हाइलाइट्स
- Islam Conversion का सनसनीखेज मामला आया सामने, आज़मगढ़ के कॉलेज में शिक्षिका सीमा के धर्म परिवर्तन पर बवाल
- शिक्षिका सीमा अब करती हैं रोज़े, पढ़ती हैं नमाज़, और कॉलेज परिसर में ही रह रही हैं – परिवार से पूरी तरह अलग
- ससुराल वालों ने जताई गहरी नाराज़गी, सास राधिका ने दर्ज कराई पुलिस में शिकायत
- आरोपी डिप्टी मैनेजर ग़ालिब ख़ान पर ब्रेनवॉश और मानसिक नियंत्रण का गंभीर आरोप
- पुलिस कर रही मामले की बारीकी से जांच, धर्मांतरण कानून की धाराएं भी हो सकती हैं लागू
धर्म परिवर्तन का नया विवाद: क्या वाकई हुआ मानसिक शोषण?
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ शिक्षा जगत में हलचल मचा दी है, बल्कि Islam Conversion को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। सरकारी सहायता प्राप्त एक इंटर कॉलेज में कार्यरत शिक्षिका सीमा (बदला हुआ नाम), जो पहले एक हिंदू परिवार की सदस्य थीं, अब इस्लाम धर्म अपना चुकी हैं। इस धर्म परिवर्तन के पीछे आरोप है कॉलेज के ही डिप्टी मैनेजर ग़ालिब ख़ान पर, जिन पर सीमा को ब्रेनवॉश करने और मानसिक रूप से प्रभावित करने का आरोप है।
सीमा का बदला जीवन: अब रोज़ा-नमाज़ और ससुराल से दूरी
Ghalib Khan, school deputy manager brainwashed Hindu teacher Seema, converting her Islam in Azamgarh, UP.
She now observes Rozas, offering namaz, and lives at college, abandoning her husband Parag.
Her mother-in-law Radhika filed a police complaint, exposing the betrayal.… pic.twitter.com/2ZWFClS3sl
— Treeni (@TheTreeni) July 18, 2025
कैसे बदला एक शिक्षिका का जीवन?
सीमा पहले अपने पति पराग के साथ रहती थीं और पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाज़ों का पालन करती थीं। लेकिन पिछले कुछ महीनों में उनका व्यवहार एकदम बदल गया। वे अब कॉलेज में ही रहती हैं, मुस्लिम पोशाक पहनती हैं, नमाज़ अदा करती हैं और रोज़े भी रख रही हैं। उनके इस बदलाव से पति पराग और उनके परिवार को गहरा आघात पहुँचा है।
सास का आरोप: “हमारी बहू को ग़लत तरीके से बहकाया गया”
सीमा की सास राधिका देवी ने आज़मगढ़ पुलिस स्टेशन में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें ग़ालिब ख़ान पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। राधिका का कहना है कि,
“मेरी बहू को पहले धर्म से काटा गया, फिर इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया। ग़ालिब ने उसके दिमाग पर नियंत्रण कर लिया है।”
आरोपी ग़ालिब ख़ान की सफाई और पुलिस की प्रतिक्रिया
ग़ालिब का इनकार: “मैंने कुछ नहीं किया”
ग़ालिब ख़ान, जो कॉलेज के डिप्टी मैनेजर हैं, ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है। उनका कहना है कि सीमा बालिग हैं और उन्होंने अपना धर्म स्वेच्छा से बदला है। ग़ालिब का यह भी दावा है कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है।
पुलिस की जांच जारी, धर्मांतरण कानून पर नजर
आज़मगढ़ पुलिस ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि,
“मामला गंभीर है। हम हर पहलू की जांच कर रहे हैं। यदि धर्मांतरण में किसी प्रकार की जबरदस्ती या धोखाधड़ी पाई गई, तो Islam Conversion कानून की सख्त धाराएं लगाई जाएंगी।”
सोशल मीडिया और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
वायरल हो रहा मामला
यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई संगठनों ने इसे Love Jihad से जोड़ दिया है, वहीं कुछ लोग इसे महिला की ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ का मामला बता रहे हैं।
राजनैतिक दलों की प्रतिक्रिया
भाजपा नेताओं ने मामले की गहन जांच और दोषी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से यह बयान आया कि बिना पूरी जांच के किसी को दोषी ठहराना गलत है।
धर्म परिवर्तन की कानूनी स्थिति
उत्तर प्रदेश सरकार ने Islam Conversion सहित किसी भी प्रकार के धर्म परिवर्तन के मामलों में स्पष्ट कानून बनाए हैं। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत किसी भी प्रकार की जबरदस्ती, धोखा या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना अपराध है और दोष सिद्ध होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
विशेषज्ञों की राय: मानसिक नियंत्रण या स्वेच्छा?
क्या यह ब्रेनवॉश है?
मनोचिकित्सक डॉक्टर सीमा सिंह के अनुसार,
“जब कोई महिला अचानक अपने धार्मिक विश्वास, रहन-सहन और जीवनशैली को त्याग देती है, तो यह या तो आत्मिक परिवर्तन हो सकता है या फिर मानसिक प्रभाव का परिणाम।”
स्वतंत्रता बनाम शोषण
महिला अधिकार कार्यकर्ता नीलम त्रिपाठी का कहना है,
“हर महिला को अपने धर्म और जीवन शैली चुनने की स्वतंत्रता है, लेकिन अगर उसके साथ कोई दबाव या मानसिक शोषण हुआ है, तो वह अपराध है।”
एक मामला, कई सवाल
सीमा के इस धर्म परिवर्तन ने Islam Conversion को लेकर फिर से कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह एक स्वतंत्र निर्णय था या किसी गहरे षड्यंत्र का हिस्सा? पुलिस जांच आने वाले दिनों में सच्चाई को उजागर करेगी, लेकिन यह मामला समाज में धार्मिक विश्वास, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन की आवश्यकता को ज़रूर उजागर करता है।