डोनाल्ड ट्रंप का दावा: भारत-पाक युद्ध हमने रुकवाया, 33वीं बार दोहराया बड़ा बयान

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हाइलाइट्स:

  •  भारत-पाक युद्ध को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने फिर दोहराया बड़ा दावा
  • ट्रंप बोले- हमने कई देशों की वॉर रुकवा दी, भारत और पाकिस्तान को भी रोक दिया
  • ट्रंप ने कहा- मैं पहला व्यक्ति था जिसने ट्वीट कर बताया था सीजफायर
  • ट्रंप के ट्वीट के बाद ही भारत सरकार ने दी थी शांति की सूचना
  • यह ट्रंप का 33वां बयान है भारत-पाक युद्ध को लेकर, फिर छिड़ी अंतरराष्ट्रीय बहस

ट्रंप का बड़ा दावा: भारत-पाक युद्ध को रुकवाने में निभाई थी अहम भूमिका

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से भारत-पाक युद्ध के मुद्दे पर ऐसा बयान दिया है जिससे न सिर्फ भारत-पाकिस्तान बल्कि वैश्विक राजनीति में भी हलचल मच गई है। ट्रंप ने अपने हालिया भाषण में कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को रोकने में एक निर्णायक भूमिका निभाई थी। यह पहली बार नहीं, बल्कि 33वीं बार है जब उन्होंने यह दावा दोहराया है।

ट्रंप का भाषण: “हमने कई देशों की वॉर रुकवा दी”

ट्रंप ने कहा,

“मैंने न केवल कोरियाई प्रायद्वीप की तनातनी को रोका, बल्कि भारत-पाक युद्ध को भी रुकवाया। उस समय दोनों देश लगभग युद्ध के कगार पर थे, लेकिन मेरे हस्तक्षेप से सीजफायर हुआ।”

यह बयान ट्रंप ने अपने हालिया प्रचार अभियान के दौरान न्यू जर्सी में दिया, जहाँ हजारों की भीड़ मौजूद थी। ट्रंप ने जोर देकर कहा कि उनकी एक ट्वीट से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावना टल गई थी।

ट्रंप की वह ट्वीट और मोदी सरकार की प्रतिक्रिया

ट्रंप के इस बयान को आधार बनाते हुए लोग 2019 की घटनाओं को याद कर रहे हैं, जब पुलवामा हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारत-पाक युद्ध जैसे हालात बन गए थे। उस समय ट्रंप ने ट्वीट कर बताया था कि स्थिति नियंत्रण में है और दोनों देशों के बीच बातचीत हो रही है।

ट्रंप का दावा है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से सीधे बात की थी और दोनों को संयम बरतने की सलाह दी थी।

ट्रंप के ट्वीट के कुछ ही घंटों बाद भारत सरकार की ओर से भी शांति की पहल की जानकारी सार्वजनिक की गई थी।

क्या वाकई ट्रंप ने रोका था भारत-पाक युद्ध?

इस दावे को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कुछ का मानना है कि अमेरिका जैसी महाशक्ति की सक्रियता से भारत-पाक तनाव जरूर कम हुआ था, लेकिन भारत-पाक युद्ध को रोकने का पूरा श्रेय ट्रंप को देना अतिशयोक्ति है।

विदेश नीति विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

  • डॉ. वंदना मिश्रा, JNU की अंतरराष्ट्रीय राजनीति विशेषज्ञ कहती हैं,

    “अमेरिका की ओर से बातचीत के प्रयास हुए थे, लेकिन भारत ने हमेशा से कहा है कि वह अपने मुद्दों को द्विपक्षीय रूप से ही सुलझाएगा। ट्रंप का यह दावा आत्मप्रशंसा से अधिक कुछ नहीं।”

  • वहीं रिटायर्ड ले. जनरल एस.एम. मलिक कहते हैं,

    “ऐसे तनावपूर्ण समय में वैश्विक नेतृत्व का असर होता है। ट्रंप की सक्रियता रही होगी, लेकिन युद्ध रोकने का पूरा श्रेय उन्हें देना उचित नहीं।”

33वीं बार दोहराया गया बयान: ट्रंप की रणनीति या प्रचार?

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप यह बयान केवल अमेरिका में दक्षिण एशियाई मूल के वोटर्स को लुभाने के लिए बार-बार दोहरा रहे हैं। उनका मकसद यह दिखाना है कि वह एक विश्व नेता रहे हैं, जिनके निर्णयों ने युद्ध को भी रोका।

ट्रंप इससे पहले भी कई बार भारत-पाक युद्ध को रोकने का दावा कर चुके हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इसे मंच से जोर-शोर से कहा, जिसे मीडिया ने तुरंत पकड़ लिया।

भारत सरकार की प्रतिक्रिया?

अब तक भारत सरकार की ओर से इस दावे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि 2019 में विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा था कि भारत सभी मुद्दों को द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए हल करने में विश्वास रखता है और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की जरूरत नहीं है।

इसका मतलब यह हुआ कि भारत ने ट्रंप के उस वक्त के बयान को महज एक कूटनीतिक बयान मानकर नजरअंदाज किया था।

ट्रंप के दावों का राजनीतिक महत्व

ट्रंप के लिए भारत-पाक युद्ध पर बयान देना केवल अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी भूमिका दिखाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक रणनीति भी है। अमेरिका में लाखों भारतीय और पाकिस्तानी मूल के वोटर्स हैं जिनकी नज़रें ऐसे बयानों पर रहती हैं।

उनके इस बयान से अमेरिका-भारत और अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में तत्काल कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह चर्चा जरूर छिड़ गई है कि क्या अमेरिका जैसी महाशक्ति वास्तव में उपमहाद्वीप में युद्ध टाल सकती है?

बयान बड़ा, सच्चाई अलग

डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा कि उन्होंने भारत-पाक युद्ध को रोका था, कई बार दोहराया जा चुका है। इसमें कितनी सच्चाई है, यह कहना मुश्किल है, लेकिन यह स्पष्ट है कि वैश्विक मंच पर ऐसे बयानों से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की जाती है।

भारत ने हमेशा अपने संप्रभुता और कूटनीतिक नीति के तहत स्पष्ट किया है कि वह बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता। इसलिए ट्रंप का यह दावा राजनीतिक प्रचार की एक चाल हो सकता है।

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