हाइलाइट्स
- Human Trafficking के दो अड्डों पर एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) की बड़ी कार्रवाई
- मॉल के कैफे में नाबालिग जोड़े आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए
- निर्माणाधीन इमारत से चार युवतियाँ छुड़ाई गईं, जबरन देह व्यापार में झोंकी गई थीं
- पुलिस ने Human Trafficking में लिप्त छह आरोपियों को किया गिरफ्तार
- पीड़िताओं को लखनऊ और कोलकाता से लाकर देह व्यापार में धकेला गया
Human Trafficking की खौफनाक हकीकत उजागर
उत्तराखंड के काशीपुर शहर में Human Trafficking की भयावह सच्चाई एक बार फिर सामने आई है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) ने दो स्थानों पर छापेमारी कर देह व्यापार के संगठित रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय प्रशासन को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे प्रदेश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किस हद तक यह गंदा कारोबार फैल चुका है।
पहली छापेमारी: मॉल के कैफे में चल रहा था गंदा खेल
नाबालिग जोड़े आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े गए
AHTU को सूचना मिली थी कि बाजपुर रोड स्थित एक मॉल के अंदर एक कैफे में Human Trafficking का अवैध कारोबार चल रहा है। जब टीम ने छापा मारा, तो दो नाबालिग जोड़े आपत्तिजनक हालत में पाए गए। पूछताछ में सामने आया कि यह कैफे सिर्फ नाम का था, असल में यह युवाओं को यौन गतिविधियों में फँसाने का अड्डा बन चुका था।
दूसरी छापेमारी: निर्माणाधीन इमारत में देह व्यापार का अड्डा
चार युवतियों को मुक्त कराया गया
दूसरी बड़ी कार्रवाई रामनगर रोड पर स्थित एक निर्माणाधीन बिल्डिंग में हुई, जहाँ लंबे समय से देह व्यापार चल रहा था। AHTU की टीम ने छापेमारी कर वहाँ से चार युवतियों को मुक्त कराया। युवतियाँ डर और तनाव में थीं और उन्होंने बताया कि उन्हें Human Trafficking के ज़रिए लखनऊ और कोलकाता से लाकर जबरन इस धंधे में धकेला गया है।
Human Trafficking में संलिप्त छह आरोपी गिरफ़्तार
पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है—संजीव कुमार, सुधीर कुमार, सचिन, आदिल, सलमान और खालिद। पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये सभी Human Trafficking नेटवर्क का हिस्सा थे और लड़कियों को बहला-फुसलाकर या जबरन इस दलदल में लाते थे।
पीड़िताओं की आपबीती: “हमसे हमारा बचपन छीन लिया गया”
मुक्त कराई गई लड़कियों ने बताया कि उन्हें नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाया गया और फिर कैद कर लिया गया। एक पीड़िता ने कहा, “मुझे बताया गया था कि होटल में रिसेप्शन का काम है, लेकिन यहां आते ही मोबाइल छीन लिया गया और मजबूरन इस धंधे में डाल दिया गया।” यह Human Trafficking का एक स्पष्ट उदाहरण है जिसमें मासूम जीवन को बर्बाद कर दिया गया।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर सवाल
काशीपुर में इतने बड़े स्तर पर Human Trafficking का संचालन होना स्थानीय प्रशासन की नाकामी को उजागर करता है। यह घटना इस ओर इशारा करती है कि ऐसे रैकेट पुलिस और प्रशासन की आँखों के सामने फल-फूल रहे हैं। अब सवाल यह है कि कितनी और बच्चियाँ इस नेटवर्क में फँसी हुई हैं?
Human Trafficking के ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की ज़रूरत
कानून कड़ा है, पर लागू करने में लापरवाही
भारत में Human Trafficking के खिलाफ कड़े कानून हैं—जैसे कि भारतीय दंड संहिता की धारा 370 और POCSO एक्ट—but ground reality कुछ और ही कहती है। जब तक इन कानूनों को सख्ती से लागू नहीं किया जाएगा और दोषियों को जल्द सज़ा नहीं मिलेगी, तब तक इस अपराध पर लगाम लगाना मुश्किल होगा।
समाज की चुप्पी भी है ज़िम्मेदार
हर बार जब Human Trafficking का मामला सामने आता है, हम खबर पढ़कर आगे बढ़ जाते हैं। लेकिन यह चुप्पी भी अपराधियों को ताकत देती है। अगर हम चाहते हैं कि यह गंदा कारोबार खत्म हो, तो समाज को भी आवाज़ उठानी होगी।
केंद्र और राज्य सरकारों से अपेक्षा
इस घटना के बाद अब ज़रूरी हो गया है कि उत्तराखंड सरकार इस पर विशेष टास्क फोर्स बनाए और Human Trafficking के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करे। साथ ही, पीड़िताओं के पुनर्वास और काउंसलिंग की व्यवस्था भी की जाए।
कब रुकेगा Human Trafficking का यह खेल?
काशीपुर की घटना एक चेतावनी है कि Human Trafficking आज भी हमारे समाज में एक गंभीर संकट है। जब तक प्रशासन, समाज और कानून मिलकर इसके विरुद्ध निर्णायक कदम नहीं उठाएंगे, तब तक यह अमानवीय व्यापार मासूम ज़िंदगियों को निगलता रहेगा।