क्या वाकई 250 मदरसों पर लगने वाला है ताला? मौलाना शहाबुद्दीन के सनसनीखेज़ खुलासे से मचा हड़कंप, सरकार की चुप्पी बढ़ा रही है सस्पेंस

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हाइलाइट्स

  • ‘MadarsaClosure’ विवाद ने बरेली के 250 मदरसों को बंद करने की अटकलों को जन्म दिया, मुस्लिम समुदाय में गहरी चिंता।
  • मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी बरेलवी का आरोप—सरकार मुसलमानों को शिक्षा से वंचित करने की साजिश।
  • संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को शिक्षण‑संस्थान चलाने का अधिकार देता है; विशेषज्ञों ने बताया फैसला गैर‑संवैधानिक।
  • प्रशासन ने नोटिस जारी होने की पुष्टि की, पर पूर्ण बंदी की योजना से इनकार; जाँच रिपोर्ट लंबित।
  • शिक्षा‑अधिकार बनाम सुरक्षा‑मानकों पर तीखी बहस, ‘MadarsaClosure’ बहस ने राज्य व केंद्र की नीतियों पर नए सवाल खड़े किए।

‘MadarsaClosure’ विवाद का उद्भव

22 जुलाई 2025 को बरेली की शराफ़त कॉलोनी स्थित जामा मस्जिद में इस्लामिक स्कॉलर मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने दावा किया कि प्रशासन “करीब 250 मदरसों” को बंद करने की तैयारी कर रहा है। उनके शब्दों में, यह ‘MadarsaClosure’ “सिर्फ इमारतों पर ताला लगाने का नहीं, मुस्लिम समाज के बौद्धिक भविष्य को जड़ से काटने का प्रयास” है।

मौलाना का आरोप अचानक नहीं आया। पिछले आठ महीनों में खंड विकास अधिकारियों द्वारा भेजे गए निरीक्षण‑नोटिसों ने पहले ही मदरसा‑समुदाय में हलचल बढ़ा दी थी। अब ‘MadarsaClosure’ सोशल‑मीडिया हैशटैग बन चुका है, जिसे बरेलवी, देवबंदी और शिया—तीनों धाराओं के छात्र शेयर कर रहे हैं।

शुरुआती प्रतिक्रियाएँ

Bareilly Madrasa Association ने आपात बैठक कर ‘MadarsaClosure’ को “शैक्षणिक आपदा” बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नोटिस रद्द नहीं हुए तो तालीमी बहिष्कार व शांतिपूर्ण धरने होंगे। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बयान दिया, “यह बंदी नहीं, नियमित सर्वे है; मानक पूरा करने वाले मदरसों को घबराने की ज़रूरत नहीं। ‘MadarsaClosure’ शब्द भ्रामक है।”

सरकारी पक्ष: क्या कहता है प्रशासन?

जिलाधिकारी रणवीर सिंह का दावा—‘MadarsaClosure’ जैसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ। 178 मदरसों को “बुनियादी संरचना, फायर‑सेफ़्टी व छात्र‑अधिकार” संबंधी कमियों पर सुधार निर्देश मिला है; 43 संस्थानों ने गत वर्ष छात्र‑संख्या घटने पर “ऐच्छिक बंद” चुना था।

आधिकारिक नोटिसों की स्थिति

नोटिस तीन श्रेणियों में भेजे गए—(1) पंजीकरण‑नवीनीकरण, (2) भवन‑सुरक्षा, (3) शिक्षक‑योग्यता। समयबद्ध जवाब न देने वालों को अंतिम स्मरण‑पत्र मिला। सोशल‑मीडिया ने इसी प्रक्रिया को ‘MadarsaClosure’ कहकर सनसनी फैलाई; अधिकारी मानते हैं, “टर्मिनॉलजी ने ग़लतफ़हमी बढ़ाई, ‘MadarsaClosure’ आधिकारिक शब्द नहीं।”

संवैधानिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य

अनुच्छेद 30 (1) अल्पसंख्यकों को “अपनी पसंद के शिक्षण‑संस्थान स्थापित‑संचालित” करने का अधिकार देता है। वरिष्ठ अधिवक्ता फरज़ाना इलाही कहती हैं, “‘MadarsaClosure’ जैसे किसी भी कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिल सकती है।” 2017 के Lily Matriculation फ़ैसले में अदालत ने सरकार को अल्पसंख्यक स्वायत्तता में “अनुचित दख़ल” से रोका था।

