हाइलाइट्स
- मेरठ में नाबालिग भाइयों ने 14 साल के लड़के की पीट-पीटकर हत्या कर दी, ‘नाबालिग भाइयों ने हत्या’ बना सनसनीखेज फोकस कीवर्ड।
- घटना टेंपो स्टैंड के पास हुई, जहां साइकिल खराब होने पर लड़का जा रहा था पैदल।
- आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में हुई कहासुनी और फिर जानलेवा हमला।
- मृतक के परिवार ने आरोपियों के माता-पिता पर भी लापरवाही का आरोप लगाया।
- दोनों परिवार अनुसूचित जाति से संबंधित, पुलिस ने सभी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया।
उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र को दहशत और आक्रोश में डाल दिया है। गगोल गांव में रहने वाले 14 वर्षीय छात्र चिराग उर्फ मुरली की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। नाबालिग भाइयों ने हत्या को अंजाम दिया, जिससे यह मामला और भी भयावह बन गया है, क्योंकि अपराधियों की उम्र कानूनन सज़ा देने की जटिलता को दर्शाती है।
घटना का पूरा ब्यौरा
साइकिल की खराबी बनी विवाद की शुरुआत
गुरुवार की शाम करीब 5 बजे, चिराग उर्फ मुरली अपनी खराब साइकिल को लेकर गगोल के टेंपो स्टैंड की ओर गया था। साइकिल का वॉल्व खराब था और वह जहीर की दुकान पर उसे दिखाने गया था। दुकान पर वॉल्व न मिलने के कारण वह पैदल ही घर लौट रहा था। इसी दौरान अपने घर के बाहर बैठे नाबालिग दो सगे भाइयों ने उस पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी।
विरोध करने पर भड़क गए आरोपी
चिराग ने टिप्पणी का विरोध किया, जिससे विवाद शुरू हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बात इतनी बढ़ गई कि दोनों नाबालिग भाइयों ने हत्या की नीयत से उस पर हमला कर दिया। लात-घूंसे मारते हुए उन्होंने चिराग को तब तक पीटा, जब तक उसकी सांसें नहीं थम गईं।
चिराग की मौत और पुलिस की कार्रवाई
माता-पिता की भूमिका भी आई संदेह के घेरे में
जिस वक्त यह घटना हो रही थी, उस समय आरोपी भाइयों के माता-पिता भी वहीं मौजूद थे। लेकिन उन्होंने चिराग को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। इस पर चिराग के पिता जयभगवान ने थाने में दी गई तहरीर में आरोप लगाया कि माता-पिता की मौन सहमति भी इस हत्या की ज़िम्मेदार है। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए नाबालिग भाइयों ने हत्या के आरोप में दोनों भाइयों के साथ-साथ उनके माता-पिता पर भी हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी मौत
घटना के बाद स्थानीय लोगों और चिराग के परिवार ने मिलकर उसे भूड़बराल सीएचसी पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया और लोगों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया।
सामाजिक पृष्ठभूमि और जातीय पहलू
दोनों ही परिवार अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखते हैं। इस कारण से मामला सामाजिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील हो गया है। पुलिस प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए गांव में सुरक्षा बढ़ा दी है और शांति बनाए रखने की अपील की है।
चिराग का परिवार और भविष्य की चिंता
चिराग अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और कक्षा नौ का छात्र था। उसकी एक छोटी बहन भी है। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही बहुत अच्छी नहीं थी, ऐसे में बेटे की मौत ने पूरे परिवार की रीढ़ तोड़ दी है।
जयभगवान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मेरा बेटा बहुत होशियार था। उसे डॉक्टर बनाना चाहता था, लेकिन नाबालिग भाइयों ने हत्या कर मेरे सारे सपनों को खत्म कर दिया।”
पुलिस जांच और आगे की कार्यवाही
परतापुर थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों नाबालिग आरोपियों को बाल सुधार गृह भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही उनके माता-पिता को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के अनुसार, “हमने मामले में सभी पक्षों से जानकारी एकत्र की है। चिराग की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्टि हो चुकी है कि मौत पिटाई से ही हुई। आगे की कार्रवाई जल्द ही पूरी की जाएगी।”
विशेषज्ञों की राय: नाबालिग अपराधियों को कैसे सुलझाएं
वर्तमान में किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) के तहत नाबालिगों के खिलाफ सज़ा देने की प्रक्रिया जटिल है। लेकिन जब कोई नाबालिग भाइयों ने हत्या जैसा गंभीर अपराध करता है, तो समाज में बहस छिड़ जाती है कि क्या ऐसे अपराधियों को वयस्कों जैसा ही दंड मिलना चाहिए?
बच्चों में बढ़ती हिंसा पर सवाल
यह घटना न सिर्फ न्याय और कानून की दृष्टि से चिंता का विषय है, बल्कि सामाजिक मानसिकता पर भी सवाल खड़ा करती है। किशोरों में बढ़ती आक्रामकता, सोशल मीडिया का प्रभाव, और पारिवारिक संस्कारों की कमी को इसकी जड़ में माना जा सकता है।
क्या वाकई सुरक्षित हैं हमारे बच्चे?
इस घटना ने एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारे समाज में बच्चे अब सुरक्षित हैं? क्या स्कूली छात्रों को अब रास्ते पर चलते हुए भी डरना पड़ेगा? जब नाबालिग भाइयों ने हत्या जैसे अपराध करने लगे हैं, तब सवाल सिर्फ कानून का नहीं, पूरे समाज के चरित्र का है।