हाइलाइट्स
- Kanwar Yatra के दौरान 111 लीटर गंगाजल उठाने से अंकित भोला का कंधा उतर गया
- दर्द के बावजूद 40 किमी पैदल चल चुके; चेहरा शांत, मन में केवल भोलेनाथ का नाम
- साथी कांवड़ियों को चिंता, पर अंकित बोले—“रुकूंगा तो नहीं, बस गति कम करूँगा”
- डॉक्टरों ने दी आराम की सलाह; प्रशासन ने मेडिकल टीम तैनात की
- भारी वर्षा और भीड़ के बीच पुलिस ने Kanwar Yatra मार्ग पर सुरक्षा बढ़ाई
Kanwar Yatra: घटना स्थल से ग्राउंड रिपोर्ट
हरिद्वार–मेरठ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोमवार तड़के पाँच बजे, Kanwar Yatra में भाग ले रहे 24‑वर्षीय अंकित भोला की पीठ पर बँधी 111 लीटर गंगाजल की कांवड़ अचानक झटके से एक तरफ़ लटक गई। संतुलन बिगड़ा, कंधा खिंच गया, और पल भर में दर्द से भरे चेहरे पर पसीना छलक आया। मगर “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करते हुए अंकित ने न तो कदम रोके, न ही पलटकर देखा। वहाँ मौजूद इस संवाददाता ने उनसे पूछा—“यात्रा यहीं रोकेंगे?” उत्तर मिला, “Kanwar Yatra मेरी परीक्षा है, भोलेनाथ का आदेश है; बस गति कम करनी पड़ेगी।”
चिकित्सा सहायता पहुँची, पर निर्णय अडिग
स्थानीय शिविर‑चिकित्सक डॉ. ऋचा मलिक ने प्राथमिक जाँच के बाद बताया कि कंधे की हड्डी डी‑लॉकेट हो चुकी है, फौरन विश्राम जरूरी है। उन्होंने कहा, “Kanwar Yatra के दौरान भारी भार उठाने वाले कई श्रद्धालु इस तरह की चोट से जूझते हैं, पर 111 लीटर से ज़्यादा अनुपात सामान्य नहीं।” अंकित के साथी वीरू, देव और साहिल ने उन्हें व्हील‑चेयर पर बैठाने की कोशिश की; पर अंकित ने विनम्रता से मना कर दिया और पट्टा बाँधकर पुनः पदयात्रा शुरू कर दी।
111 लीटर गंगाजल उठाने से अंकित भोला नाम के कांवड़िए का कंधा उतर गया..
दर्द बहुत है मगर चेहरे पर कोई शिकन नहीं है
साथी कांवड़ियों को चिंता है कि यात्रा पुरी कैसे होगी..
अब तो भोलेनाथ ही बेड़ा पार करेंगे..!🙏 pic.twitter.com/QqQidZRJ2d
— Rebellious 2.0 (@RebelliousPari8) July 21, 2025
प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया
मेरठ ज़िला प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए Kanwar Yatra मार्ग पर अतिरिक्त मेडिकल मोबाइल‑यूनिट लगाई। एसपी ट्रैफ़िक अंजू सिंह ने बताया, “हमने सभी प्रमुख पड़ावों पर फिजियोथेरेपिस्ट तैनात कर दिए हैं। अंकित भोला जैसे समर्पित श्रद्धालुओं की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।”
श्रद्धा बनाम शारीरिक सीमा: विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
Kanwar Yatra जैसे तीर्थ‑मार्ग पर हर साल लगभग चार करोड़ भक्त शामिल होते हैं। ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ डॉ. अरुण रस्तोगी बताते हैं कि 15–20 लीटर गंगाजल सामान्य भार माना जाता है, पर 111 लीटर शरीर को धक्का दे देता है। “ऐसे मामलों में लिगामेंट फटने का ख़तरा बढ़ता है। अगर अंकित तुरंत आराम नहीं करते, तो स्थायी नुकसान संभव है,” वे चेताते हैं। बावजूद इसके, अंकित की आस्था अडिग है।
सिसौना गाँव का गौरव: अंकित की तैयारी
मेरठ के सिसौना गाँव के किसान परिवार से आने वाले अंकित ने Kanwar Yatra के लिए दो महीने पहले से दंड‑बैठक, सूमो‑डेडलिफ्ट और लंगर सेवा में वजन ढोने का अभ्यास शुरू किया था। उनके पिता रमाकांत भोला कहते हैं, “हमने समझाया था कि इतना भार मत उठा, पर बेटे ने कहा—‘जब दिल में Kanwar Yatra का बुलावा है, तो बोझ कैसा?’”
