हाइलाइट्स
- अवैध हथियार का कारोबार अब राजस्थान की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
- दिल्ली के गैंगस्टर अब बिहार और यूपी की बजाय राजस्थान से हथियार खरीद रहे हैं।
- अजमेर, भरतपुर और अलवर के गुप्त कारखाने बन रहे हैं नए हब।
- पुलिस जांच में 1500 से ज्यादा हथियार पिछले तीन सालों में दिल्ली से बरामद।
- नकली लाइसेंस और आसान तस्करी रास्तों ने बढ़ाई पुलिस की चिंता।
राजस्थान बन रहा है हथियारों का नया अड्डा
दिल्ली और आसपास के इलाकों में अपराध जगत का तंत्र तेजी से बदल रहा है। पहले जहां बिहार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश अवैध हथियारों की सप्लाई के मुख्य स्रोत माने जाते थे, अब वहां की पुलिस सख्ती ने अपराधियों को राजस्थान की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया है। अजमेर, भरतपुर और अलवर के गुप्त कारखानों से बनने वाले ये हाई-टेक देसी पिस्तौल न केवल गैंगस्टरों के हाथ में आसानी से पहुंच रहे हैं, बल्कि इनके साथ नकली लाइसेंस भी दिए जा रहे हैं।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी (क्राइम) देवेश चंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक, “मुंगेर पहले इस धंधे का गढ़ था, लेकिन वहां की कानून व्यवस्था सुधरने और यूपी में शिकंजा कसने के बाद अब राजस्थान का रास्ता सबसे आसान और सुरक्षित माना जा रहा है।”
बिहार-यूपी से राजस्थान तक का सफर
बदलती सप्लाई चेन
कुछ साल पहले तक दिल्ली के गैंगस्टरों के पास मिलने वाले अवैध हथियार ज्यादातर बिहार के मुंगेर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते थे। जब पुलिस ने इन इलाकों में लगातार दबिश दी तो तस्करों ने मध्य प्रदेश की ओर रुख किया। अब नए दौर में राजस्थान इस धंधे का सबसे बड़ा केंद्र बनता दिख रहा है।
पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले तीन सालों में दिल्ली में पकड़े गए 1500 से अधिक अवैध हथियार राजस्थान से पहुंचे थे। इनमें से ज्यादातर हथियार गैंगवार, फिरौती और व्यक्तिगत सुरक्षा के नाम पर उपयोग किए जाते रहे।
राजस्थान बन रहा है हथियारों का उभरता केंद्र
गांव-गांव में छिपे कारखाने
भरतपुर के बिलख, जुरहारी, सिकारी, पापड़ा, लदमाका और अलवर के पालपुर, खरखड़ी, सैदमपुर, न्याना जैसे गांव अब अवैध हथियारों के गुप्त कारखानों के लिए कुख्यात हो चुके हैं।
राजस्थान एटीएस के एक अधिकारी ने बताया, “पुराने देसी कट्टों में बैरल फटने या ट्रिगर जाम होने की समस्या रहती थी। लेकिन यहां बनने वाले नए हथियार ज्यादा टिकाऊ और भरोसेमंद हैं।”
इन हथियारों की कीमत 20 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक है, जबकि विदेशी पिस्तौल 3.5 लाख रुपये तक की होती है। यही वजह है कि अपराधियों से लेकर आम लोग तक सस्ते और भरोसेमंद अवैध हथियार खरीदने लगे हैं।
नकली लाइसेंस का खेल
उद्योगपति और ज्वैलर्स भी शामिल
हाल ही में राजस्थान एटीएस ने अजमेर में छापा मारकर एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। यहां से न सिर्फ सैकड़ों पिस्तौल और कारतूस बरामद हुए, बल्कि 450 से ज्यादा नकली लाइसेंस भी मिले।
जांच में खुलासा हुआ कि खदान मालिक, ज्वैलर्स और कई उद्योगपति इन फर्जी लाइसेंस के जरिए हथियार रखते थे। यह नेटवर्क न सिर्फ दिल्ली बल्कि पंजाब और मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है।
मेवात: तस्करों का सुरक्षित रास्ता
हरियाणा, यूपी और राजस्थान से सटा मेवात अब अवैध हथियारों की तस्करी का सबसे आसान रास्ता बन गया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों के मुताबिक, “रेल से हथियार लाना अब मुश्किल हो गया है। इसलिए तस्कर सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं। हथियारों को खेतों की सामग्री या घरेलू सामान में छिपाया जाता है।”
तस्करी का तरीका भी चतुराई भरा है। अक्सर बाइक पर एक शख्स आगे चलता है, जबकि पीछे कार में हथियारों का जखीरा होता है। पुलिस को शक होने पर बाइक सवार तुरंत अलर्ट कर देता है और कार चालक हथियार फेंककर भाग निकलता है।
मेवात के कुछ गांवों में हालात इतने खराब हैं कि हर दूसरा घर अब हथियारों की दुकान बन चुका है।
पुलिस की चुनौतियां और कड़े आंकड़े
दिल्ली पुलिस लगातार दबिश दे रही है, लेकिन अवैध हथियारों का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा।
- 2024 में अब तक 1750 हथियार और 4418 राउंड गोला-बारूद बरामद हुए।
- 2023 में 1743 हथियार जब्त हुए थे।
- 2022 में यह आंकड़ा 1902 हथियार और 5719 राउंड था।
- 2025 में केवल मई तक ही 844 हथियार और 1659 राउंड गोला-बारूद पकड़े जा चुके हैं।
स्पष्ट है कि पुलिस की कार्रवाई तेज़ होने के बावजूद अपराधियों के लिए अवैध हथियार हासिल करना अब भी आसान है।
क्या होगा आगे?
विशेषज्ञों की राय
अपराध शास्त्रियों का मानना है कि जब तक राजस्थान और मेवात जैसे इलाकों में कारखानों और नेटवर्क पर पूरी तरह से शिकंजा नहीं कसा जाएगा, तब तक दिल्ली और आसपास के राज्यों में अवैध हथियारों की आपूर्ति जारी रहेगी।
इसके अलावा नकली लाइसेंस का धंधा भी बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। यह नेटवर्क अपराधियों के साथ-साथ आम नागरिकों को भी हथियारों की ओर आकर्षित कर रहा है।
दिल्ली में अवैध हथियारों का बाजार पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बिहार और यूपी से शुरू हुई यह यात्रा अब राजस्थान तक पहुंच गई है। अगर इस धंधे को रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में अपराध और ज्यादा संगठित और खतरनाक रूप ले सकता है।