हाइलाइट्स
- Love Jihad को अदालत ने “राष्ट्रीय अखंडता के लिए संभावित ख़तरा” बताया; शाहबाज़ को 7 साल कैद व ₹1 लाख जुर्माना
- 14‑वर्षीय हिंदू छात्रा से दोस्ती कराने के दबाव व यौन उत्पीड़न का मामला; POCSO व BNS की धाराएँ लागू
- अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रंजन अग्रवाल ने कहा—ऐसे कृत्य “सिस्टमेटिक Love Jihad” का हिस्सा हैं
- यमुनानगर की अदालत ने केवल पाँच महीने 25 दिन में मुक़दमे का निपटारा कर मिसाल पेश की
- विशेषज्ञों की चेतावनी—Love Jihad पर अलग कानून न होने के बावजूद अदालतों का रूख लगातार सख़्त हो रहा है
फैसले की पृष्ठभूमि
हरियाणा के यमुनानगर ज़िले की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रंजन अग्रवाल की अदालत ने 17 जुलाई 2025 को 35‑वर्षीय शाहबाज़ ख़ान उर्फ़ आशू को 7 साल के कठोर कारावास और ₹1 लाख के अर्थदंड की सज़ा सुनाई। अदालत ने निर्णय में स्पष्ट कहा कि यह प्रकरण Love Jihad का गंभीर उदाहरण है, जो देश की राष्ट्रीय अखंडता पर “सीधा प्रहार” करता है।
अदालत की टिप्पणी : Love Jihad को बताया राष्ट्रीय खतरा
‘प्रेम के नाम पर छल’
न्यायाधीश ने आदेश में लिखा, “Love Jihad एक सुविचारित अभियान है, जहाँ कुछ मुस्लिम पुरुष प्रेम का बहाना कर गैर‑मुस्लिम महिलाओं को इस्लाम कुबूलने के लिए प्रेरित करते हैं। यह सामाजिक‑धार्मिक संतुलन बिगाड़ता है।” अदालत ने यह भी जोड़ा कि यद्यपि Love Jihad किसी अधिनियम में परिभाषित अपराध नहीं है, किंतु इसके पीछे का षड्यंत्र राष्ट्रीय अखंडता को चुनौती देता है।(The Times of India)
A court in Haryana has sentenced Shahbaz to 7 years in jail and ordered him to pay a fine of ₹1 lakh.
The judge called “Love Jihad” a danger to India.
Shahbaz was found guilty of bothering a 14-year-old Hindu girl and trying to make her friends with a Muslim boy.
The court… pic.twitter.com/jy3sm6QyKj
— Treeni (@TheTreeni) July 21, 2025
कड़ी सज़ा के नज़रिये
न्यायालय ने शाहबाज़ को POCSO एक्ट की धारा 8 (चार साल), धारा 12 (एक साल) तथा BNS धारा 351(2) (दो साल) के तहत दोषी ठहराया; सभी सजाएँ अलग‑अलग चलेंगी। अदालत ने टिप्पणी की कि कठोर दंड ही Love Jihad जैसी प्रवृत्ति पर “चकनाचूर‑असर” डाल सकता है।(The Times of India)
क्या है Love Jihad का कानूनी स्थान?
