हाइलाइट्स
- भारत-चीन संबंध में नई गर्माहट, चीन ने 3 अहम वस्तुओं के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाया।
- उर्वरक, रेयर अर्थ मिनरल्स और टनल बोरिंग मशीनों की आपूर्ति अब भारत को मिलेगी।
- जयशंकर और वांग यी की मुलाकात के बाद भारत की चिंताओं पर चीन ने सकारात्मक कदम उठाया।
- अमेरिकी टैरिफ नीति के कारण भारत-चीन संबंधों में और नजदीकी आने की संभावना।
- ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद।
भारत-चीन संबंध हाल के वर्षों में तनाव और सहयोग के बीच झूलते रहे हैं। सीमा विवाद, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और वैश्विक राजनीति के बीच दोनों देशों के रिश्ते अक्सर उतार-चढ़ाव से गुजरते हैं। लेकिन हाल ही में एक ऐसा घटनाक्रम सामने आया है जिसने भारत-चीन संबंध को नए सिरे से परिभाषित करने का संकेत दिया है। चीन ने तीन महत्वपूर्ण वस्तुओं—फर्टिलाइजर, रेयर अर्थ मिनरल्स और टनल बोरिंग मशीनों—के निर्यात पर लगी रोक हटा दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका भारत पर टैरिफ के जरिए दबाव बना रहा है।
चीन का बड़ा फैसला और भारत पर असर
भारत ने चीन से अपनी चिंताओं को साझा किया था कि अचानक लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों से कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर गहरा असर पड़ रहा है। खासकर भारत-चीन संबंध के संदर्भ में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा था, क्योंकि फर्टिलाइजर की कमी रबी सीजन में किसानों के लिए समस्या बन सकती थी।
- उर्वरक आपूर्ति: चीन की रोक हटने से Di-Ammonium Phosphate (डीएपी) जैसे फर्टिलाइजर्स की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
- इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: टनल बोरिंग मशीनें कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए जरूरी हैं, जिनकी डिलीवरी अब फिर से शुरू होगी।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो उद्योग: रेयर अर्थ मिनरल्स और मैग्नेट्स की उपलब्धता इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को गति देगी।
कूटनीति और बातचीत की सफलता
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की हालिया मुलाकातों में भारत-चीन संबंध पर सकारात्मक चर्चा हुई। पहले सीमा पर तनाव कम करने पर सहमति बनी और उसके बाद आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाने की बात हुई। चीन ने संकेत दिया कि वह भारत की चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है और विश्वास बहाली की दिशा में काम कर रहा है।
अमेरिका की भूमिका और बदलती स्थिति
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाकर कुल टैरिफ 50% तक बढ़ा दिया है। इसका सीधा असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ा है। इसके विपरीत, चीन के प्रति अमेरिका ने नरम रुख दिखाया है और टैरिफ रोकने के अलावा हाई-एंड चिप्स के निर्यात पर लगी रोक हटाने की घोषणा भी की है।
ऐसे में भारत को अपने रणनीतिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए चीन के साथ सहयोग बढ़ाना मजबूरी और अवसर दोनों लगता है। यही वजह है कि भारत-चीन संबंध में आर्थिक पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा है।
भारत-चीन संबंध का बदलता समीकरण
आर्थिक सहयोग की नई राह
भारत और चीन, दोनों ही एशियाई दिग्गज अर्थव्यवस्थाएं हैं। इनके बीच व्यापारिक संबंध पहले से ही मजबूत हैं। 2022-23 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 135 अरब डॉलर से अधिक का रहा। अब चीन द्वारा निर्यात प्रतिबंध हटाने के बाद यह संबंध और मजबूत हो सकता है।
सीमा विवाद से आर्थिक साझेदारी तक
हालांकि सीमा विवाद अब भी एक बड़ी चुनौती है, लेकिन दोनों देश समझते हैं कि आर्थिक सहयोग से ही स्थिरता हासिल की जा सकती है। यही कारण है कि भारत-चीन संबंध अब केवल राजनीति तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि इसमें व्यापार और टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका बढ़ रही है।
भारत के लिए फायदे
- कृषि क्षेत्र: किसानों को पर्याप्त फर्टिलाइजर मिलेगा।
- बुनियादी ढांचा: मेट्रो, हाईवे और सुरंग परियोजनाओं में तेजी आएगी।
- इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग: रेयर अर्थ मिनरल्स मिलने से ईवी सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
- टेक्नोलॉजी सेक्टर: इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग सुचारू होगी।
- राजनीतिक संतुलन: भारत अमेरिका और चीन के बीच संतुलन साधने में सक्षम होगा।
विशेषज्ञों की राय
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मानते हैं कि अमेरिका के दबाव और टैरिफ नीतियों के बीच भारत को अपनी रणनीति बदलनी होगी। चीन के साथ संबंध मजबूत करना अल्पकालिक जरूरत भी है और दीर्घकालिक रणनीति भी। कई विशेषज्ञ इसे भारत-चीन संबंध में “नए युग की शुरुआत” मानते हैं।
भारत-चीन संबंध हाल के दिनों में एक बार फिर सुर्खियों में हैं। चीन का यह कदम न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी रिश्तों में सकारात्मक संकेत देता है। जबकि अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है, चीन के साथ सहयोग बढ़ाना भारत के लिए विकल्प से ज्यादा आवश्यकता बनता जा रहा है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नजदीकी केवल व्यापार तक सीमित रहती है या फिर यह दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी में बदलती है। लेकिन इतना तय है कि भारत-चीन संबंध अब नए मोड़ पर खड़े हैं, और इसका असर वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा।