हाइलाइट्स
- जम्मू-कश्मीर में 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया गया।
- मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बख्शी स्टेडियम में राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
- पीएम मोदी के लाल किले के भाषण में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने पर अफसोस जताया।
- किश्तवाड़ में बादल फटने और बाढ़ की स्थिति पर चिंता व्यक्त की।
- उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि उम्मीद की रोशनी में कमी आई है।
जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस का आयोजन
जम्मू-कश्मीर में आज 79वां स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। श्रीनगर स्थित बख्शी स्टेडियम में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और नागरिकों के साथ आजादी के इस महोत्सव को मनाया। इस अवसर पर राज्यभर के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आज का दिन केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजादी और पहचान का प्रतीक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में राज्य को उसके पूर्ण अधिकार वापस मिलेंगे।
पीएम मोदी के भाषण पर उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया
आज के समारोह में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लाल किले से दिए गए भाषण का जिक्र करते हुए अफसोस जताया। उमर अब्दुल्ला ने कहा:
“पिछली बार मैं जब यहां खड़ा था, तब एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारा अपना संविधान था, हमारी अपनी पहचान थी। लेकिन, आज हम अपनी पहचान के इंतजार में हैं। मुझे नहीं पता इसमें देरी क्यों की जा रही है?”
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के नागरिक दिल्ली में बड़े ऐलान की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन कोई ठोस घोषणा नहीं हुई।
‘उम्मीद में कमी आई है’ – उमर अब्दुल्ला
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वे पूरी तरह नाउम्मीद नहीं हैं, लेकिन हालात ने उनकी उम्मीदों में कमी जरूर कर दी है। उन्होंने कहा कि यह समय जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए धैर्य और सचेत निर्णय का है।
“हम आज दिल्ली में एक बड़े ऐलान का इंतजार कर रहे थे, लेकिन इंतजार ही करते रह गए। कुछ आया नहीं। मैं नाउम्मीद नहीं हूं, लेकिन उम्मीद की रोशनी में कुछ कमी आई है।”
‘हमने क्या खता की है’ – सवाल केंद्र सरकार से
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य को देश के अन्य राज्यों के बराबर करने का वादा किया गया था, लेकिन क्या आज यह वादा पूरा हुआ? उन्होंने कहा:
“अगर ऐसा नहीं है तो हमने क्या खता की है?”
यह सवाल राज्य में स्थायी विकास और नागरिकों की संतुष्टि की दिशा में गंभीर चिंता को दर्शाता है।
किश्तवाड़ में प्राकृतिक आपदा: बादल फटने की घटना
किश्तवाड़ जिले में कल हुई प्राकृतिक आपदा ने राज्य में चिंता की लकीर खींच दी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस घटना में 60 लोग मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
उन्होंने पूछा:
“मौसम के बारे में पहले से ही जानकारी मिल चुकी थी, फिर यह घटना कैसे हो गई? इस सवाल का जवाब देना होगा।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि घटना की पूरी जांच की जाएगी और लापरवाही कहां हुई, यह देखना आवश्यक है।
प्रशासनिक कार्रवाई और राहत कार्य
किश्तवाड़ में आपदा के बाद प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर लगाए हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रभावित परिवारों को वित्तीय सहायता देने का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार हर संभव मदद करेगी।
जम्मू-कश्मीर की पहचान और भावी आशाएँ
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर की विशेष पहचान और राज्य के नागरिकों के अधिकारों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता अपनी पूर्णता की प्रतीक्षा कर रही है।
“हम आज भी अपने अधिकारों और पहचान की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह समय हमारी धैर्य और सहनशीलता की परीक्षा है। उम्मीद की रोशनी में कमी आई है, लेकिन हम निराश नहीं हैं।”
जम्मू-कश्मीर में आज का स्वतंत्रता दिवस केवल एक समारोह नहीं था, बल्कि राज्यवासियों की उम्मीद और उनके अधिकारों की याद दिलाने वाला दिन था। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब और राज्य की पहचान के प्रति ध्यान देने का आह्वान किया। किश्तवाड़ में प्राकृतिक आपदा ने इस अवसर को गंभीर रूप भी दिया, जिससे राज्य प्रशासन और नागरिकों दोनों के लिए जिम्मेदारियों की याद दिलाई गई।