हाइलाइट्स
- पृथ्वी की गहराई में जीवन की पुष्टि, वैज्ञानिकों ने खोजे जीवों के प्रमाण
- सूरज की रोशनी से दूर, गहराई में पल रही है रहस्यमयी जैव संरचना
- चीनी और कनाडाई वैज्ञानिकों का साझा शोध, Science Advances में हुआ प्रकाशित
- भूकंपों से मिलने वाली ऊर्जा से जीवित रहते हैं यह सूक्ष्मजीव
- प्राकृतिक बैटरी की तरह काम कर रही हैं चट्टानों और पानी की रासायनिक प्रक्रियाएं
पृथ्वी की गहराई में जीवन — यह विचार पहले केवल कल्पना का विषय था। पर अब, चीनी और कनाडाई वैज्ञानिकों की एक साझा खोज ने इसे सच्चाई में बदल दिया है। उन्होंने पृथ्वी की सतह से कई किलोमीटर नीचे, ऐसी जगह पर जीवन के प्रमाण पाए हैं जहाँ सूर्य की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। यह खोज केवल पृथ्वी के जैवविविधता की समझ को नहीं बल्कि अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को भी एक नया दृष्टिकोण देती है।
विज्ञान की सीमाओं को चुनौती देती खोज
शोध में कौन-कौन शामिल रहा?
इस शोध का नेतृत्व चीनी विज्ञान अकादमी के गुआंगझोउ इंस्टीट्यूट ऑफ जियोकेमिस्ट्री (GIG) के प्रोफेसर झू जियानक्सी और हे होंगपिंग ने किया, जिनके साथ कनाडा की अल्बर्टा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कर्ट कोनहॉसर भी जुड़े रहे। शोधपत्र प्रतिष्ठित ‘साइंस एडवांसेज’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इस अध्ययन ने यह सिद्ध कर दिया है कि भले ही सूरज की रोशनी पृथ्वी की गहराई में न पहुंचे, लेकिन वहां के जीव भूकंपीय ऊर्जा और रासायनिक प्रक्रियाओं के जरिए जीवन जी रहे हैं।
क्या है “पृथ्वी की गहराई में जीवन” की प्रकृति?
एक विशाल और सक्रिय जैवमंडल
वैज्ञानिकों के अनुसार, पृथ्वी की गहराइयों में मौजूद प्रोकैरियोट्स — एककोशिकीय जीव — पृथ्वी के कुल जैविक जीवन का 95% तक हिस्सा हो सकते हैं। ये जीव झिल्ली-रहित कोशिकीय संरचनाओं में रहते हैं और अत्यंत कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं।
ऊर्जा का स्रोत: भूकंप और रासायनिक प्रतिक्रिया
इन जीवों की ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति भूकंपों से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा से होती है। जब धरती की चट्टानें आपस में टकराकर दरारें पैदा करती हैं, तब उन दरारों में पानी प्रवेश करता है। यह संपर्क रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू करता है, जिससे हाइड्रोजन गैस और प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन उत्पन्न होती है। यही ऊर्जा स्रोत इन सूक्ष्मजीवों को जीवित रखने के लिए पर्याप्त होता है।
गहराई में जीवन के लिए आदर्श परिस्थितियाँ
प्राकृतिक सुरक्षा कवच
गहराई में जीवन न केवल संभावित है बल्कि सुरक्षित भी है। यह जीवन:
- पराबैंगनी विकिरण से बचा होता है
- क्षुद्रग्रहों की टक्कर से सुरक्षित रहता है
- सतह पर होने वाली जलवायु परिवर्तनों से अप्रभावित रहता है
इन सभी कारणों से वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी की गहराई में जीवन का यह रूप न केवल पुराना है, बल्कि स्थायी भी है।
क्या अंतरिक्ष में जीवन की खोज का यह नया रास्ता है?
मंगल और अन्य ग्रहों पर संभावनाएं
यदि पृथ्वी की गहराई में बिना सूर्यप्रकाश के जीवन संभव है, तो क्या मंगल या बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा में भी ऐसा ही जीवन मौजूद हो सकता है? यह खोज सीधे तौर पर एलियंस के अस्तित्व और अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं को बल देती है।
विज्ञान के लिए नई दिशा
यह खोज न केवल भूगर्भीय विज्ञान, बल्कि एस्ट्रोबायोलॉजी (astrobiology) — यानी ब्रह्मांड में जीवन की खोज — के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
वैज्ञानिकों ने क्या निष्कर्ष निकाला?
पृथ्वी की गहराई एक “प्राकृतिक बैटरी” है
वैज्ञानिकों ने क्वार्ट्ज जैसे सामान्य सिलिकेट खनिजों का अध्ययन किया। प्रयोगशाला में यह साबित हुआ कि जब चट्टानों में दरार आती है और वे पानी के संपर्क में आती हैं, तो ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही प्रक्रिया “प्राकृतिक बैटरी” की तरह कार्य करती है — जिसमें इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होता है।
एक नया परिप्रेक्ष्य
अब वैज्ञानिक मानते हैं कि जीवन की उत्पत्ति के प्रारंभिक चरणों में ऐसी गहराई वाली परिस्थितियों ने अहम भूमिका निभाई हो सकती है। इस खोज से जुड़े कई नए सिद्धांत जन्म ले रहे हैं, जो भविष्य के शोधों का आधार बनेंगे।
भविष्य की दिशा और शोध के संकेत
यह खोज केवल पृथ्वी तक सीमित नहीं है। यह आने वाले दशकों में नासा, ईएसए, इसरो और चीनी अंतरिक्ष एजेंसियों को ऐसे ग्रहों और चंद्रमाओं पर जीवन खोजने की प्रेरणा देगी जहाँ गहराइयों में जल और चट्टानों की मौजूदगी है।
विज्ञान का नया क्षितिज
पृथ्वी की गहराई में जीवन की यह खोज न केवल मानवीय कल्पनाओं से परे है, बल्कि वह वैज्ञानिक साक्ष्य भी प्रदान करती है जो हमें बताता है कि जीवन केवल सतह की बात नहीं है। अब विज्ञान को यह स्वीकार करना होगा कि जीवन का विस्तार हमारी समझ से कहीं अधिक व्यापक और विविधतापूर्ण हो सकता है।