हाइलाइट्स
- मुस्लिम देशों में शराब के सेवन पर कड़ा प्रतिबंध होने के बावजूद खपत लगातार बढ़ रही है।
- कुछ मुस्लिम देशों में शराब की बिक्री केवल विदेशी नागरिकों के लिए वैध है।
- WHO की रिपोर्ट में कई अरब देशों में शराब की बढ़ती खपत का खुलासा।
- स्वास्थ्य और कानूनी दृष्टिकोण से शराब के सेवन के खतरनाक परिणाम।
- शराब तस्करी और जहरीली शराब के कारण होने वाली मौतों की बढ़ती घटनाएँ।
मुस्लिम देशों में शराब: प्रतिबंध और वास्तविकता
इस्लामिक कानून में शराब पीना सख्त मना है, इसलिए कई मुस्लिम देशों में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है। बावजूद इसके, मुस्लिम देशों में शराब का सेवन और तस्करी लगातार बढ़ रही है। विभिन्न रिपोर्टों और सर्वेक्षणों के अनुसार, जिन देशों में आम जनता के लिए शराब पर प्रतिबंध है, वहाँ भी लोग चोरी-छिपे शराब का सेवन करते हैं।
सऊदी अरब और पाकिस्तान जैसे देशों में शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। सऊदी अरब में 2019 में जहरीली शराब के सेवन से 19 लोगों की मौत हुई थी, जो स्पष्ट करता है कि प्रतिबंधों के बावजूद शराब का सेवन जारी है।
किन देशों में शराब का सेवन वैध है?
कुछ मुस्लिम देश ऐसे भी हैं जहाँ शराब का सेवन चुनिंदा लोगों के लिए वैध है।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE): शराब केवल विदेशी नागरिकों और होटल/बार में उपलब्ध है।
- सऊदी अरब: हाल ही में कुछ विदेशी अधिकारियों के लिए शराब की अनुमति दी गई है, लेकिन आम जनता के लिए प्रतिबंध कायम है।
- ट्यूनीशिया और बहरीन: सीमित मात्रा में शराब की बिक्री वैध है, और विदेशी नागरिक आसानी से इसे खरीद सकते हैं।
इन देशों में शराब की खपत मुख्यतः पर्यटन और विदेशी कर्मचारियों तक ही सीमित रहती है।
मुस्लिम देशों में शराब की खपत का आंकलन
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, कई मुस्लिम देशों में शराब की खपत लगातार बढ़ रही है।
- UAE और बहरीन में प्रति व्यक्ति शराब की खपत उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।
- जॉर्डन में विश्वविद्यालय के सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 3% छात्र ही शराब का सेवन करते हैं, लेकिन यह बढ़ती प्रवृत्ति दर्शाती है कि युवाओं में यह धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है।
- पाकिस्तान में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध है, फिर भी तस्करी और चोरी-छिपे सेवन बढ़ रहा है। यहाँ शराब पीने पर 80 कोड़े की सज़ा का प्रावधान है।
इस तरह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम देशों में शराब के प्रतिबंध कानून के बावजूद खपत बढ़ती जा रही है।
शराब के सेवन के तरीके और स्वास्थ्य पर प्रभाव
मुस्लिम देशों में शराब का सेवन अक्सर दवा या औषधीय उपयोग के रूप में किया जाता है। कुछ देशों में केवल मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के तहत शराब का उपयोग वैध है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि शराब का सेवन लिवर, हृदय और मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
- जहरीली शराब का सेवन सीधे मौत का कारण बन सकता है।
- अत्यधिक शराब पीने से मानसिक रोग और सामाजिक समस्याएँ बढ़ती हैं।
- प्रतिबंधित शराब अक्सर असुरक्षित होती है, जो स्वास्थ्य जोखिम को और बढ़ा देती है।
शराब तस्करी और कानूनी संकट
मुस्लिम देशों में शराब की तस्करी एक आम समस्या बन चुकी है।
- बांग्लादेश और पाकिस्तान में शराब की तस्करी लगातार सामने आती है।
- तस्करी और चोरी-छिपे बिक्री के कारण स्थानीय प्रशासन के लिए नियंत्रण करना मुश्किल होता है।
- जहरीली शराब के सेवन से होने वाली मौतें सरकारों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, कड़ाई से लागू कानून और सार्वजनिक जागरूकता अभियान ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
हालांकि इस्लाम में शराब पीना गुनाह माना जाता है, मुस्लिम देशों में शराब का सेवन और तस्करी लगातार बढ़ रही है। प्रतिबंधों और कानूनी सज़ाओं के बावजूद लोग इसे खोज निकालते हैं, और इसके स्वास्थ्य व सामाजिक प्रभावों के बावजूद खपत जारी रहती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि केवल कानूनी नियंत्रण ही नहीं, बल्कि शिक्षा और सामाजिक जागरूकता भी आवश्यक है, ताकि मुस्लिम देशों में शराब से होने वाले खतरों को रोका जा सके।
मुस्लिम देशों में शराब का यह वास्तविक परिदृश्य यह दिखाता है कि कानून और सामाजिक नियमों के बीच संतुलन बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण है।