उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ में जापान के यामानाशी प्रान्त के उप-राज्यपाल कोऊ ओसाडा से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। बैठक के प्रमुख बिंदुओं में ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना, जापान में तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय हाइड्रोजन संगोष्ठी, बौद्ध सर्किट पर्यटन, छात्रवृत्ति, कार्यबल विनिमय, और आर्थिक साझेदारी जैसे विषय शामिल थे।
यूपी-यामानाशी के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश और यामानाशी के बीच आर्थिक एवं सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत और जापान के गहरे आर्थिक संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश असीम संभावनाओं का राज्य है और जापानी कंपनियों के साथ सहयोग राज्य के विकास को और तेज करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यामानाशी के साथ साझेदारी से भारत-जापान संबंध और प्रगाढ़ होंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, यह बैठक भारत और जापान के बीच “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को और अधिक मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। (Times of India)
ग्रीन हाइड्रोजन और तकनीकी नवाचार पर जोर
इस बैठक का एक महत्वपूर्ण पहलू ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का प्रस्ताव था, जो उत्तर प्रदेश को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने में मदद करेगा। इसके अलावा, यूपी के तकनीशियनों को जापान में विशेष प्रशिक्षण देने पर भी चर्चा हुई, जिससे तकनीकी कुशलता और ज्ञान हस्तांतरण को बढ़ावा मिलेगा। यह साझेदारी उत्तर प्रदेश में सस्टेनेबल एनर्जी और क्लीन टेक्नोलॉजी को विकसित करने में मददगार होगी।
बौद्ध सर्किट पर्यटन को बढ़ावा
बैठक में बौद्ध सर्किट पर्यटन को लेकर भी गहन चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश में सारनाथ, कुशीनगर और श्रावस्ती जैसे कई प्रमुख बौद्ध स्थल स्थित हैं, जो जापानी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह पहल भारतीय और जापानी लोगों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगी। जापान में बौद्ध धर्म की गहरी जड़ें हैं, और यह परियोजना दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन को एक नया आयाम दे सकती है।
शिक्षा और कार्यबल विकास पर चर्चा
शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू करने और दोनों क्षेत्रों के छात्रों को अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के अवसर प्रदान करने पर भी चर्चा हुई। साथ ही, यूपी और जापान के बीच कार्यबल विनिमय कार्यक्रम की भी योजना बनाई गई, जिससे युवाओं को वैश्विक कौशल विकास का लाभ मिलेगा और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में जापान में 40,000 से अधिक भारतीय रहते हैं, जिनमें से 282 छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और 150 से अधिक भारतीय प्रोफेसर जापान के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं।
भारत-जापान के ऐतिहासिक संबंध
भारत और जापान के संबंध सदियों पुराने हैं। जापान में बोधिसेन नामक भारतीय भिक्षु ने 752 ईस्वी में नारा शहर में बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा का अनावरण किया था। इसके अलावा, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस जैसे भारतीय महापुरुषों ने भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।
इतिहासकारों के अनुसार, जापान और भारत के संबंध सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी बेहद गहरे हैं।
योगी आदित्यनाथ और जापानी उप-राज्यपाल कोऊ ओसाडा की यह बैठक भारत और जापान के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक अहम कदम है। ग्रीन हाइड्रोजन, तकनीकी नवाचार, पर्यटन, शिक्षा, और कार्यबल विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों को लंबी अवधि में व्यापक लाभ मिलेगा।
इस सहयोग से उत्तर प्रदेश न केवल तकनीकी और औद्योगिक रूप से मजबूत होगा, बल्कि यह साझेदारी पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक विनिमय के क्षेत्र में भी नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी।