भारत में धार्मिक यात्राओं के दौरान भगदड़ की घटनाएँ चिंता का विषय बनती जा रही हैं। हाल ही में, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक दुखद घटना घटी, जिसमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 14 महिलाएँ शामिल थीं। ये सभी श्रद्धालु प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में भाग लेने जा रहे थे। यह घटना शनिवार रात को तब हुई जब हजारों यात्री ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर एकत्रित थे। प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा के बाद, फुटब्रिज पर भीड़ बढ़ गई, जिससे कुछ यात्री फिसलकर गिर पड़े और भगदड़ मच गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक आयोजनों के दौरान ऐसी घटनाएँ हुई हैं। पिछले महीने, महाकुंभ मेले के दौरान भी एक भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा, जनवरी 2025 में आंध्र प्रदेश के एक मंदिर के पास भी भगदड़ में छह लोगों की जान गई थी। पिछले 20 वर्षों में, भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान कई बार भगदड़ की घटनाएँ हुई हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की मौत हुई है।
धर्म की बात होती है. 15 दिन के अंदर 50 से ज्यादा लोग धार्मिक यात्रा में मर गए.
सामान्य मौत नहीं, कुचलकर-तड़पकर.
• कहीं कोई विरोध नहीं है
• कोई गुस्सा नहीं है
• मीडिया में कोई सवाल नहीं है
• लापरवाही का कोई जिम्मेदार नहीं हैये वो लोग थे जो घर से पुण्य कमाने निकले थे और..
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) February 16, 2025
वरिष्ठ पत्रकार रणविजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “धर्म की बात होती है। 15 दिन के अंदर 50 से ज्यादा लोग धार्मिक यात्रा में मर गए। सामान्य मौत नहीं, कुचलकर-तड़पकर। कहीं कोई विरोध नहीं है, कोई गुस्सा नहीं है, मीडिया में कोई सवाल नहीं है, लापरवाही का कोई जिम्मेदार नहीं है। ये वो लोग थे जो घर से पुण्य कमाने निकले थे और…”
इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ प्रबंधन में गंभीर खामियाँ हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक आयोजनों में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं, लेकिन सुरक्षा प्रबंधों की कमी के कारण ऐसी त्रासदियाँ घटित होती हैं। सरकार और आयोजकों को मिलकर भीड़ प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
भीड़ प्रबंधन के विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- प्लेटफॉर्म और मार्गों का उचित डिजाइन: रेलवे स्टेशनों और धार्मिक स्थलों पर फुटब्रिज और प्लेटफॉर्म का डिजाइन ऐसा होना चाहिए कि भीड़ आसानी से नियंत्रित की जा सके।
- स्पष्ट और समय पर घोषणाएँ: यात्रियों को समय पर और स्पष्ट जानकारी प्रदान करना आवश्यक है ताकि भ्रम की स्थिति न उत्पन्न हो।
- प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की तैनाती: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त संख्या में तैनाती होनी चाहिए।
- सीसीटीवी और निगरानी प्रणाली: भीड़ की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों और अन्य निगरानी प्रणालियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
- आपातकालीन निकास मार्ग: आपात स्थितियों में तेजी से निकासी के लिए पर्याप्त निकास मार्ग उपलब्ध होने चाहिए।
धार्मिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि समाज के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है कि वे नियमों का पालन करें और संयम बनाए रखें। साथ ही, मीडिया को भी इन मुद्दों पर जागरूकता फैलाने और संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह बनाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
आखिरकार, यह आवश्यक है कि हम अपने धार्मिक विश्वासों का पालन करते समय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें ताकि ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।