लखनऊ नगर निगम में खुलेआम घूसखोरी! महिला से मृत्यु प्रमाण पत्र के नाम पर मांगे 100 रुपये और, वीडियो वायरल होने पर भी प्रशासन खामोश

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Table of Contents

हाइलाइट्स

  • Lucknow Bribery वीडियो से नगर निगम Zone‑8 में भ्रष्टाचार की नई परत उजागर
  • “100 रुपया और दे दो, मैडम” — कर्मचारी ने पहले ही 500 रुपये ले चुकी लाचार महिला से फिर माँगा पैसा
  • मृत्यु‑प्रमाण‑पत्र जैसी संवेदनशील सेवा में रिश्वतखोरी पर अधिकारी चुप, जनता में रोष
  • शहर के पारदर्शिता दावे पर सवाल, सामाजिक संगठनों ने उच्चस्तरीय जाँच की माँग की
  • विशेषज्ञों का मत: Lucknow Bribery जैसा व्यवहार रोकने के लिए कड़ा दंड व डिजिटलीकरण अनिवार्य

Lucknow Bribery वीडियो: कैसे सामने आया पूरा मामला?

गुरुवार सुबह सोशल मीडिया पर 1 मिनट 17 सेकंड का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसे users ने Lucknow Bribery टैग के साथ शेयर किया। वीडियो में नगर निगम Zone‑8 की खिड़की के पीछे बैठा कर्मचारी, पहले से 500 रुपये दे चुकी महिला से धीमी आवाज़ में कहता है, “100 रुपया और दे दो, मैडम, फाइल अभी आगे नहीं बढ़ी है।” वीडियो रिकॉर्ड करने वाला नागरिक स्पष्ट करता है कि यह रकम मृत्यु‑प्रमाण‑पत्र बनवाने के एवज में माँगी जा रही है।

पहली प्रतिक्रिया: जनता का गुस्सा

वीडियो पोस्ट के महज दो घंटे में #LucknowBribery ट्रेंड करने लगा। स्थानीय लोगों ने टिप्पणी की कि यह “पुरानी व्यवस्था” है, जहाँ बिना “चाय‑पानी” शुल्क के मृत्यु‑प्रमाण‑पत्र मिलना मुश्किल है।
H4 — सामाजिक मीडिया पर हलचल

  • ट्विटर पर 15,000 से अधिक रीट्वीट
  • फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम रील्स में कुल मिलाकर 3 लाख वीडियो व्यू
  • WhatsApp ग्रुपों में भी Lucknow Bribery क्लिप ने प्रशासन की नाक में दम किया

नगर निगम में रिश्वत की जड़ें: एक पुराना रोग

पूर्व के घोटाले और हालिया आँकड़े

लखनऊ में 2018 से 2024 तक लोकायुक्त को नगर निगम से जुड़े 247 भ्रष्टाचार‑शिकायतें मिलीं। इनमें से 39 प्रतिशत मृत्यु‑प्रमाण‑पत्र और जन्म‑प्रमाण‑पत्र संबंधी थीं। अधिकारियों ने कई बार “सख्त निर्देश” जारी किए, पर Lucknow Bribery जैसी घटनाएँ दिखाती हैं कि निर्देश धरातल पर असरहीन हैं।

क्यों पनपती है व्यवस्था?

  1. अव्यवस्थित काउंटर‑प्रक्रिया — फॉर्म सत्यापन से लेकर दस्तख़त तक छह काउंटर बदलने पड़ते हैं।
  2. डिजिटल पोर्टल का अक्षम क्रियान्वयन — e‑Nagar Seva पोर्टल अक्सर डाउन रहता है; नागरिक ऑफलाइन मोड चुनने को मजबूर होते हैं।
  3. नियंत्रण‑तंत्र की ढिलाई — आंतरिक सतर्कता विभाग understaffed; LucknowBribery रोकने वाला कोई रीयल‑टाइम ऑडिट नहीं।

Lucknow Bribery पर प्रशासनिक जवाबदेही

जोन‑8 के सहायक नगर आयुक्त क्या बोले?

हमने जोन‑8 के सहायक नगर आयुक्त महेश त्रिपाठी से संपर्क किया। उनका कहना था, “वीडियो की सत्यता की पुष्टि के बाद दोषी पर सख्त कार्रवाई होगी।” जब उनसे पूछा गया कि Lucknow Bribery महिला का पैसा कब वापस किया जाएगा, तो वे बोले, “जाँच रिपोर्ट आने दीजिए।”

पुलिस का रुख

पुलिस चौकी इंचार्ज ने माना कि धारा 7 (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) के तहत संज्ञेय अपराध बनता है। पर FIR दर्ज करने के लिए नगर निगम की लिखित शिकायत जरूरी है। इस तकनीकी पेच के कारण LucknowBribery के आरोपी अब भी डेस्क पर बैठे काम निपटा रहे हैं।

कानून और दंड: क्या कहता है भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम?

