स्कूल ब्रेक में 10वीं की छात्रा ने चौथी मंजिल से लगाई छलांग, सब देख रहे थे, वीडियो में कैद हुआ मौत का मंजर

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हाइलाइट्स

  • चौथी मंजिल से छलांग लगाकर अहमदाबाद की 10वीं की छात्रा ने की आत्महत्या, कारण बना रहस्य
  • स्कूल ब्रेक के दौरान हुई दर्दनाक घटना, सभी छात्र और शिक्षक सदमे में
  • गंभीर रूप से घायल छात्रा को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन नहीं बच पाई जान
  • छात्रा के दोस्त बोले—वह सामान्य थी, मानसिक तनाव के कोई संकेत नहीं मिले
  • पुलिस सीसीटीवी फुटेज और छात्रा के मोबाइल की जांच में जुटी, आत्महत्या या दबाव का मामला?

अहमदाबाद – गुजरात के अहमदाबाद शहर में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां नवरंगपुरा स्थित एक प्रतिष्ठित स्कूल की 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा ने स्कूल की चौथी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। यह हादसा उस समय हुआ जब स्कूल में ब्रेक का समय था और बाकी छात्र नाश्ता करने में व्यस्त थे। अचानक हुए इस हादसे से स्कूल परिसर में अफरा-तफरी मच गई और शिक्षकों के साथ-साथ छात्र भी सन्न रह गए।

क्या था घटना का समय और स्थान?

घटना गुरुवार दोपहर करीब 10:45 बजे की है। अहमदाबाद के नवरंगपुरा क्षेत्र में स्थित एक अंग्रेजी माध्यम स्कूल की चौथी मंजिल से एक 16 वर्षीय छात्रा ने छलांग लगा दी। नीचे गिरने के बाद छात्रा के सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं। स्कूल प्रशासन ने तुरंत एंबुलेंस बुलवाकर छात्रा को पास के अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद छात्रा की जान नहीं बच सकी।

स्कूल स्टाफ और छात्र सदमे में, क्या नहीं था कोई संकेत?

स्कूल के शिक्षकों और छात्रा के सहपाठियों का कहना है कि छात्रा पढ़ाई में ठीक-ठाक थी और पिछले कुछ समय से उसमें किसी तरह का मानसिक तनाव नज़र नहीं आया था।

छात्रा के दोस्तों ने क्या कहा?

“वह सुबह बिल्कुल सामान्य थी। ब्रेक से पहले क्लास में मज़ाक भी कर रही थी। किसी को अंदाजा नहीं था कि वह चौथी मंजिल से छलांग जैसी हरकत कर सकती है।” — एक सहपाठी

इस बयान ने जांच अधिकारियों को और उलझन में डाल दिया है, क्योंकि अब तक किसी तरह के सुसाइड नोट या संकेत नहीं मिले हैं।

पुलिस जांच में जुटी: आत्महत्या या किसी दबाव का मामला?

अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा मामले की बारीकी से जांच कर रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, छात्रा के मोबाइल फोन और सोशल मीडिया अकाउंट को जब्त कर लिया गया है।

पुलिस द्वारा उठाए गए कदम:

  • स्कूल परिसर के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं
  • परिवार वालों और सहपाठियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं
  • मोबाइल चैट, कॉल रिकॉर्ड और सोशल मीडिया गतिविधि की जांच की जा रही है
  • स्कूल प्रशासन से छात्रा की अकादमिक स्थिति और व्यवहार संबंधी रिपोर्ट मांगी गई है

परिवार का रो-रो कर बुरा हाल, न्याय की मांग

छात्रा के परिजन इस घटना से बुरी तरह टूट चुके हैं। मां बार-बार बस यही कह रही हैं कि,

“उसने कभी नहीं कहा कि उसे किसी बात की तकलीफ है। फिर हमारी बेटी ने ये क्यों किया?”

परिवार का आरोप है कि हो सकता है छात्रा को किसी प्रकार का मानसिक दबाव, धमकी या शोषण झेलना पड़ा हो। इसलिए वे जांच में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं और किसी भी दोषी को सजा दिलाने की अपील कर रहे हैं।

समाज में गूंज उठा सवाल: क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं?

यह कोई पहली घटना नहीं है, जब किसी छात्र ने स्कूल में इस तरह का कदम उठाया हो। चौथी मंजिल से छलांग जैसे मामले समाज को यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि बच्चों की मानसिक स्थिति को लेकर हम कितने सजग हैं?

मनोचिकित्सकों की सलाह:

वरिष्ठ बाल मनोचिकित्सक डॉ. संदीप रावल का कहना है—

“आजकल के बच्चे सोशल मीडिया, पढ़ाई का दबाव और पेरेंट्स की उम्मीदों के बीच पिस रहे हैं। स्कूल और माता-पिता को मिलकर एक ऐसा माहौल देना चाहिए, जहां बच्चा खुलकर अपनी परेशानी बता सके।”

स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी उठे सवाल

घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग ने स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के आदेश दिए हैं।

प्रमुख खामियां:

  • चार मंजिला इमारत की बालकनी में सुरक्षा जाल या ग्रिल नहीं लगी थी
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए कोई काउंसलिंग सुविधा उपलब्ध नहीं थी
  • शिक्षकों को भी नहीं था कोई संकेत कि छात्रा किसी मानसिक तनाव में थी

 यह केवल एक बच्ची की मौत नहीं, एक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न है

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने ना केवल एक मासूम जान को निगल लिया, बल्कि पूरे समाज, शिक्षकों और माता-पिता को झकझोर कर रख दिया है।

जब एक छात्रा स्कूल जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थान में भी खुद को असुरक्षित महसूस करती है और चौथी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान दे देती है, तो यह केवल उसकी नहीं, हमारी भी हार है।

पुलिस की जांच जारी है, लेकिन समाज को भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है—क्या हम अपने बच्चों की आवाज़ें सुन पा रहे हैं?

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