सिर से दुपट्टा फिसलना बना खौफनाक सज़ा की वजह, मुस्लिम पति ने जो किया, उसे जानकर दहल उठे लोग! वायरल वीडियो

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हाइलाइट्स

  • मुस्लिम पति ने पत्नी के सिर पर दुपट्टा न होने की सजा दी, बाल काटकर किया अपमानित
  • महिला ने थाने में दी शिकायत, लेकिन समाज और पुलिस की चुप्पी ने उठाए कई सवाल
  • आरोपी पति का तर्क- यह “पारिवारिक मामला” है, कोई दखल न दे
  • मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना को बताया ‘घरेलू हिंसा की घिनौनी मिसाल’
  • सामाजिक और धार्मिक नियमों के नाम पर महिलाओं पर अत्याचार कितने जायज?

 घटना का पूरा विवरण

उत्तर प्रदेश के एक छोटे कस्बे में सामने आई यह घटना न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि क्या एक मुस्लिम पति को धार्मिक परंपराओं के नाम पर अपनी पत्नी पर अत्याचार करने का हक है?

मामला तब सामने आया जब एक 26 वर्षीय महिला, जिसका नाम गुप्त रखा गया है, अपने थाने पहुंची और बताया कि उसके मुस्लिम पति ने सिर्फ इसलिए उसके बाल काट दिए क्योंकि उसने बिना दुपट्टा सिर ढके ही दरवाज़ा खोल दिया था। यह बात उसके पति को इतनी नागवार गुज़री कि उसने उसी वक्त कैंची से उसके बाल काट डाले।

 “ये हमारा पारिवारिक मामला है”

सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि जब महिला के मायके वालों ने इस बर्बरता पर विरोध किया, तो आरोपी मुस्लिम पति ने बेहद ठंडे लहजे में जवाब दिया— “ये हमारा पारिवारिक मामला है, आप इसमें दखल न दें।” यही बात उसने पुलिस के सामने भी दोहराई, और चौंकाने वाली बात यह रही कि थानेदार ने भी मामले को “घरेलू विवाद” बताकर ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की।

 घरेलू हिंसा या धार्मिक आस्था?

यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या कोई धर्म किसी पति को यह अधिकार देता है कि वह अपनी पत्नी के साथ इस तरह का व्यवहार करे? मुस्लिम पति के इस रवैये को कुछ लोग धार्मिक अनुशासन बता रहे हैं, जबकि मानवाधिकार संगठन इसे खुली घरेलू हिंसा मान रहे हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन वेलफेयर फाउंडेशन की सदस्य नाजिया बेग कहती हैं,

“इस तरह की घटनाएं महिलाओं को और ज़्यादा डरा देती हैं। यह केवल एक महिला की बात नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज की सोच पर सवाल है।”

 महिला की आपबीती: “मैं कोई वस्तु नहीं”

पीड़िता ने मीडिया से बात करते हुए कहा:

“मैंने बस दरवाज़ा खोला था, मेरे सिर से दुपट्टा खिसक गया था। मेरे पति को यह मंज़ूर नहीं था। उन्होंने बिना कुछ बोले कैंची उठाई और मेरे बाल काट दिए। उन्होंने कहा कि अब मैं किसी के सामने मुंह नहीं दिखा सकती। क्या मैं कोई वस्तु हूं?”

उसकी आंखों में डर और बेबसी साफ़ झलक रही थी। यह वही डर है जो हजारों महिलाएं चुपचाप झेलती हैं, लेकिन बोलती नहीं।

 कानून क्या कहता है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 498A, 504 और 323 के तहत किसी महिला के साथ शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न को अपराध माना गया है। अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी पर इस तरह की जबरदस्ती करता है, तो यह न केवल अपराध है, बल्कि उसे सज़ा भी हो सकती है। लेकिन दुर्भाग्यवश, कई बार इसे “पारिवारिक मामला” बताकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।

 पुलिस की भूमिका पर सवाल

इस मामले में पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठते हैं। महिला ने बाकायदा शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट दर्ज करने में देरी हुई। लोकल थानेदार ने यह कहकर टाल दिया कि यह एक घरेलू मामला है, दोनों पक्ष बैठकर बात करें।

क्या यही संवेदनशीलता होनी चाहिए जब मामला सीधे एक महिला की गरिमा से जुड़ा हो?

 मुस्लिम समाज के अंदर से भी उठी आवाज़

कई प्रगतिशील मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने इस घटना की निंदा की है। लखनऊ के मौलाना रईस हाशमी ने कहा:

“इस्लाम में जबरदस्ती की कोई जगह नहीं है। कोई भी मुस्लिम पति अगर इस तरह का कृत्य करता है, तो वह शरीयत के खिलाफ जाता है।”

उन्होंने आगे कहा कि महिला की गरिमा और इज़्ज़त का ध्यान रखना हर पुरुष का फर्ज है, न कि उसे शर्मिंदा करना।

समाज में गूंजती चीखें: कब मिलेगा न्याय?

आज सवाल यह नहीं है कि यह घटना एक मुस्लिम घर में हुई या हिंदू घर में। सवाल यह है कि क्या पति को यह अधिकार है कि वह अपनी पत्नी के शरीर, बाल, या पहनावे पर इस कदर हुकूमत करे?

मुस्लिम पति अगर धार्मिक नियमों के नाम पर यह दावा करता है कि उसकी पत्नी को हर समय सिर ढकना चाहिए, तो क्या यह नियम उसकी मर्जी से ऊपर हो जाता है?

चुप्पी नहीं, ज़रूरत है प्रतिरोध की

हर बार जब कोई महिला अपने घर में अपमानित होती है और हम उसे “पारिवारिक मामला” बताकर चुप हो जाते हैं, तब हम अपराध को प्रोत्साहित करते हैं। मुस्लिम पति हो या किसी और धर्म का पुरुष, कोई भी महिला के आत्म-सम्मान को ठेस नहीं पहुंचा सकता।

समाज को अब यह तय करना होगा कि ऐसे अपराधों को “घरेलू विवाद” कहकर बचने नहीं दिया जा सकता।

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