasi ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग इन महिलाओं की सराहना कर रहे हैं। ट्विटर यूजर सौरभ मिश्रा लिखते हैं,
“जब मुस्लिम बहनें हिंदू गुरु की आरती उतारें, तो समझिए समाज बदल रहा है। यही भारतीयता है।”
धार्मिक उन्माद के दौर में सौहार्द की छवि
कट्टरपंथियों की आलोचना और संतों की प्रशंसा
हालांकि कुछ कट्टरपंथी समूहों ने इसे “धर्मांतरण का नया रूप” बताकर आलोचना की, लेकिन मुख्यधारा के संतों और समाज के बुद्धिजीवियों ने इस पहल की प्रशंसा की। Muslim Women in Varanasi के इस कदम को साहसी और प्रेरणादायक कहा जा रहा है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सराहना
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि,
“धर्मों के बीच संवाद और सौहार्द से ही राष्ट्र मजबूत बनता है। यह एक आदर्श उदाहरण है।”
वाराणसी: धार्मिक सद्भाव की ऐतिहासिक भूमि
वाराणसी सदियों से गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक रही है। यहां कबीरदास से लेकर रविदास तक ने धार्मिक एकता और मानवता का पाठ पढ़ाया। Muslim Women in Varanasi की यह पहल उसी परंपरा की पुनर्पुष्टि करती है।
बदलते भारत की प्रेरक तस्वीर
यह घटना न केवल धार्मिक एकता का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की उस विचारधारा को मज़बूत करती है जिसमें “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना रची-बसी है। Muslim Women in Varanasi का यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण है कि धर्म के नाम पर दीवारें नहीं, बल्कि पुल बनाए जाने चाहिए।