भारत के किसी दंड विधान में Love Jihad शब्द नहीं है; फिर भी कई राज्य सरकारें इसे रोकने के लिए प्रस्तावित/विद्यमान धर्मांतरण‑विरोधी क़ानूनों में बदलाव की मांग करती रही हैं। 2024‑25 के दौरान संसद में भी Love Jihad पर चर्चा हुई, पर समग्र क़ानून अभी लंबित है।
घटना का विवरण
‘स्कूल जाती बेटी का पीछा’
नवम्बर 2024 में पीड़िता के पिता ने यमुनानगर सिटी थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक मुस्लिम किशोर उनकी बेटी का पीछा करता है और शाहबाज़ दबाव डालता है कि वह उसी से दोस्ती करे। शिकायत पर BNS की धारा 61(2) (षड्यंत्र) व 351(2) (आतंकित करना) तथा POCSO धाराएँ लगाई गईं।।
ताज़ा तरीक़ा, पुराना इरादा
चार्जशीट के अनुसार, शाहबाज़ ने किशोर को “इंटरफ़ेथ रिलेशनशिप” का मोहरा बनाकर सोशल‑मीडिया के ज़रिये लड़की को फँसाने की योजना बनाई—एक पैटर्न, जिसे अदालत ने “सिस्टमेटिक Love Jihad” कहा।
सामाजिक‑राजनीतिक प्रतिक्रिया
स्थानीय समुदाय में हलचल
घटना के खुलासे के बाद जगाधरी‑यमुनानगर क्षेत्र में हिंदू संगठन और अभिभावक संघ लगातार धरना‑प्रदर्शन करते रहे। पीड़िता के परिवार ने अदालत के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा, “यह फ़ैसला उन सबके लिए संदेश है जो Love Jihad के षड्यंत्र रचते हैं।”
राष्ट्रीय बहस में Love Jihad
फ़ैसले के बाद सोशल मीडिया पर #LoveJihadVerdit ट्रेंड करता रहा। सत्तारूढ़ पार्टी के प्रवक्ताओं ने कहा कि यह निर्णय “धर्मांतरण‑माफ़िया” पर करारी चोट है, जबकि विपक्ष के कुछ नेताओं ने शब्द “Love Jihad” के इस्तेमाल को “धर्म‐आधारित पक्षपात” बताया।
कानूनी विश्लेषण
POCSO, BNS और Love Jihad
विधि विशेषज्ञों के अनुसार, POCSO के तहत नाबालिग के साथ किसी भी यौन आचरण पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है; किंतु Love Jihad के लिए अलग प्रावधान न होने से अभियोजन पक्ष को प्रेरणा‑उद्देश्य साबित करने में अतिरिक्त सबूत जुटाने पड़ते हैं।
राज्यों के धर्मांतरण‑रोधी कानून
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि ने धर्मांतरण‑विरोधी क़ानूनों में “शादी व प्रेम” के ज़रिये धोखा देकर धर्म बदलवाने को अपराध की श्रेणी में डाला है। लेकिन हरियाणा में अभी प्रस्तावित बिल पर अंतिम निर्णय लंबित है—ऐसे में अदालत का यह निर्णय देश‑भर के विधि‑निर्माताओं के लिए ‘जurisprudential precedent’ बन सकता है।
आँकड़ों की ज़ुबानी
जनवरी 2025 की एक स्वतंत्र रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में Love Jihad के 200 से अधिक केस सामने आए। रिपोर्ट का दावा है कि असली संख्या धरातल पर इससे कहीं ज़्यादा हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय
वरिष्ठ आपराधिक वकील अर्चना सिंह कहती हैं, “जब अदालतें Love Jihad शब्द का प्रयोग करती हैं तो सामाजिक चेतना बढ़ती है, पर हमें ठोस वैधानिक परिभाषा भी चाहिए।” मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान का तर्क है, “सुनिश्चित करें कि ‘प्रेम‑जिहाद’ का नैरेटिव अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव का उपकरण न बन जाए।”
पहले के चर्चित मामले
2016 में केरल के हाई‑प्रोफ़ाइल हादिया केस से लेकर 2023 के यूपी‑बुंदेलखंड गिरोह तक, अदालतों ने बार‑बार कहा कि Love Jihad शब्द भले क़ानून में न हो, परंतु प्रेरित धर्मांतरण की भयावहता झूठ नहीं।
आगे की राह
नीति‑नियंताओं के लिए सबक
- अलग कानून बनाना या मौजूदा धर्मांतरण कानूनों को सुदृढ़ करना
- किशोरों की साइबर‑सुरक्षा पर विशेष ध्यान
- स्कूल‑कॉलेज स्तर पर ‘सावधान‑सत्र’
- पीड़ित सहायता‑कोष व तेज़‑ट्रैक अदालतें
समाजिक समरसता और न्याय
हरियाणा की यह कड़ी सज़ा केवल एक व्यक्ति को दंडित नहीं करती; यह Love Jihad की समूची रणनीति को कठघरे में खड़ा करती है। जब तक समाज जागरूक, पुलिस संवेदनशील और न्यायपालिका तत्पर रहेगी, तब तक किसी भी प्रकार का छल‑प्रेम राष्ट्रीय ताने‑बाने को तोड़ नहीं पाएगा।