हाइलाइट्स
- Islam Population Growth को लेकर Pew Research Center की रिपोर्ट ने खड़े किए गंभीर सवाल
- 2060 तक Islam Population Growth के कारण ईसाई धर्म को पछाड़ सकता है इस्लाम
- भारत में मुस्लिम आबादी 14.9% से बढ़कर 19.4% होने का अनुमान
- युवा जनसंख्या और उच्च प्रजनन दर बन रही है Islam Population Growth की मुख्य वजह
- धार्मिक जनसंख्या में बदलाव से भविष्य की राजनीति और समाज पर गहरा असर पड़ने की आशंका
क्या इस्लाम बनने जा रहा है दुनिया का सबसे बड़ा धर्म?
दुनिया में धार्मिक जनसंख्या को लेकर Pew Research Center की ताज़ा रिपोर्ट ने दुनिया भर में बहस छेड़ दी है। रिपोर्ट के अनुसार आने वाले कुछ दशकों में Islam Population Growth इतनी तेज़ी से बढ़ेगी कि 2060 तक यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बन सकता है। मौजूदा समय में ईसाई धर्म सबसे व्यापक रूप से माना जाने वाला धर्म है, लेकिन जिस रफ्तार से मुस्लिम आबादी में वृद्धि हो रही है, वह आने वाले भविष्य की तस्वीर बदलने वाली है।
Pew Research Center की चौंकाने वाली भविष्यवाणी
2060 तक इस्लाम बन सकता है सबसे बड़ा धर्म
Pew Research की स्टडी के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच Islam Population Growth 34.7 करोड़ रही, जबकि ईसाइयों की आबादी महज 12.2 करोड़ बढ़ी। यह अंतर बताता है कि इस्लाम दुनिया का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला धर्म है।
2020 तक इस्लाम को मानने वालों की संख्या 200 करोड़ पार कर चुकी है, और 2060 तक यह आंकड़ा 300 करोड़ से भी ज्यादा हो सकता है।
जनसंख्या में ईसाइयों की गिरावट, बौद्धों का भी ह्रास
जहां मुस्लिम आबादी बढ़ी है, वहीं बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या 1.9 करोड़ घटकर 32.4 करोड़ पर आ गई है। वहीं ईसाई धर्म की वृद्धि दर भी धीमी रही है। Islam Population Growth के मुकाबले गैर-मुस्लिमों की कुल आबादी में केवल 24.8 करोड़ की वृद्धि देखी गई।
इस्लाम की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या के कारण
1. युवा जनसंख्या
Pew Research की रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा युवा है।
2015 में मुसलमानों की जनसंख्या में से 34% लोग 15 वर्ष से कम आयु के थे।
60% लोग 15 से 59 वर्ष के आयु वर्ग में आते हैं।
केवल 7% लोग 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के हैं।
2. उच्च प्रजनन दर
दुनिया की कुल आबादी में वृद्धि दर जहां 32% आंकी गई है, वहीं Islam Population Growth 70% तक अनुमानित है, जो वैश्विक औसत से दोगुना है। इसका कारण है मुस्लिम परिवारों में औसतन अधिक बच्चे होना।
3. धर्म परिवर्तन
इस्लाम में धर्म परिवर्तन की दर अन्य धर्मों के मुकाबले कहीं अधिक है। यूरोप और अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग इस्लाम अपना रहे हैं। Pew के आंकड़े बताते हैं कि हर साल हज़ारों लोग इस्लाम कुबूल करते हैं।
भारत में क्या होगा असर?
2060 तक 33 करोड़ हो सकती है मुस्लिम आबादी
Pew Research की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 में भारत की मुस्लिम आबादी कुल जनसंख्या का 14.9% थी, जो 2060 तक 19.4% हो सकती है। अनुमान है कि तब तक भारत में मुसलमानों की संख्या 33 करोड़ से अधिक होगी। यह Islam Population Growth का एक प्रमुख संकेतक है।
हिंदू और ईसाई जनसंख्या की धीमी वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार, अगले कुछ वर्षों में ईसाइयों की जनसंख्या में 34% और हिंदुओं की आबादी में 27% की वृद्धि हो सकती है, जो कि मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले काफी कम है।
वैश्विक स्तर पर धार्मिक संतुलन में परिवर्तन
Pew Research की रिपोर्ट 201 देशों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों पर आधारित है। इसके अनुसार:
- 2010 में मुस्लिम जनसंख्या दुनिया की कुल आबादी का 23.9% थी
- 2020 में यह 25.6% हो गई
- वहीं, ईसाई आबादी 2010 में 30.6% थी जो 2020 में घटकर 28.6% हो गई
यह Islam Population Growth को लेकर गंभीर संकेत हैं कि अगले कुछ दशकों में धार्मिक संतुलन पूरी तरह बदल सकता है।
क्या भविष्य में राजनीति भी बदलेगी?
धार्मिक जनसंख्या में बड़े स्तर पर होने वाले इस बदलाव का असर वैश्विक राजनीति, सामाजिक संरचना और सांस्कृतिक मूल्यों पर भी देखने को मिल सकता है। Islam Population Growth के चलते:
- मुस्लिम मतदाता संख्या में वृद्धि होगी
- मुस्लिम देशों का वैश्विक प्रभाव बढ़ेगा
- इस्लामी संस्कृति का प्रभाव शिक्षा, व्यापार और तकनीक में भी दिख सकता है
विरोधियों की चिंताएं और बहस
हालांकि इस रिपोर्ट को लेकर कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने चिंता भी व्यक्त की है। उनका कहना है कि Islam Population Growth को लेकर समाज में ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। वहीं कुछ संगठन इसे धर्म विशेष के खिलाफ प्रचार भी बता रहे हैं।
क्या तैयार है दुनिया इस बदलाव के लिए?
Pew Research की रिपोर्ट ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — क्या दुनिया Islam Population Growth के प्रभावों के लिए तैयार है?
जहां एक ओर यह धार्मिक विविधता और जनसंख्या में बदलाव का संकेत है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक और राजनीतिक ढांचे के लिए भी एक चेतावनी है।
2060 तक दुनिया किस दिशा में जाएगी, यह तय करेगा कि समाज कैसे इन आंकड़ों और बदलावों से निपटता है।