हाइलाइट्स
- कर्नाटक ज़हर कांड: बेलगाम में मुस्लिम प्रधानाध्यापक का तबादला कराने के लिए बच्चों के पानी में मिलाया गया ज़हर
- स्कूल के 11 बच्चे ज़हरीला पानी पीने से हुए गंभीर रूप से बीमार, अस्पताल में भर्ती
- आरोपी हिंदूवादी संगठन से जुड़े, पुलिस ने तीनों को किया गिरफ्तार
- स्कूल प्रशासन और अभिभावकों में दहशत, शिक्षा विभाग ने शुरू की जांच
- कर्नाटक ज़हर कांड ने राज्य में सांप्रदायिक तनाव और शैक्षिक संस्थानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए
बेलगाम, कर्नाटक – देश को हिला देने वाला एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसे कर्नाटक ज़हर कांड कहा जा रहा है। यह घटना बेलगाम ज़िले की एक सरकारी स्कूल में घटित हुई, जहां कुछ कट्टरपंथी तत्वों ने एक मुस्लिम प्रधानाध्यापक को हटाने की साज़िश रचते हुए स्कूल के पानी में ज़हर मिला दिया। इस खतरनाक साजिश का शिकार बने 11 मासूम छात्र, जिनकी जान खतरे में पड़ गई।
इस कांड ने न केवल राज्य की शिक्षा व्यवस्था, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता पैदा कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
कर्नाटक ज़हर कांड की शुरुआत तब हुई जब बेलगाम की एक सरकारी स्कूल में कार्यरत प्रधानाध्यापक सुलेमान गोरिनायका, जो मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, के खिलाफ सांप्रदायिक नफरत फैलाई गई। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन आरोपियों—सागर पटेल, कृष्णा मदारा, और नागनगौड़ा पाटिल—ने मिलकर एक खतरनाक साजिश रची। उन्होंने स्कूल में बच्चों के पीने के पानी में ज़हर मिला दिया, जिससे 11 छात्र बीमार हो गए।
बताया जा रहा है कि इन तीनों आरोपियों का उद्देश्य था कि बच्चों के बीमार होने का दोष मुस्लिम प्रधानाध्यापक पर मढ़ा जाए, ताकि उन्हें स्कूल से हटाया जा सके।
कैसे मिला ज़हर, और क्या थी योजना?
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि आरोपी पहले से ही स्कूल के परिसर से परिचित थे। उन्होंने पानी के कंटेनर में कथित तौर पर कीटनाशक ज़हर मिलाया।
कर्नाटक ज़हर कांड में आरोपियों की योजना थी:
- बच्चों को बीमार कर प्रधानाध्यापक को दोषी साबित करना
- हिंदूवादी संगठनों की मदद से तबादले या बर्खास्तगी की मांग उठाना
- सोशल मीडिया पर मामले को सांप्रदायिक रंग देकर माहौल बिगाड़ना
हालांकि, मेडिकल रिपोर्ट में पानी में ज़हर की पुष्टि होते ही पुलिस हरकत में आ गई और त्वरित कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
कर्नाटक: मुस्लिम प्रिंसिपल का तबादला कराने के लिए उसकी स्कूल के बच्चों को जहर पिलाया!
बेलगाम की स्कूल के प्रधानाध्यापक सुलेमान गोरिनायका को निष्कासित कराने के लिए 3 हिंदूवादियों ने स्कूल के बच्चों के पीने के पानी में ज़हर मिला दिया। जहरीला पानी पीने से 11 बच्चे बीमार पड़ गए।… pic.twitter.com/KEU89FmDE2
— Muslim Spaces (@MuslimSpaces) August 3, 2025
पुलिस की कार्रवाई और बयान
बेलगाम पुलिस अधीक्षक ने प्रेस वार्ता में बताया कि मामला हत्या की कोशिश, शरारतपूर्वक विष देने, और सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने की धाराओं के अंतर्गत दर्ज किया गया है।
पुलिस के अनुसार:
- सभी आरोपी हिंदूवादी संगठनों से जुड़े हुए हैं
- उन्होंने जानबूझकर बच्चों को निशाना बनाया
- उनका उद्देश्य प्रधानाध्यापक को “मुस्लिम” होने के कारण स्कूल से निकालना था
कर्नाटक ज़हर कांड के खुलासे के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
बच्चों की हालत कैसी है?
ज़हर पीने से बीमार पड़े 11 बच्चों को बेलगाम जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों की हालत अब स्थिर है लेकिन कुछ को निगरानी में रखा गया है।
बच्चों के माता-पिता का कहना है:
“हम अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, ज़हर पीने नहीं। अगर इस तरह सांप्रदायिक राजनीति स्कूलों में पहुंच गई, तो हम किस पर भरोसा करें?”
इस बयान ने कर्नाटक ज़हर कांड को केवल अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी में बदल दिया है।
शिक्षा विभाग की भूमिका पर सवाल
इस गंभीर मामले ने शिक्षा विभाग की सतर्कता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
सवाल उठ रहे हैं:
- स्कूल के पानी की नियमित जांच क्यों नहीं होती?
- बाहरी लोगों की स्कूल में घुसपैठ कैसे संभव हुई?
- सांप्रदायिक तनाव की पूर्व जानकारी होने के बावजूद प्रशासन मौन क्यों रहा?
कर्नाटक ज़हर कांड के बाद शिक्षा विभाग ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और सभी स्कूलों को सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
सांप्रदायिक नफरत की खतरनाक साजिश
कर्नाटक ज़हर कांड सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह उस सांप्रदायिक ज़हर का प्रतीक है जो अब शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र तक पहुँच गया है।
विशेषज्ञों की राय:
- “यदि समाज में एक शिक्षक को सिर्फ धर्म के नाम पर निशाना बनाया जा रहा है, तो यह शिक्षा व्यवस्था की हार है।”
- “इस कांड ने दर्शाया कि सांप्रदायिक ताकतें बच्चों की जान को भी दांव पर लगा सकती हैं।”
कौन जिम्मेदार है?
कर्नाटक ज़हर कांड में केवल तीन आरोपी नहीं, बल्कि वो सोच जिम्मेदार है जो धार्मिक पहचान के आधार पर नफरत फैलाती है। यदि समय रहते ऐसी घटनाओं पर सख्ती से कार्रवाई नहीं की गई, तो समाज का तानाबाना बिखर सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
राज्य के विपक्षी दलों ने इस मामले पर सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा:
“कर्नाटक ज़हर कांड बीजेपी शासन की विफलता है, जहां एक शिक्षक की धार्मिक पहचान को लेकर उसे निशाना बनाया गया।”
वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कुछ नहीं
कर्नाटक ज़हर कांड एक चेतावनी है कि सांप्रदायिक जहर अब शिक्षा संस्थानों को भी निगलने लगा है। इस घटना की जितनी निंदा की जाए, कम है। अब समय आ गया है कि धर्म और राजनीति से ऊपर उठकर बच्चों की सुरक्षा और शिक्षक की गरिमा की रक्षा की जाए।