हाइलाइट्स
- Kanwar Yatra को लेकर देहरादून में मुस्लिम दुकानदार को धमकी देने का वीडियो वायरल
- सावन के पावन महीने में Kanwar Yatra को लेकर धार्मिक तनाव बढ़ता दिख रहा है
- वायरल वीडियो में दिखा हिंदू संगठन का मुस्लिम दुकानदार पर दबाव: “नाम नहीं लिखा तो पत्थरबाजी होगी”
- सोशल मीडिया पर वीडियो ने मचाई हलचल, 35,000 से ज्यादा बार देखा गया
- पुलिस जांच में जुटी, धर्म के नाम पर व्यापार रोकने के प्रयास पर उठे सवाल
Kanwar Yatra: श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक
Kanwar Yatra हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और धार्मिक उत्सव है, जो हर साल सावन के महीने में शिवभक्तों द्वारा मनाया जाता है। इस दौरान भक्तजन नदियों से जल भरकर भगवान शिव के मंदिरों में अर्पित करते हैं। यह यात्रा आस्था, त्याग और सेवा का प्रतीक मानी जाती है।
हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी और देवघर जैसे स्थानों पर यह उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। Kanwar Yatra में लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं और ‘बोल बम’ के जयघोष के साथ लंबी यात्रा तय करते हैं।
लेकिन, 2025 की Kanwar Yatra इस बार विवादों में घिर गई है।
वीडियो वायरल: दुकानदार से कहा– “नाम नहीं लिखा तो तोड़फोड़ होगी!”
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है जिसमें देखा जा सकता है कि देहरादून में एक फल विक्रेता मुस्लिम दुकानदार को कुछ लोग धमका रहे हैं। वे उससे पूछते हैं, “तुमने अपनी दुकान पर नाम क्यों नहीं लिखा?”
आगे वे कहते हैं, “पूरे सावन के महीने दुकान बंद रखो या फिर इस पर नाम लिखो, वरना अगली बार पत्थरबाजी होगी।” यह कथित तौर पर Kanwar Yatra के दौरान धार्मिक पहचान के आधार पर दबाव बनाने का मामला है।
वीडियो में कुछ हिंदू संगठन से जुड़े लोग दिख रहे हैं जो तीखे लहजे में दुकानदार से जवाब मांगते हैं। यह घटना तब सामने आई जब सावन के पहले सोमवार को कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर वापस लौट रहे थे।
सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया
यह वीडियो वायरल होते ही इंटरनेट पर हड़कंप मच गया। अब तक 35,000 से अधिक लोग इस वीडियो को देख चुके हैं।
- एक यूज़र ने लिखा, “Kanwar Yatra के दौरान हर चीज़ शुद्ध और साफ रहनी चाहिए, दुकान पर नाम क्यों नहीं लिखा?”
- वहीं, एक अन्य यूज़र ने विरोध करते हुए कहा, “क्या अब व्यापार करने के लिए धर्म बताना भी ज़रूरी हो गया है?”
- तीसरे ने लिखा, “Kanwar Yatra आस्था का पर्व है, न कि दूसरों को डराने का तरीका।”
प्रशासन और पुलिस की चुप्पी पर सवाल
हालांकि वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
देहरादून पुलिस ने मीडिया को सिर्फ इतना बताया है कि “मामले की जांच की जा रही है और वीडियो की सत्यता की पुष्टि की जा रही है।”
इस बीच, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और धार्मिक नेताओं ने प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि Kanwar Yatra जैसी श्रद्धालुओं की परंपरा को नफरत की राजनीति का शिकार न बनाया जाए।
लोकेशन : देहरादून,उत्तराखंड
हम दोबारा आएंगे तो तोड़फोड़ होंगी…
मुस्लिम फल विक्रेताओं से धार्मिक पहचान के आधार पर हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने कावड़ यात्रा के दौरान नाम लिखने के निर्देश दिए। pic.twitter.com/KeOM4g3vay
— The Muslim (@TheMuslim786) July 16, 2025
धार्मिक सहिष्णुता पर मंडरा रहा संकट
Kanwar Yatra का उद्देश्य केवल शिवभक्ति और आत्मिक शांति है, लेकिन जब इसे साम्प्रदायिक पहचान का हथियार बना लिया जाता है, तो यह समाज में बंटवारे को जन्म देता है।
भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में सभी को अपने धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन और व्यापार करने की आज़ादी है।
इस तरह की घटनाएं न केवल संविधान की आत्मा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि समाज के बीच अविश्वास की खाई भी गहरी करती हैं।
Kanwar Yatra के धार्मिक नियम और मर्यादाएं
1. कांवड़ को पवित्र मानें
Kanwar Yatra में सबसे पहली शर्त होती है कि कांवड़ को ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। यह भगवान शिव के प्रति अपमान माना जाता है।
2. किसी और को कांवड़ छूने न दें
भक्तजन अपनी कांवड़ को स्वयं संभालते हैं और किसी अन्य को छूने नहीं देते। यह एक पवित्र यात्रा का हिस्सा है।
3. संयम और शांति बनाए रखें
Kanwar Yatra के दौरान भक्तों को संयम, सेवा और सहनशीलता का पालन करना चाहिए। किसी को डराना, धमकाना या मारपीट करना इस परंपरा के विरुद्ध है।
Kanwar Yatra को राजनीति का हथियार नहीं बनाएं
Kanwar Yatra करोड़ों हिंदुओं की आस्था का पर्व है, लेकिन इस पर नफरत और कट्टरता का रंग चढ़ता जा रहा है। देहरादून की घटना ने यह दिखा दिया कि कैसे कुछ कट्टरपंथी तत्व धार्मिक अवसरों को राजनीतिक हथियार बना रहे हैं।
ज़रूरत इस बात की है कि प्रशासन सख्ती से कार्यवाही करे और Kanwar Yatra को उसकी पवित्रता के साथ मनाने का वातावरण बनाए। समाज को भी समझना होगा कि धर्म जोड़ने का माध्यम है, तोड़ने का नहीं।