हाइलाइट्स
- “India China relations” को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर की चीन यात्रा ने नई उम्मीदें जगाईं।
- एससीओ शिखर सम्मेलन की तैयारी के साथ-साथ सीमा विवाद और व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा हुई।
- रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर चीन की रोक को भारत ने प्रमुख मुद्दा बनाया।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और सीधी उड़ानों पर भी बातचीत हुई।
- विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को पुनः स्थापित करने की दिशा में अहम कदम है।
“India China relations” क्यों हैं वैश्विक चर्चा का विषय?
भारत और चीन एशिया की दो सबसे बड़ी ताकतें हैं। दोनों देशों के बीच 3,800 किलोमीटर लंबी सीमा है, और बीते वर्षों में गलवान घाटी की हिंसा के बाद “India China relations” में तनाव देखा गया। लेकिन अब, एस. जयशंकर की चीन यात्रा ने इन संबंधों को फिर से सामान्य करने की दिशा में एक नई शुरुआत की है।
एस. जयशंकर की चीन यात्रा: एक रणनीतिक पहल
एससीओ बैठक में भागीदारी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन का दौरा किया। यह उनकी 2020 की गलवान हिंसा के बाद पहली चीन यात्रा थी।
द्विपक्षीय वार्ता
जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस दौरान “India China relations” को बेहतर बनाने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया गया।
व्यापार और रणनीति: रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर भारत की चिंता
क्या हैं रेयर अर्थ एलिमेंट्स?
रेयर अर्थ एलिमेंट्स वे खनिज हैं जो इलेक्ट्रिक वाहनों, स्मार्टफोन, मिसाइल प्रणालियों और सौर ऊर्जा उपकरणों में उपयोग होते हैं। चीन इनका वैश्विक उत्पादन में 60% से अधिक हिस्सा रखता है।
चीन की रोक और भारत की प्रतिक्रिया
चीन ने इन तत्वों के निर्यात पर हाल ही में प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे भारत की मेक इन इंडिया पहल पर असर पड़ सकता है। जयशंकर ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और चीन से इन प्रतिबंधों को हटाने की मांग की।
लोगों से लोगों का संपर्क: सीधी उड़ानों और यात्रा की बहाली
कैलाश मानसरोवर यात्रा
कोविड-19 और सीमा तनाव के कारण बंद हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया गया है। यह “India China relations” में विश्वास बहाली का संकेत माना जा रहा है।
सीधी उड़ानों पर चर्चा
जयशंकर ने चीन से भारत के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने की बात कही, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय: क्या यह स्थायी बदलाव है?
अनिल त्रिगुणायत की टिप्पणी
पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि यह यात्रा एक नए रोडमैप की ओर इशारा करती है। उन्होंने इसे द्विपक्षीय संबंधों को गति देने वाला कदम बताया।
फैसल अहमद का विश्लेषण
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ फैसल अहमद ने कहा कि “India China relations” में मतभेदों की तुलना में सहयोग के अधिक पहलू हैं। उन्होंने ट्रैक टू डिप्लोमेसी जैसे वैकल्पिक तरीकों की सराहना की।
क्या “India China relations” में स्थायी सुधार संभव है?
भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार की यह पहल केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। एस. जयशंकर की यात्रा ने यह संकेत दिया है कि “India China relations” को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है, बशर्ते दोनों पक्ष संवाद और सहयोग को प्राथमिकता दें।