महिला ने ऑफिस में मंत्री के सामने फूट-फूटकर बताया दर्द, अंदर के कमरे में क्या करता था असीम अरुण का पीएस?

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हाइलाइट्स

  • मंत्री असीम अरुण की तत्परता से निजी सचिव पर कार्रवाई, महिला कर्मचारी को तुरंत मिला न्याय
  • भागीदारी भवन में महिला कर्मचारी से कथित छेड़छाड़ के आरोप से मचा हड़कंप
  • मंत्री ने खुद पुलिस बुलाकर आरोपी को हिरासत में दिलाया
  • पीड़िता की लिखित शिकायत पर बिना देर किए दिए गए सख्त निर्देश
  • घटना से सरकारी दफ्तरों में महिला सुरक्षा को लेकर फिर उठे सवाल

लखनऊ — राजधानी लखनऊ का भागीदारी भवन गुरुवार को उस समय सुर्खियों में आ गया, जब समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री असीम अरुण के निजी सचिव जय किशन सिंह पर एक महिला कर्मचारी ने अश्लील हरकत और शारीरिक छेड़छाड़ (बैड टच) का आरोप लगाया। महिला ने मंत्री को सीधे लिखित शिकायत दी, जिस पर मंत्री ने तत्काल गंभीर रुख अपनाते हुए पुलिस को बुलाया और आरोपी सचिव के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए।

घटना के तुरंत बाद हरकत में आए मंत्री असीम अरुण

घटना की जानकारी मिलते ही मंत्री असीम अरुण ने बिना देरी किए गोमतीनगर थाने के एसएचओ को फोन कर तुरंत मौके पर तलब किया। मंत्री ने महिला कर्मचारी की बात को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि उनके कार्यालय में महिला सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, और इस मामले में कोई समझौता नहीं होगा।

गोमतीनगर पुलिस तुरंत भागीदारी भवन पहुंची और आरोपी निजी सचिव जय किशन सिंह को हिरासत में लेकर थाने ले गई। वहां उससे पूछताछ की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जांच के बाद धारा 354A (यौन उत्पीड़न) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है।

भागीदारी भवन में तनाव, कर्मचारियों में फैली चर्चा

यह घटना सरकारी कर्मचारियों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। कई महिला कर्मियों ने इस बात पर राहत जताई कि मंत्री असीम अरुण ने तत्काल कार्रवाई कर मिसाल पेश की। वहीं, कुछ कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि अगर मंत्री स्वयं मौजूद न होते, तो क्या इस तरह की फुर्ती से न्याय मिल पाता?

महिला ने लिखित शिकायत में क्या कहा?

पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि वह भागीदारी भवन में कार्यरत है और पिछले कुछ दिनों से मंत्री कार्यालय में भी आना-जाना होता था। इसी दौरान निजी सचिव जय किशन सिंह ने कई बार आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और शारीरिक रूप से पास आने की कोशिश की।

महिला का आरोप है कि जब उसने इसका विरोध किया तो सचिव ने अपनी ताकत का डर दिखाया। अंततः साहस कर महिला ने पूरी घटना को एक लिखित पत्र में संकलित किया और सीधे मंत्री असीम अरुण को सौंप दिया।

असीम अरुण की छवि पर नहीं पड़ा कोई दाग, उल्टा मिली सराहना

जहां अधिकतर मामलों में राजनेता या मंत्री अपने खास अधिकारियों को बचाने में लग जाते हैं, वहीं मंत्री असीम अरुण ने इस मामले में जो कड़ा रुख दिखाया है, वह प्रशंसनीय है। उन्होंने साफ कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है और महिला कर्मचारियों की सुरक्षा के प्रति कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

पुलिस की त्वरित कार्रवाई भी इस बात को दर्शाती है कि मामला ऊंचे स्तर से गंभीरता से लिया गया।

असीम अरुण: एक सख्त और संवेदनशील मंत्री की छवि फिर उभरी

मंत्री असीम अरुण पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और पुलिस महकमे में भी अपने ईमानदार और संवेदनशील रुख के लिए जाने जाते रहे हैं। सामाजिक न्याय और महिला सुरक्षा को लेकर उनकी सक्रियता पहले भी चर्चा में रही है। यह घटना फिर साबित करती है कि वे किसी भी तरह के अनुचित आचरण को बर्दाश्त नहीं करते।

सरकारी दफ्तरों में महिला सुरक्षा को लेकर फिर उठे सवाल

यह घटना एक बार फिर सरकारी कार्यालयों में महिला सुरक्षा की स्थिति पर सवाल खड़े करती है। अगर मंत्री कार्यालय जैसे उच्च स्थान पर ऐसी घटनाएं हो सकती हैं, तो निचले स्तर पर क्या हालात होंगे, यह सोच कर ही चिंता होती है।

इस घटना के बाद जरूरी हो जाता है कि सभी सरकारी संस्थानों में महिला सुरक्षा के मानकों को पुनः मूल्यांकित किया जाए और कार्यस्थलों पर “महिला सम्मान नीति” को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

पुलिस का क्या कहना है?

गोमतीनगर थाना प्रभारी ने मीडिया को बताया कि आरोपी से पूछताछ जारी है और पीड़िता के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 354A के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले में साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

मंत्री असीम अरुण द्वारा दिखाया गया यह साहसिक और न्यायपूर्ण रवैया अन्य जनप्रतिनिधियों के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए। महिला कर्मचारी को तुरंत न्याय दिलाना, आरोपी को संरक्षण न देना और पुलिस को बुलाकर विधिवत कार्रवाई करवाना दिखाता है कि सत्ताधारी वर्ग में भी जवाबदेही संभव है — अगर नीयत साफ हो।

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