Law of Motion

300 साल से जिसे विज्ञान का सच मानते आए, वो था अनुवाद की गलती! न्यूटन के Law of Motion को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा

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हाइलाइट्स 

  • Law of Motion के पहले नियम के अनुवाद में हुई ऐतिहासिक चूक का हुआ खुलासा
  • अमेरिका के दार्शनिक डेनियल होक ने ‘प्रिंसिपिया’ के अंग्रेज़ी अनुवाद में खोजी गलती
  • ‘क्वाटेनस’ शब्द का अर्थ ‘अब तक’ होने से बदला नियम का मूलभाव
  • न्यूटन के गति के नियम विज्ञान की आधारशिला माने जाते हैं
  • यह खोज शिक्षा, विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है

 न्यूटन के Law of Motion: एक ऐतिहासिक विरासत

17वीं सदी में आइज़क न्यूटन ने भौतिकी की दुनिया में वह क्रांति ला दी, जिसने विज्ञान की नींव को मज़बूती दी। Law of Motion यानी गति के नियम, जो उन्होंने 1687 में लिखी गई अपनी लैटिन पुस्तक Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica (प्रिंसिपिया) में प्रस्तुत किए, आज भी विद्यालयों से लेकर रिसर्च लैब तक पढ़ाए जाते हैं।

इन तीन नियमों ने यह स्पष्ट किया कि ब्रह्मांड में वस्तुएं कैसे गति करती हैं, वे किन परिस्थितियों में स्थिर रहती हैं और किन हालात में दिशा बदलती हैं। लेकिन अब एक नई खोज ने इस बुनियादी समझ को ही चुनौती दी है।

 क्या वाकई हमने Law of Motion को ग़लत समझा?

वर्जीनिया टेक विश्वविद्यालय के दार्शनिक डेनियल होक ने यह दावा किया है कि न्यूटन के पहले गति नियम का अंग्रेज़ी अनुवाद गलत था, और इस कारण हम इस नियम को पिछले लगभग 300 वर्षों से गलत ढंग से पढ़ते और समझते आए हैं।

होक के अनुसार, 1729 में लैटिन से किए गए अंग्रेज़ी अनुवाद में एक विशेष लैटिन शब्द “quatenus” का गलत अर्थ निकाला गया, जो पूरे नियम की व्याख्या बदल देता है।

 पहला Law of Motion क्या कहता है?

पारंपरिक समझ के अनुसार, Law of Motion का पहला नियम कहता है:

“A body remains at rest, or in uniform motion in a straight line unless acted upon by a force.”

इसका अर्थ यह निकाला गया कि जब तक किसी वस्तु पर कोई बाहरी बल न लगाया जाए, वह अपनी गति को बनाए रखेगी — चाहे वह स्थिर हो या एकसमान गति से चल रही हो।

 कहां हुई चूक?

होक और अन्य विद्वानों ने यह बताया कि ‘quatenus’ का अर्थ “अब तक” (insofar as) होता है, न कि “जब तक” (as long as)। इससे नियम का मूल सन्देश यह बनता है:

“किसी वस्तु की गति में जो भी बदलाव होता है – चाहे वह रुकना हो, मुड़ना हो या गति बदलना – वह केवल और केवल बाहरी बलों के कारण होता है।”

यह मामूली सा लगने वाला अंतर वास्तव में विज्ञान की नींव को हिला सकता है। यह नियम अब वस्तु की स्थिरता पर नहीं, बल्कि उसके सभी गतिशील परिवर्तनों की वजह को स्पष्ट करता है।

 क्या कहती है नई व्याख्या?

डेनियल होक की व्याख्या के अनुसार, Law of Motion यह नहीं कहता कि कोई वस्तु तब तक गति में रहेगी जब तक कोई बाहरी बल न लगे, बल्कि यह कहता है कि गति में कोई भी बदलाव तभी संभव है जब बाहरी बल लगे।

यह परिवर्तन नियम की व्याख्या में एक दार्शनिक गहराई जोड़ता है और ब्रह्मांड में वस्तुओं की गति को देखने का हमारा नजरिया बदल देता है।

 शिक्षा और विज्ञान पर प्रभाव

यदि डेनियल होक की यह व्याख्या वैज्ञानिक समुदाय द्वारा स्वीकार की जाती है, तो स्कूलों, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में Law of Motion की पढ़ाई का तरीका बदल सकता है। विज्ञान की पुस्तकों में बदलाव आ सकते हैं, और नए शोध के रास्ते खुल सकते हैं।

इसका असर न केवल भौतिकी पर पड़ेगा, बल्कि भाषा, अनुवाद, और विज्ञान-दर्शन जैसे क्षेत्रों में भी गूंज सुनाई देगी।

 वैज्ञानिक समुदाय की प्रतिक्रियाएं

वैज्ञानिक और शिक्षाविद अब इस खोज को लेकर चर्चा में जुट गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह व्याख्या तकनीकी है और छात्रों के लिए इसे समझाना कठिन हो सकता है, जबकि अन्य का कहना है कि यह न्यूटन के Law of Motion की सटीक समझ को उजागर करती है।

 अनुवाद की ऐतिहासिक गलती कैसे हुई?

1729 में Motte द्वारा किया गया पहला अंग्रेज़ी अनुवाद, जिसे आज भी व्यापक रूप से उद्धृत किया जाता है, उस समय की सीमित भाषाई समझ और विज्ञान शब्दावली पर आधारित था। अनुवाद में ‘quatenus’ को ‘as long as’ अनूदित किया गया, जिससे नियम का भाव बदल गया।

यह गलती 1999 तक किसी के ध्यान में नहीं आई थी, जब दो अन्य विद्वानों ने इस पर शोध कर इसका उल्लेख किया। डेनियल होक ने इसी विषय को विस्तार में समझाते हुए इसे फिर से विश्व पटल पर रखा।

 भविष्य की दिशा क्या होगी?

Law of Motion पर आधारित अधिकांश गणनाएं और सिद्धांत पहले नियम की पारंपरिक व्याख्या पर आधारित हैं। नई व्याख्या इस आधार को नहीं मिटाती, लेकिन उसे और अधिक सूक्ष्म और परिपक्व बनाती है। आने वाले वर्षों में हो सकता है कि विज्ञान की किताबों में यह संशोधन शामिल किया जाए।

Law of Motion केवल गति से जुड़ा नियम नहीं, बल्कि यह विज्ञान और दर्शन की सीमा रेखा पर खड़ा एक सिद्धांत है। डेनियल होक की यह खोज न केवल एक ऐतिहासिक अनुवाद की गलती को उजागर करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि विज्ञान एक स्थिर संरचना नहीं, बल्कि निरंतर बढ़ता और बदलता हुआ ज्ञान है

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