आध्यात्मिक संकल्प का मनोविज्ञान
हरिद्वार के गंगाद्वार आश्रम के महंत स्वामी पुरुषोत्तम नाथ मानते हैं कि Kanwar Yatra में असाधारण संकल्प अपनी सामाजिक पहचान के साथ आध्यात्मिक वर्चस्व भी दर्शाता है। “अभूतपूर्व भार उठाकर भक्त स्वयं को शिव को समर्पित करते हैं। यह शरीर‑मन‑आत्मा की त्रिवेणी है,” वे कहते हैं।
रास्ते के हालात: बारिश, भीड़ और नया ट्रैफ़िक प्लान
इस वर्ष मॉनसून की झमाझम बारिश ने Kanwar Yatra को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। यूपी पुलिस ने रिपोर्ट जारी की कि रविवार रात से अब तक 63 मिमी वर्षा हुई, जिससे जलभराव के कारण पाँच किलोमीटर लंबा जाम लगा। इसके बावजूद “बम‑बम भोले” के उद्घोष ने मार्ग को जीवंत रखा। नई ट्रैफिक‑एडवाइजरी में भारी वाहन रात दस से सुबह चार बजे तक रोक दिए गए हैं, ताकि Kanwar Yatra के पैदल यात्रियों को सुरक्षित गलियारा मिल सके।
चिकित्सीय शिविरों में सुविधाएँ बढ़ीं
स्वास्थ्य विभाग ने 20 अस्थायी शिविर स्थापित किए, जिनमें से पाँच विशिष्ट ‘मसल स्ट्रेन रिलीफ’ केंद्र हैं। डॉक्टर नीलम शर्मा बताती हैं, “हमने ‘रैपिड रेस्ट एरिया’ तैयार किए हैं, जहाँ Kanwar Yatra के श्रद्धालु पाँच‑दस मिनट में फिजियो‑टेपिंग करवा सकते हैं।”
स्वयंसेवी संगठन भी आगे आए
“रोटी‑कपड़ा‑मेडिकल सेवा संघ” के संयोजक जितेंद्र चौधरी के मुताबिक 600 वालंटियर 24×7 काम कर रहे हैं। “अंकित भोला की खबर सुनकर हमने तुरंत 50 रोल काइनेशियो‑टेप, 30 स्लिंग और 200 इलेक्ट्रोलाइट पैकेट भेजे,” वे बताते हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘111‑लीटर चैलेंज’
जब से घटना का वीडियो इंटरनेट पर आया, #AnkitBhola और #111LitreChallenge ट्रेंड करने लगे। Kanwar Yatra से जुड़े अनेक यूज़र्स ने चेताया कि इसे स्टन्ट न बनाएँ। वहीं कुछ श्रद्धालुओं ने इसे ‘आस्था का पराक्रम’ कहा। साइबर‑विशेषज्ञ प्रिया दहिया ने आगाह किया, “चोटिल होने पर लाइव‑स्ट्रीम करने की बजाय तत्काल सहायता लें। Kanwar Yatra स्वास्थ्य‑चुनौती नहीं, श्रद्धा‑मार्ग है।”
प्रशासन की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग
IT‑सेल अधिकारी रोहित देव ने बताया कि 5000 से अधिक पोस्ट्स स्कैन किए जा चुके हैं। “भ्रामक या उकसावे वाले कंटेंट पर तत्काल कार्रवाई की जा रही है, ताकि Kanwar Yatra शांति से संपन्न हो,” वे कहते हैं।
क्या जारी रख पाएगा अंकित सफ़र?
हाईवे‑किनारे बने शिविर में शाम छह बजे पुनः मुलाकात हुई। पट्टे से स्थिर कंधे के साथ अंकित ने धीमी पर दृढ़ चाल में 400 मीटर का दायरा तय किया। उन्होंने मुस्कुरा कर कहा, “Kanwar Yatra में शिव‑इच्छा सर्वोपरि है। अगर वह रास्ता रोकेंगे तो संकेत देंगे, वरना मैं 111 लीटर समर्पित कर हर की पौड़ी तक पहुँचूँगा।” साथी वीरू ने जोड़ते हुए कहा, “हम चारों मिलकर भार बाँटने का प्रस्ताव ले आए हैं, पर यह ज़िद्दी छोरा नहीं मानेगा।”
सुरक्षा और स्वास्थ्य—दोनों का संतुलन
डॉ. ऋचा मलिक आश्वस्त हैं कि तत्काल ऑपरेशन की ज़रूरत नहीं, बशर्ते अंकित भारी झटके से बचे रहें। “हमने ‘पेस‑मेकर पैटर्न’ सुझाया—हर दो किमी बाद दो मिनट का आराम, ताकि Kanwar Yatra जारी रहे और शरीर को समय मिले।”
धर्मशास्त्र का दृष्टिकोण
काशी के संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर डॉ. मधुसूदन तिवारी का मत है कि “शिव पुराण भी कहता है—‘अन्यथा नारीर्यथा देहः’, अर्थात् शरीर साधन है, साध्य नहीं। Kanwar Yatra का उद्देश्य आत्म‑शुद्धि है, आत्म‑विनाश नहीं।”
आस्था की यह अग्नि‑परीक्षा किस ओर मोड़ेगी राह?
ज्यों‑हीं रात गहराई, हज़ारों दीपक‑ज्योति से मार्ग आलोकित हुआ। अंकित भोला ने गंगाजल‑भरी कांवड़ को दोनों हाथों से साधे “हर‑हर महादेव” का जयघोष किया और काफ़िला आगे बढ़ा। Kanwar Yatra की यह कथा केवल एक युवक की शारीरिक चुनौती नहीं, बल्कि उस विराट सामूहिक चेतना की झलक है जहाँ आस्था, साहस और सहानुभूति एक साथ बहते हैं—गंगा‑धारा की तरह अक्षय, अविरल। अगले चार दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 111 लीटर का यह संकल्प हर की पौड़ी तक सुरक्षित पहुँच पाता है, या फिर डॉक्टरों की चेतावनी भारी पड़ती है। पर फिलहाल, अंकित की नज़रें सामने हैं और मन में विश्वास—“अब तो भोलेनाथ ही बेड़ा पार करेंगे।”