हाइलाइट्स
- India Retaliatory Tariffs के तहत भारत ने अमेरिका को दिया जवाब, सेब-बादाम पर शुल्क बढ़ा
- राष्ट्रपति Donald Trump की ‘America First’ नीति को भारत की दो टूक प्रतिक्रिया
- सेब, बादाम, अखरोट सहित 28 अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ में भारी वृद्धि
- भारत ने WTO नियमों के तहत उठाया यह कदम, बताया आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास
- अमेरिकी किसान संगठनों और लॉबी ग्रुपों में मचा हड़कंप
जवाबी शुल्क के ज़रिए भारत का बड़ा ऐलान: अब अमेरिका को नहीं मिलेगा फ्री पास
2025 में राष्ट्रपति Donald Trump के दोबारा सत्ता में आते ही अमेरिका की व्यापार नीति और आक्रामक हो गई है। ‘America First’ की नीति को और सख्त करते हुए ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर पुराने टैरिफ न हटाने की बात दोहराई। इसके जवाब में भारत ने India Retaliatory Tariffs लागू कर दिए हैं, जिनका असर अब सीधे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर दिखेगा।
Donald Trump की व्यापार नीति: भारत क्यों हुआ नाराज़?
व्यापार के नाम पर ‘एकतरफा फैसला’
Donald Trump ने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान भी चीन, भारत, कनाडा और यूरोपीय यूनियन के साथ टैरिफ युद्ध छेड़ा था। अब दूसरे कार्यकाल में उन्होंने भारत के साथ व्यापारिक संधियों पर पुनर्विचार की बात कही, और भारतीय उत्पादों पर टैरिफ घटाने से इंकार कर दिया।
इसके चलते भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए India Retaliatory Tariffs का ऐलान किया, जिसे आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मसम्मान का प्रतीक बताया गया।
किन वस्तुओं पर भारत ने लगाया जवाबी शुल्क?
India Retaliatory Tariffs के तहत जिन प्रमुख अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया गया है, वे हैं:
- सेब (Apple): 70% शुल्क
- बादाम (Almond): 120 रु./किलो आयात शुल्क
- अखरोट (Walnut): 100% से अधिक
- दालें (Lentils): 30% तक का इम्पोर्ट टैक्स
- बोरबॉन व्हिस्की, चिकन लेग्स, प्रोसेस्ड फूड्स भी इस सूची में शामिल
इन उत्पादों का बड़ा हिस्सा अमेरिकी किसानों द्वारा भारत को निर्यात किया जाता था।
WTO में भारत की स्थिति
भारत का कानूनी आधार मजबूत
भारत ने अपने India Retaliatory Tariffs को पूरी तरह WTO (World Trade Organization) के नियमों के अनुरूप बताया है। भारत का कहना है कि अमेरिका ने पहले स्टील और एल्युमिनियम पर अनुचित टैरिफ लगाए, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन था।
“यह केवल आर्थिक जवाब नहीं, बल्कि नीतिगत स्थिति का प्रतीक है,” – भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी
अमेरिका में मचा हड़कंप
किसान संगठनों और व्यापारिक लॉबीज़ की नाराज़गी
Donald Trump की व्यापार नीति को लेकर अमेरिका में भी असंतोष बढ़ने लगा है। खासकर कैलिफोर्निया और टेक्सास के बादाम और सेब उत्पादक किसानों ने प्रशासन से भारत के साथ समझौते की मांग की है।
“भारत हमारा सबसे बड़ा बाजार है। टैरिफ बढ़ने से हमारी आय पर सीधा असर होगा,” – अमेरिकन ऐप्पल ग्रोअर्स एसोसिएशन
भारत को इससे क्या मिलेगा?
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा समर्थन
India Retaliatory Tariffs का सीधा लाभ भारतीय किसानों और उद्यमियों को मिलेगा। सरकार का मानना है कि:
- देशी फसलों को मिलेगा संरक्षण
- विदेशी आयात महंगे होंगे, जिससे घरेलू बाजार को फायदा
- राजस्व में वृद्धि होगी
- अमेरिकी निर्भरता घटेगी
विशेषज्ञों की राय
“यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत ने पहली बार अमेरिका को आर्थिक मोर्चे पर बराबरी से जवाब दिया है।”
– डॉ. सुधांशु सिन्हा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अमेरिका पीछे नहीं हटा तो भारत आगे और उत्पादों पर भी टैरिफ बढ़ा सकता है।
आगे क्या?
क्या बातचीत की गुंजाइश है?
Donald Trump की टीम से संकेत मिले हैं कि वे भारत के साथ व्यापारिक संतुलन पर बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक कोई रियायत देने का संकेत नहीं दिया है। आने वाले हफ्तों में G20 या BRICS जैसे मंचों पर इस मुद्दे पर चर्चा की संभावना है।
भारत अब झुकने वाला नहीं
India Retaliatory Tariffs केवल एक आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि भारत की नई वैश्विक भूमिका का संकेत है। Donald Trump की आक्रामक व्यापार नीति को भारत अब चुनौती देने में सक्षम है। यह दिखाता है कि भारत अब केवल बाजार नहीं, बल्कि नीति-निर्धारक भी बन रहा है।