हाइलाइट्स
- बेंगलुरु में एक मां ने Mental Health समस्या के चलते अपने नवजात को उबलते पानी में डालकर मार डाला
- घटना विश्वेश्वरपुरा इलाके की, आरोपी महिला की पहचान राधा (27) के रूप में हुई
- प्रसवोत्तर अवसाद यानी पोस्टपार्टम डिप्रेशन से पीड़ित थी महिला, लगातार मानसिक दबाव में थी
- पड़ोसियों की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को हिरासत में लिया
- इस दर्दनाक घटना ने Mental Health को लेकर समाज की लापरवाही को उजागर किया है
क्या है पूरा मामला?
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के विश्वेश्वरपुरा इलाके में सोमवार को एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया। एक 27 वर्षीय महिला राधा ने अपने ही नवजात शिशु को उबलते पानी में डालकर निर्ममता से उसकी जान ले ली। पुलिस जांच में सामने आया है कि महिला Mental Health संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रही थी, खासकर पोस्टपार्टम डिप्रेशन से।
मानसिक स्थिति और Mental Health का कनेक्शन
क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन, जिसे प्रसवोत्तर अवसाद भी कहा जाता है, एक गंभीर Mental Health स्थिति है, जो प्रसव के बाद कई महिलाओं में देखी जाती है। इसमें महिला लगातार उदासी, चिड़चिड़ापन, थकावट, आत्मग्लानि और अनावश्यक डर का शिकार हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति सही समय पर इलाज न मिलने पर खतरनाक मानसिक विकृति में बदल सकती है।
राधा की स्थिति कैसी थी?
पुलिस के अनुसार, राधा का पति शराबी था और उससे कोई संपर्क नहीं था। वह अकेली अपने मायके में रह रही थी। नवजात समय से पहले पैदा हुआ था और लगातार रोता रहता था। राधा पहले से मानसिक तनाव में थी और शायद खुद को असहाय महसूस कर रही थी। इन सभी कारणों ने मिलकर उसकी Mental Health को बुरी तरह प्रभावित किया।
अपराध या बीमारी: समाज का नजरिया
क्या यह हत्या थी या मानसिक त्रासदी?
भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। लेकिन क्या हम इसे केवल एक जघन्य अपराध कह सकते हैं? इस घटना में Mental Health की उपेक्षा साफ नजर आती है। महिला न तो मानसिक रूप से स्थिर थी और न ही उसे किसी प्रकार का मनोवैज्ञानिक समर्थन मिल रहा था।
पुलिस का रुख
पुलिस अधिकारी ने बताया कि राधा की मानसिक स्थिति की जांच के लिए मेडिकल टीम को बुलाया गया है। यदि यह पुष्टि होती है कि वह गंभीर मानसिक अवसाद में थी, तो उसे चिकित्सा उपचार और कानूनी संरक्षण दोनों मिल सकते हैं। Mental Health विशेषज्ञों की सलाह पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
पड़ोसियों की सतर्कता बनी खुलासा की वजह
घटना की जानकारी तब मिली जब पड़ोसियों ने नवजात की चीखें सुनीं। संदेह होने पर उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो उन्होंने घर के भीतर उबलते पानी में बच्चा पाया, जिसकी दर्दनाक मृत्यु हो चुकी थी। राधा उसी स्थान पर चुपचाप बैठी थी और कुछ भी स्पष्ट नहीं बोल पा रही थी। यह दृश्य किसी भी संवेदनशील इंसान के लिए झकझोर देने वाला था।
पारिवारिक और सामाजिक भूमिका
पति की अनुपस्थिति बनी अहम कारक
राधा के पति का न होना और उसके शराबी स्वभाव ने उसे मानसिक रूप से कमजोर बना दिया। गर्भावस्था और प्रसव के बाद की जिम्मेदारी पूरी तरह राधा पर आ गई। Mental Health का एक अहम नियम है—सहयोग और संवाद। जब कोई महिला प्रसवोत्तर समय में अकेली होती है, तो उसका मानसिक संतुलन बिगड़ने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
माता-पिता और समाज की चुप्पी
राधा के माता-पिता भी इस स्थिति को समझ नहीं सके। पड़ोसियों के अनुसार, वह गर्भावस्था के दौरान भी अवसाद में नजर आती थी। लेकिन किसी ने भी उसकी मानसिक स्थिति की जांच नहीं कराई। यह दर्शाता है कि आज भी भारत में Mental Health को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
विशेषज्ञों की राय: क्या होना चाहिए?
Mental Health विशेषज्ञों का कहना है:
- हर महिला की प्रसव के बाद मानसिक जांच अनिवार्य होनी चाहिए
- पति, परिवार और समाज को महिला को भावनात्मक समर्थन देना चाहिए
- अकेली महिलाओं के लिए काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली विकसित होनी चाहिए
- मेडिकल स्टाफ को पोस्टपार्टम लक्षणों की पहचान के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए
कानून से पहले संवेदनशीलता की जरूरत
इस मामले में कानून अपना काम करेगा। लेकिन अगर राधा की Mental Health पर पहले ध्यान दिया गया होता, तो शायद यह त्रासदी टाली जा सकती थी। यह घटना सिर्फ एक मां की विफलता नहीं, बल्कि पूरे समाज की असफलता को उजागर करती है। जब तक हम मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेंगे, ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं।
Mental Health को नजरअंदाज करना जानलेवा
राधा का यह कृत्य निंदनीय है, लेकिन इसे केवल अपराध कह देना अधूरी सच्चाई होगी। यह घटना हमें याद दिलाती है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य पर। एक मासूम की जान चली गई, लेकिन अगर समाज इस त्रासदी से सबक ले तो भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।