IPC धारा 169 और 171

  • सार्वजनिक सेवक का गैरकानूनी लाभ लेना दंडनीय
  • यदि Lucknow Bribery आरोपी दोषी पाया जाता है तो 2 से 7 साल की सजा तथा जुर्माना संभव

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (2018 संशोधन)

  • नकद रिश्वत लेने‑देने पर न्यूनतम 3 साल की सज़ा
  • “ट्रैप कार्रवाई” में पकड़े जाने पर प्रोहिबिशन ऑर्डर भी संभव

Lucknow Bribery और पीड़ित महिला की दास्तान

“दस्तावेज़ बिना पैसे के नहीं हिलता”

महिला, जिनकी पहचान गोपनीय रखने का अनुरोध है, ने बताया, “पति का निधन एक सप्ताह पहले हुआ। पहली बार 500 रुपये माँगे गए तो सोचा जल्दी काम हो जाएगा। लेकिन Lucknow Bribery में जब फिर 100 रुपये माँगे, तो लगा कब तक देती रहूँ?”

सामाजिक‑आर्थिक पहलू

लखनऊ के ग्रामीण‑किनारे से आई यह महिला दिहाड़ी मजदूर है। मृत्यु‑प्रमाण‑पत्र के बिना बीमा और पेंशन क्लेम नहीं हो सकता। Lucknow Bribery आरोपियों ने उसकी मजबूरी को हथियार बनाया।

विशेषज्ञ राय: समाधान क्या?

डिजिटल इंडिया परियोजना का अधूरा सच

आईआईटी‑कानपुर के सूचना‑प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ प्रो. अनुपम सिंह कहते हैं, “जब तक पूरी प्रक्रिया end‑to‑end ऑनलाइन नहीं होगी और Lucknow Bribery जैसी घटनाओं पर रीयल‑टाइम डेटा एनालिटिक्स नहीं लागू होगा, तब तक ‘ऑफ़लाइन कट’ चलता रहेगा।”

सामाजिक जवाबदेही मॉडल

RTI कार्यकर्ता अंजली भारद्वाज का मानना है कि हर जोन कार्यालय के बाहर “रिश्वत शून्य ज़ोन” LED डिस्प्ले हो, जहाँ Lucknow Bribery जैसी शिकायतें तत्काल दर्ज हों और 24 घंटे में अपडेट आए।

लखनऊ की राजनीतिक प्रतिक्रिया

विपक्ष का हमला

विपक्षी दल के प्रवक्ता ने कहा, “Lucknow Bribery ने साबित कर दिया कि सरकार की जीरो‑टॉलरेंस नीति काग़ज़ी है।”

सत्ताधारी पक्ष का बचाव

शहर के मंत्री ने प्रेस वार्ता में कहा, “मामले की मजिस्ट्रियल जाँच कराई जाएगी; जाँच पूरी होने तक आरोपी निलंबित रहेगा।” पर वीडियो वायरल हुए 24 घंटे बीतने के बाद भी कोई सस्पेंशन ऑर्डर सामने नहीं आया।

भविष्य की राह: क्या बदल सकता है Lucknow Bribery?

नीति‑स्तर सुधार

  1. केंद्रीकृत टोकन सिस्टम — ऑनलाइन अपॉइंटमेंट से लाइन और दलाल‑कनेक्शन घटेगा।
  2. कैशलेस भुगतान — यदि किसी भी सेवा शुल्क का भुगतान सिर्फ डिजिटल मोड में हो, तो Lucknow Bribery रकम लेना मुश्किल होगा।
  3. वीडियो निगरानी — काउंटर पर 24×7 CCTV लाइव फ़ीड नागरिक पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाए।

नागरिक पहल

  • “NoBribe” मोबाइल ऐप में Lucknow Bribery जैसी घटनाएँ रिपोर्ट हो सकती हैं।
  • स्थानीय RWA और NGO संयुक्त रूप से “जन चौपाल” लगाएँ, जहाँ लोग सप्ताह में एक दिन शिकायत दर्ज कराएँ।

LucknowBribery एक चेतावनी, एक अवसर

Lucknow Bribery केस ने फिर दिखाया कि आधारभूत नागरिक सेवा पाने के लिए भी भ्रष्टाचार की दीवार तोड़नी पड़ती है। यह घटना न सिर्फ़ नगर निगम बल्कि हर सरकारी कार्यालय के लिए अलार्म बेल है। यदि प्रशासन पारदर्शी तंत्र लागू करने में देरी करता है, तो जनता का भरोसा गिरना तय है। वहीं, तकनीकी समाधान, सख़्त दंड और सक्रिय नागरिक सहभागिता मिलकर Lucknow Bribery जैसी कड़वी हकीकत को इतिहास बना सकते हैं।

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