mRNA lung cancer vaccine

फेफड़ों के कैंसर की पहली वैक्सीन पर 7 देशों की संयुक्त कोशिश, 67 वर्षीय बुजुर्ग को लगा पहला डोज – क्या यही इलाज की नई दिशा है?

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हाइलाइट्स

  • mRNA lung cancer vaccine का पहला क्लिनिकल ट्रायल 7 देशों में हुआ शुरू, कैंसर उपचार में क्रांति की उम्मीद
  • BNT116 नाम की यह वैक्सीन फेफड़ों के कैंसर के सबसे घातक रूप NSCLC पर केंद्रित
  • पहली बार ब्रिटेन के 67 वर्षीय मरीज पर हुआ परीक्षण, मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया
  • BioNTech कंपनी ने अगस्त 2024 में किया वैक्सीन का उद्घाटन, कोविड वैक्सीन जैसी तकनीक का इस्तेमाल
  • हर साल 18 लाख मौतों की वजह बन रहा है फेफड़ों का कैंसर, अब mRNA lung cancer vaccine से जगी नई आशा

फेफड़ों के कैंसर से जूझ रही दुनिया को एक बड़ी राहत देते हुए जर्मनी की बायोटेक्नोलॉजी कंपनी BioNTech ने हाल ही में पहली mRNA lung cancer vaccine BNT116 को लॉन्च किया है। इस वैक्सीन का परीक्षण सात देशों—यूके, यूएस, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, स्पेन और तुर्की—में 34 स्थानों पर प्रारंभ किया गया है। यह वही कंपनी है जिसने कोविड-19 के समय Pfizer के साथ मिलकर mRNA वैक्सीन विकसित की थी।

 कब और कैसे शुरू हुआ ट्रायल?

 अगस्त 2024 में शुरू हुआ पहला चरण

BioNTech ने अगस्त 2024 में mRNA lung cancer vaccine का पहला क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया। यह ट्रायल नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) पर केंद्रित है, जो फेफड़े के कैंसर का सबसे आम और घातक रूप है। 130 मरीजों को इस परीक्षण में शामिल किया गया है, जिनमें से 20 अकेले ब्रिटेन के हैं।

 क्या है इस वैक्सीन का उद्देश्य?

इस वैक्सीन का उद्देश्य इम्यून सिस्टम को सक्रिय करना है ताकि वह कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें समाप्त कर सके, ठीक उसी तरह जैसे mRNA कोविड वैक्सीन ने शरीर को वायरस के खिलाफ तैयार किया था। mRNA lung cancer vaccine इस दिशा में नई उम्मीद की किरण है।

पहली बार जिस मरीज को दी गई वैक्सीन

 लंदन के वैज्ञानिक की प्रेरणादायक कहानी

67 वर्षीय जानुस राज, जो कि एक एआई वैज्ञानिक हैं, उन्हें पहली बार mRNA lung cancer vaccine दी गई। मई 2024 में उन्हें कैंसर का पता चला, जिसके बाद उन्होंने कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के साथ इस क्लिनिकल ट्रायल में भाग लेने का निर्णय लिया। उनका कहना है, “मैं समझता हूं कि यह वैक्सीन मेरे जैसे हजारों मरीजों के लिए उम्मीद बन सकती है।”

 कैसे काम करती है mRNA lung cancer vaccine

 क्या है mRNA तकनीक?

mRNA तकनीक शरीर को एक प्रकार का ‘निर्देश पत्र’ देती है, जिसके माध्यम से शरीर कैंसर सेल्स की पहचान कर उन्हें खत्म करने की क्षमता विकसित करता है। NSCLC में यह विशेष रूप से प्रभावी हो सकती है क्योंकि इसमें कोशिकाओं की वृद्धि बहुत तेज होती है।

 कीमोथेरेपी से कैसे अलग है यह वैक्सीन?

कीमोथेरेपी जहां शरीर की सामान्य और कैंसर सेल्स दोनों को नुकसान पहुंचाती है, वहीं mRNA lung cancer vaccine केवल कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करती है। इससे शरीर की सामान्य कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं और साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं।

 फेफड़ों के कैंसर के आंकड़े

 क्यों है यह वैक्सीन जरूरी?

फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है। रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल लगभग 1.8 मिलियन लोग इसकी चपेट में आकर जान गंवाते हैं। NSCLC इसके सबसे सामान्य और जानलेवा प्रकारों में से एक है, जिसमें पांच साल जीवित रहने की दर बहुत कम होती है।

 वैश्विक स्तर पर क्या है स्थिति?

 कौन-कौन से देश ले रहे हैं भाग?

ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, स्पेन और तुर्की में इस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है। कुल 34 साइट्स पर चल रहे ट्रायल्स में 130 मरीजों को इम्यूनोथेरेपी के साथ mRNA lung cancer vaccine दी जा रही है।

 सफलता की संभावना कितनी?

हालांकि अभी यह केवल फेज-1 ट्रायल है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह सफल होता है, तो जल्द ही फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स की घोषणा होगी और कुछ वर्षों में यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो सकती है।

 विशेषज्ञों की राय

 क्या कहते हैं कैंसर विशेषज्ञ?

कैंसर विशेषज्ञों का मानना है कि mRNA lung cancer vaccine आने वाले वर्षों में कैंसर के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। यह वैक्सीन न केवल शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि कैंसर कोशिकाओं को प्रभावी ढंग से खत्म करने की क्षमता भी रखती है।

 भविष्य की राह

 अगला चरण क्या होगा?

अगर शुरुआती नतीजे सकारात्मक रहते हैं तो BioNTech इस वैक्सीन के उन्नत ट्रायल्स शुरू करेगा और 2026 तक इसके व्यापक उपयोग की संभावना बन सकती है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो यह वैक्सीन लाखों लोगों की जान बचा सकती है।

फेफड़ों का कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन mRNA lung cancer vaccine के आगमन से अब यह एक लाइलाज रोग नहीं रह गया है। आधुनिक विज्ञान ने इस वैक्सीन के माध्यम से एक ऐसा हथियार विकसित किया है जो मानवता के लिए वरदान साबित हो सकता है। अब बस इंतजार है कि यह परीक्षण सफल हो और जल्द से जल्द इसे वैश्विक स्तर पर लागू किया जा सके।

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