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क्या सिर्फ आधुनिक कपड़े पहनने की सजा यह हो सकती है? सऊदी अरब में दो महिलाओं के साथ भरे बाजार में हुई दरिंदगी ने हिला दिया पूरा देश

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हाइलाइट्स

  •  सऊदी अरब में modern clothes पहनने पर दो महिलाओं को झेलनी पड़ी भीड़ की हिंसा और यौन उत्पीड़न।
  • घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने वीडियो बना सोशल मीडिया पर डाला, मामला हुआ वायरल।
  • हिजाब और अबाया न पहनने पर महिलाओं को “अश्लील” कहकर घेरा गया।
  • मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की।
  • यह घटना महिलाओं की स्वतंत्रता और modern clothes पहनने के अधिकार पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।

सऊदी अरब में महिला स्वतंत्रता पर फिर से खतरा?

सऊदी अरब, जहां हाल के वर्षों में महिलाओं को ड्राइविंग, अकेले यात्रा करने और नौकरी करने जैसे अधिकार मिले हैं, वहां एक बार फिर से महिला स्वतंत्रता सवालों के घेरे में है। दो महिलाएं, जिन्होंने सार्वजनिक स्थान पर modern clothes पहनी थीं, को पुरुषों के एक कट्टरपंथी समूह ने घेर लिया और उनका यौन उत्पीड़न किया। ये घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, और सऊदी समाज के भीतर पनप रही पितृसत्तात्मक सोच पर गहरी चोट की तरह उभरी।

घटना का वीडियो और सोशल मीडिया पर उबाल

इस पूरी घटना का एक वीडियो एक स्थानीय युवक द्वारा रिकॉर्ड किया गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि दो महिलाएं जिनके चेहरे खुले थे और जिन्होंने modern clothes पहने थे – जैसे जीन्स, टी-शर्ट और बिना अबाया के – उन्हें 8-10 पुरुषों ने घेर लिया। पुरुषों ने उनके कपड़ों को “इस्लाम के खिलाफ” बताते हुए गालियाँ दीं और उन्हें जबरन घसीटने की कोशिश की।

वीडियो सामने आने के बाद ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #JusticeForWomen और #RightToWearModernClothes ट्रेंड करने लगे। कई लोग इस हमले को “सोशल कंट्रोल” की क्रूर कोशिश बता रहे हैं।

कानूनी स्थिति और सऊदी सरकार की प्रतिक्रिया

घटना सामने आने के बाद सऊदी अरब के आंतरिक मंत्रालय ने जांच का आदेश दिया है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि कितने आरोपियों को हिरासत में लिया गया है।

महिला अधिकार संगठनों का आरोप है कि modern clothes को लेकर समाज में दोहरा रवैया है – अमीर महिलाएं जब अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स पहनती हैं, तब उन्हें “आधुनिक” कहा जाता है, लेकिन आम महिलाएं वही पहनें तो उन्हें “अश्लील” और “धार्मिक अपराधी” करार दे दिया जाता है।

धार्मिक परंपरा बनाम व्यक्तिगत आज़ादी

सऊदी अरब में हिजाब और अबाया को धार्मिक पहचान का हिस्सा माना जाता है। लेकिन अब जब महिलाएं modern clothes पहनने लगी हैं, तो यह रूढ़िवादी समाज के लिए असहज स्थिति बन रही है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि धार्मिक कट्टरता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संघर्ष अभी भी गहरा है।

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। ह्यूमन राइट्स वॉच की प्रवक्ता लूसी हेंडरसन ने कहा,

“यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक महिला के कपड़े चुनने के अधिकार पर हिंसक हमला है। Modern clothes पहनना अपराध नहीं, अधिकार है।”

सोशल मीडिया पर बहस: स्वतंत्रता या अश्लीलता?

घटना के बाद सोशल मीडिया पर दो धाराएँ उभरीं –
एक धड़ा कह रहा है कि महिलाओं को modern clothes पहनने की आज़ादी होनी चाहिए, तो दूसरा धड़ा इसे “पश्चिमी संस्कृति की नकल” और “इस्लाम के खिलाफ” करार दे रहा है।

कुछ टिप्पणियाँ:

  • “ये महिलाएं साहसी हैं जिन्होंने भीड़ की परवाह किए बिना modern clothes पहनने का साहस दिखाया।”
  • “धार्मिक नियमों का उल्लंघन करोगे तो समाज में असहिष्णुता दिखेगी ही।”

सांख्यिकी और परिप्रेक्ष्य

सऊदी अरब में पिछले 5 वर्षों में महिलाओं के खिलाफ सार्वजनिक यौन उत्पीड़न के मामलों में 40% की वृद्धि हुई है, जिनमें से कई मामलों में पीड़िता ने “अनुचित” कपड़े पहनने का आरोप झेला है।
वहीं, 2022 में सऊदी सरकार ने “Public Decency Law” लागू किया, जिसमें कपड़ों को लेकर अस्पष्ट दिशानिर्देश हैं—और इन्हीं का फायदा उठाकर कई बार महिलाओं को निशाना बनाया जाता है।

क्या सऊदी अरब फिर से पीछे लौट रहा है?

इस घटना ने वैश्विक समुदाय को चिंता में डाल दिया है। जहां एक ओर सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान महिलाओं के लिए उदार नीति अपनाने की बात करते हैं, वहीं ज़मीनी हकीकत अलग ही कहानी बयां कर रही है।
अगर महिलाओं को modern clothes पहनने पर सरेआम शोषण झेलना पड़े, तो यह न सिर्फ सरकार की नाकामी है, बल्कि पूरे समाज की मानसिकता पर सवाल है।

कपड़े से नहीं, सोच से मापिए चरित्र

महिलाओं के कपड़े उनके चरित्र का पैमाना नहीं हो सकते। Modern clothes पहनना महिला की आज़ादी और आत्म-सम्मान का प्रतीक है। यह घटना सऊदी अरब ही नहीं, पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज भी हम महिलाओं को बराबरी का दर्जा दे पाए हैं?
इस घटना पर न सिर्फ न्याय होना चाहिए, बल्कि ऐसी सोच को भी बदला जाना चाहिए जो कपड़ों से किसी की मर्यादा तय करती है।

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