हाइलाइट्स
- Kanwar Yatra Violence ने ढाबा चलाने वाली एक महिला को फिर से ज़ीरो पर ला खड़ा किया।
- ढाबे पर की गई तोड़फोड़ से लाखों का नुकसान, एक कर्मचारी का पैर तोड़ा।
- घटना के बाद मुख्यधारा मीडिया चुप, फूल बरसाने की कवरेज जारी।
- RED MIKE चैनल के रिपोर्टर सौरभ शुक्ला ने की जमीनी सच्चाई की रिपोर्टिंग।
- ढाबा मालकिन ने कहा – “अब फिर से ज़ीरो से शुरू करूंगी, सब कुछ उजड़ गया।”
कहां हुई घटना और क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सीमाओं से जुड़े राजमार्गों पर Kanwar Yatra Violence की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ऐसी ही एक घटना उत्तराखंड के हरिद्वार से कुछ किलोमीटर पहले एक छोटे से कस्बे में सामने आई है, जहां एक महिला द्वारा संचालित ढाबे को कावड़ियों की भीड़ ने तहस-नहस कर दिया।
यह ढाबा वर्षों की मेहनत से खड़ा हुआ था, लेकिन एक ही दिन में सब कुछ खत्म हो गया।
Kanwar Yatra Violence: कैसे हुआ हमला?
ढाबे में क्यों घुसे कावड़िए?
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, कावड़ियों का एक जत्था रात करीब 8 बजे ढाबे पर रुका। भोजन देर से मिलने की बात पर पहले कहासुनी हुई, फिर बात हाथापाई और हिंसा तक पहुंच गई।
Kanwar Yatra Violence की इस घटना में करीब 15-20 युवकों ने ढाबे के काउंटर, कुर्सियां, बर्तन और बोर्ड तक तोड़ दिए।
कर्मचारियों को बेरहमी से पीटा गया
ढाबा मालिक के अनुसार, एक कर्मचारी को इतनी बुरी तरह मारा गया कि उसका पैर टूट गया। एक महिला कर्मचारी को धक्का दिया गया और गालियां दी गईं। पूरा स्टाफ दहशत में है और अब ढाबा फिलहाल बंद कर दिया गया है।
ढाबा मालकिन की आपबीती: “मेरी दुनिया उजड़ गई”
“सब कुछ मैंने अकेले खड़ा किया था”
ढाबा चलाने वाली महिला का नाम हम उनकी सुरक्षा के लिए उजागर नहीं कर रहे हैं। उन्होंने रोते हुए कहा:
“मैंने इस ढाबे को जी-तोड़ मेहनत से खड़ा किया था। मेरे पति नहीं हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए ये कारोबार शुरू किया था। पर Kanwar Yatra Violence ने मेरी दुनिया उजाड़ दी।”
“एक बार फिर ज़ीरो से शुरू करना होगा”
ढाबा मालकिन ने कहा कि अब उन्हें सब कुछ फिर से खड़ा करना होगा। “मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि एक बार में सब ठीक करा लूं। कर्ज लेकर सब शुरू किया था। अब फिर से कर्ज लूंगी या कोई छोटा काम करूंगी।”
जब मीडिया ने नजरें फेर ली, RED MIKE ने दिखाई सच्चाई
कावड़ियों के उत्पात से ढाबा मालकिन की आपबीती सुनकर आप भी रो देंगे.
कावड़ियों ने ढाबे में तोड़फोड़ कर काफी नुकसान पहुंचाया. ढाबे के कर्मचारियों को पीटा. एक कर्मचारी का पैर तोड़ दिया.
मैनस्ट्रीम मीडिया खामोश है. वो केवल हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने वाली खबर चला रहा.
कावड़ियों के… pic.twitter.com/yMmYzs4BlJ
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) July 11, 2025
सौरभ शुक्ला की रिपोर्टिंग बनी चर्चा का विषय
जब राष्ट्रीय मीडिया Kanwar Yatra Violence की घटनाओं को नज़रअंदाज़ कर रहा है और हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की खबरें दिखा रहा है, तब यूट्यूब चैनल RED MIKE के पत्रकार सौरभ शुक्ला ने मौके पर पहुंचकर ढाबा मालकिन से सच्ची बातचीत की।
उनकी रिपोर्टिंग में ढाबे की हालत, टूटी हुई कुर्सियां, रोती हुई महिला और घायल कर्मचारी की तस्वीरें सामने आईं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।
प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
FIR तक दर्ज नहीं
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस पूरे Kanwar Yatra Violence पर अब तक किसी प्रकार की कोई FIR दर्ज नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि “कावड़िए चले गए, पहचान नहीं हो पाई।”
भीड़ तंत्र पर नहीं कसे लगाम
प्रशासनिक लापरवाही और धार्मिक भावनाओं के नाम पर कुछ असामाजिक तत्वों को छूट मिलती जा रही है। पुलिस मौन है, और पीड़ित न्याय के लिए भटक रहे हैं।
समाज पर क्या असर डाल रही है ऐसी हिंसा?
धार्मिक यात्रा या अराजकता का जुलूस?
Kanwar Yatra एक धार्मिक यात्रा है जिसमें शिवभक्त गंगाजल लाकर अपने इष्ट को अर्पित करते हैं। पर जब यह आस्था हिंसा का रूप ले ले, तो पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं।
धार्मिक आस्था बनाम कानून का पालन
कावड़ियों को सुविधाएं देना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन क्या कानून से ऊपर कोई भी भीड़ हो सकती है? Kanwar Yatra Violence की लगातार घटनाएं यह दर्शाती हैं कि धार्मिक आयोजनों की आड़ में अराजकता को छूट मिलती जा रही है।
क्या समाधान है?
आयोजन का पंजीकरण और निगरानी
- हर कावड़ जत्थे का पंजीकरण हो।
- पुलिस द्वारा GPS ट्रैकिंग की जाए।
- CCTV कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए।
- ज़रूरत पड़े तो संवेदनशील क्षेत्रों में धारा 144 लगाई जाए।
क्या यही है आस्था का स्वरूप?
Kanwar Yatra Violence जैसे घटनाक्रम धर्म के नाम पर देश की छवि को धूमिल करते हैं। यह जरूरी है कि हम आस्था को सम्मान दें, लेकिन कानून और सामाजिक शांति को नजरअंदाज न करें।
ढाबा मालकिन की कहानी केवल एक उदाहरण है, पर इसका असर बहुत दूर तक जाएगा—हमारे समाज में, हमारे विश्वास में, और हमारे सिस्टम में।