### NCPCR और ‘MadarsaClosure’ बहस
अक्तूबर 2024 में NCPCR ने देश‑भर में मदरसा‑बोर्ड बंद कर बच्चों को औपचारिक स्कूल भेजने की सिफ़ारिश की थी। मुस्लिम संगठनों ने इसे “शिक्षा के बहाने सांस्कृतिक दख़ल” कहा; यही रिपोर्ट आज के ‘MadarsaClosure’ विवाद का वैचारिक आधार बन गई।

शैक्षणिक गुणवत्ता बनाम धार्मिक पहचान

सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑफ़ सोसाइटी एंड पॉलिटिक्स के शोधकर्ता उमर तैयब कहते हैं, “सवाल ‘MadarsaClosure’ का नहीं, गुणवत्ता‑वृद्धि का है—NCERT पाठ्यक्रम, प्रशिक्षित शिक्षक और डिजिटल साधन मदरसों का कायाकल्प कर सकते हैं।”

ज़मीनी सच्चाई: बरेली के मदरसों की वर्तमान स्थिति

शहर से 18 किमी दूर फतेहपुर ब्लॉक के मदरसा इस्लामिया इरफ़ान‑उल‑उलूम में कक्षा 5 की तलहा ख़ान अंग्रेज़ी में “The Constitution of India guarantees rights” पढ़ती मिलीं। प्रधानाध्यापक राहत अली बोले, “‘MadarsaClosure’ का डर है, पर संसाधन मिलें तो हम खुद NCERT पैटर्न अपनाएँगे।”

आँकड़े: छात्र‑शिक्षक

Bareilly Madrasa Welfare Survey‑2025 बताता है—312 पंजीकृत व 87 अपंजीकृत मदरसों में लगभग 42,000 विद्यार्थी। 61 % मदरसे स्वयंसेवी चंदे पर, 22 % आंशिक अनुदानित, 17 % निजी। ‘MadarsaClosure’ लागू होने पर सीधे 28,000 विद्यार्थी प्रभावित होंगे।

छात्र‑अभिभावक की आवाज़

14 वर्षीय सारा फ़ातिमा कहती हैं, “‘MadarsaClosure’ मतलब मैं आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दूँगी; नज़दीकी सरकारी स्कूल 7 किमी दूर है।”

शिक्षा विशेषज्ञों की राय

दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. राहुल मेनन याद दिलाते हैं, “‘MadarsaClosure’ बहस ‘सब‑या‑कुछ‑नहीं’ नहीं होनी चाहिए; उन्नयन के मॉडल मौजूद हैं।” अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की प्रोफेसर फरहत जमील UNESCO‑रिपोर्ट उद्धृत करती हैं, जो अल्पसंख्यक शिक्षण‑संस्थानों को “सांस्कृतिक विविधता की धरोहर” मानती है।

राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और ‘MadarsaClosure’ का भविष्य

समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार “धार्मिक ध्रुवीकरण” के लिए ‘MadarsaClosure’ मुद्दा उठा रही है; भाजपा का तर्क—“गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” देना उद्देश्य है। विशेषज्ञ मानते हैं, कठोर कदम उठने पर मामला उच्च न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट पहुँचेगा। राजनीतिक विश्लेषण पहले ही चेतावनी दे चुका—“मदरसे केवल धार्मिक नहीं, राजनीतिक मोहरा बन सकते हैं।”

संवाद ही समाधान

‘MadarsaClosure’ बहस ने दिखाया कि धार्मिक व आधुनिक शिक्षा के बीच की दूरी पाटने के लिए सिर्फ़ आदेश काफी नहीं। प्रशासन, मदरसा प्रबंधन, माता‑पिता और विशेषज्ञों को साझा मंच पर पाठ्यक्रम, संरचना व आर्थिक‑सहायता पर व्यावहारिक संधि करनी होगी—वरना ‘MadarsaClosure’ राजनीति का हथियार बना रह जाएगा, और सबसे बड़ा नुकसान उन हज़ारों बच्चों का होगा जिनके सपने इन दीवारों के भीतर आकार लेते हैं।

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