हाइलाइट्स
- Morocco Goat Ban को लेकर देशभर में आक्रोश, बकरीद से पहले कुर्बानी पर लगी पाबंदी
- शाही फरमान के तहत किंग मोहम्मद VI ने “आर्थिक और स्वास्थ्य कारणों” का दिया हवाला
- सुरक्षाबलों की घर-घर छापेमारी, कई इलाकों से जब्त किए गए कुर्बानी के बकरे
- इस्लामी विद्वानों ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखी सुरक्षाबलों की बर्बरता
मोरक्को में कुर्बानी पर लगे प्रतिबंध ने खड़ा किया बड़ा सवाल
Morocco Goat Ban नामक यह अचानक लिया गया निर्णय न केवल धार्मिक आस्थाओं को झकझोरने वाला है, बल्कि यह मोरक्को की सामाजिक संरचना और धार्मिक आज़ादी पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। बकरीद से ठीक पहले शाही फरमान के ज़रिये कुर्बानी पर लगाई गई रोक ने पूरे देश को दो भागों में बाँट दिया है — एक तरफ सरकार और समर्थक, तो दूसरी ओर नाराज़ जनता और धार्मिक विद्वान।
शाही फरमान और उसकी घोषणा
बकरीद से पहले मोरक्को की जनता के लिए बड़ा झटका
बकरीद इस्लामी कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जहां मुस्लिम समुदाय पारंपरिक रूप से बकरों की कुर्बानी देता है। लेकिन इस वर्ष, Morocco Goat Ban के अंतर्गत किंग मोहम्मद VI ने कुर्बानी के बकरे पर रोक लगाने का फरमान सुनाया है।
“स्वास्थ्य और आर्थिक कारणों” का हवाला
राजा मोहम्मद VI ने इस प्रतिबंध के पीछे “स्वास्थ्य और आर्थिक कारणों” को ज़िम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि देश में चल रही महंगाई, फूड चेन में गड़बड़ी और पशु बीमारियों की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, इसके पक्ष में कोई ठोस वैज्ञानिक या तकनीकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।
जनता और धार्मिक वर्ग में नाराज़गी
इस्लामी परंपराओं पर हमला?
इस फैसले के बाद मोरक्को में जनता का गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, हर जगह लोग इस फैसले की निंदा कर रहे हैं। धार्मिक विद्वानों और मौलवियों ने इसे “इस्लामी परंपराओं पर सीधा हमला” करार दिया है।
घर-घर छापेमारी ने बढ़ाया तनाव
Morocco Goat Ban के लागू होते ही सुरक्षाबलों ने देश के कई शहरों में घर-घर छापेमारी शुरू कर दी। कई स्थानों से बकरे जब्त किए गए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि सुरक्षाबल लोगों के घरों में घुसकर जबरन बकरे ले जा रहे हैं। बच्चों और महिलाओं में डर और चिंता का माहौल है।
राजा की कुर्बानी: आस्था या अपमान?
“राजा खुद करेंगे कुर्बानी”
किंग मोहम्मद VI ने यह बयान दिया है कि इस वर्ष बकरीद पर “वह खुद पूरे देश की ओर से कुर्बानी करेंगे।” लेकिन जनता ने इस बात को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। कई लोगों का कहना है कि यह व्यक्तिगत धार्मिक क्रिया है जिसे कोई दूसरा नहीं कर सकता।
जनता में नाराज़गी
आम नागरिकों का कहना है कि Morocco Goat Ban का तर्क पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उनका मानना है कि सरकार अपनी आर्थिक विफलता और बढ़ती महंगाई से ध्यान भटकाने के लिए धर्म का सहारा ले रही है।
विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
धार्मिक स्वतंत्रता पर चोट
Morocco Goat Ban को लेकर मोरक्को के विपक्षी दलों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी अपनी चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह निर्णय धार्मिक स्वतंत्रता के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। संयुक्त राष्ट्र के धार्मिक स्वतंत्रता पर विशेष प्रतिनिधि ने इस मुद्दे पर “गंभीर चिंता” जताई है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
सांप्रदायिक तनाव की संभावना
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह निर्णय जल्दी वापस नहीं लिया गया, तो देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। मोरक्को जैसे मुस्लिम बहुल देश में Morocco Goat Ban एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
सरकार की साख पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस फैसले ने किंग मोहम्मद VI की लोकप्रियता को प्रभावित किया है। जहां पहले जनता उन्हें एक धर्मनिष्ठ शासक मानती थी, अब उन पर पश्चिमी एजेंडे को लागू करने का आरोप लगाया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
विरोध के स्वर तेज
Morocco Goat Ban को लेकर सोशल मीडिया पर विरोध की लहर तेज हो चुकी है। ट्विटर पर #GoatBanMorocco और #EidFreedom जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे “धार्मिक तानाशाही” बताया, जबकि अन्य ने इसे सरकार की “कट्टरपंथी सेक्युलर नीतियों” का परिणाम कहा।
मीम्स और वीडियो
लोगों ने कई मीम्स और वीडियो बनाकर सरकार की आलोचना की है। एक वीडियो में दिखाया गया कि सुरक्षाबल एक बकरे को वैन में डालते हैं, और बैकग्राउंड में कुरान की आयतें बज रही हैं — यह वीडियो काफी वायरल हुआ।
Morocco Goat Ban एक ऐसा फैसला है जिसने न केवल मोरक्को की धार्मिक पहचान को चुनौती दी है, बल्कि पूरे मुस्लिम विश्व को झकझोर कर रख दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस बढ़ते विरोध के सामने झुकती है या नहीं। फिलहाल, देश में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और लोग बकरीद को बिना कुर्बानी मनाने के लिए मजबूर हैं — एक ऐसा विचार जो उनके लिए न केवल अनोखा, बल्कि अस्वीकार्य भी है।