हाइलाइट्स
- Muslim fruit vendor को ब्रजघाट पर ठेला लगाने से रोका गया, धार्मिक टिप्पणी की गई।
- ठेकेदार व अन्य व्यक्तियों द्वारा “तुम मुल्ले हो” कहकर अपमानित किया गया।
- पीड़ित ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया, मामला हुआ वायरल।
- पुलिस प्रशासन ने की पुष्टि, जांच शुरू।
- मानवाधिकार संगठनों ने घटना पर चिंता जताई, सांप्रदायिक सौहार्द्र की अपील।
घटना का पूरा विवरण
उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले में स्थित गंगा नदी के पवित्र घाट ब्रजघाट पर एक Muslim fruit vendor के साथ धार्मिक भेदभाव और अपमानजनक व्यवहार का गंभीर मामला सामने आया है। घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कैसे उस विक्रेता से जबरन कहा गया कि वह अपनी ठेली पर लिखे – “तुम मुल्ले हो”, और उसे धमकी दी गई कि वह दोबारा ब्रजघाट न आए।
घटना ने सोशल मीडिया पर जनाक्रोश और बहस को जन्म दिया है, वहीं प्रशासन भी हरकत में आया है।
पीड़ित का पक्ष: “धंधा करना अब गुनाह हो गया है क्या?”
पीड़ित Muslim fruit vendor का नाम अब्दुल रहीम (परिवर्तित नाम) बताया जा रहा है। उसने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से ब्रजघाट पर मौसमी फल बेचता आ रहा है और कभी किसी प्रकार की शिकायत नहीं हुई। लेकिन हाल ही में, घाट के एक स्थानीय ठेकेदार और अन्य कुछ लोगों ने मिलकर न सिर्फ उसका अपमान किया बल्कि उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित करते हुए उसकी ठेली पर “तुम मुल्ले हो” लिखवाने का प्रयास किया।
हापुड़ ज़िले में गंगा ब्रजघाट पर एक मुस्लिम फल विक्रेता से कहा गया तुम अपनी ठेली पर लिखवाओ तुम मुल्ले हो, और उससे दुबारा वहां न आने को कहा गया pic.twitter.com/6EFm6L2BmP
— Millat Times (@Millat_Times) April 30, 2025
“मैंने सोचा था रोज़ी कमाने के लिए मेहनत कर रहा हूँ, लेकिन अब लगता है मेरी पहचान ही मेरा गुनाह बन गई है,” – अब्दुल रहीम, Muslim fruit vendor।
वायरल वीडियो और जन-प्रतिक्रिया
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें साफ़ देखा जा सकता है कि Muslim fruit vendor को किस तरह धमकाया जा रहा है। वीडियो में अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया गया है।
वीडियो वायरल होते ही ट्विटर, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर लोगों ने गुस्सा ज़ाहिर किया और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की।
प्रशासन का बयान: “किसी भी प्रकार की धार्मिक भेदभाव की अनुमति नहीं”
हापुड़ पुलिस ने सोशल मीडिया पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि घटना की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। Muslim fruit vendor की शिकायत दर्ज कर ली गई है और उसके बयान लिए जा चुके हैं।
हापुड़ के एसपी अभिषेक वर्मा ने कहा:
“उत्तर प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। धार्मिक आधार पर किसी प्रकार का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और कई सामाजिक संगठनों ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे समाज की सोच पर सवाल उठाता है।
Muslim fruit vendor के समर्थन में कई कार्यकर्ताओं ने आवाज़ उठाई है और कहा है कि इस प्रकार की घटनाएं भारत के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को आहत करती हैं।
सांप्रदायिक सौहार्द्र पर संकट?
भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में जब एक Muslim fruit vendor को उसकी धार्मिक पहचान के कारण अपमानित किया जाता है, तो यह न केवल संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी है बल्कि सामाजिक तानेबाने को भी कमजोर करती है।
घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आज भी सड़क पर व्यापार करने वाले व्यक्ति को अपनी धार्मिक पहचान छुपानी पड़ेगी? क्या भारत का नागरिक होने के बावजूद Muslim fruit vendor को सुरक्षित माहौल नहीं मिल सकता?
सोशल मीडिया पर दो पक्ष
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर दो विचारधाराएं उभरकर सामने आई हैं – एक ओर लोग खुलकर Muslim fruit vendor के समर्थन में खड़े हैं और दूसरी ओर कुछ लोग इसे “अतिसंवेदनशील प्रतिक्रिया” बता रहे हैं।
हालांकि, इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक पहचान को लेकर अभी भी समाज में एक गहरी खाई मौजूद है, जिसे पाटने की ज़रूरत है।
एक नागरिक की गरिमा बनाम सांप्रदायिक सोच
Muslim fruit vendor के साथ जो कुछ हुआ वह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे संविधान की गरिमा को ठेस पहुँचाता है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति को समान अवसर, सम्मान और सुरक्षा मिले, चाहे उसकी धार्मिक पहचान कुछ भी हो।
यह घटना एक चेतावनी है – अगर आज हम चुप रहे, तो कल यह असहिष्णुता और गहराई तक समा जाएगी। ज़रूरत है संवैधानिक मूल्यों की पुनः पुष्टि की, और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की।