Human Sacrifice

पाखंड की बलिवेदी पर चढ़ा एक बेटा: विजयपुर में तंत्र क्रिया के नाम पर दी गई युवक की नरबलि

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हाइलाइट्स

  • Human Sacrifice के नाम पर मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में युवक की निर्मम हत्या
  • मृतक की पहचान अखिलेश कुशवाहा के रूप में, जो सतगुआ गांव का निवासी था
  • गांव विजयपुर के गोंड बाबा स्थल पर तांत्रिक अनुष्ठान के दौरान दी गई बलि
  • स्थानीय ग्रामीणों और पुलिस की सक्रियता से हुआ सनसनीखेज खुलासा
  • आरोपी तांत्रिक और उसके सहयोगियों की तलाश में छापेमारी जारी

गोंड बाबा की भूमि पर फैला अंधविश्वास का अंधेरा

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के चंदेरा थाना क्षेत्र के विजयपुर गांव से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां Human Sacrifice के नाम पर 30 वर्षीय युवक की बलि दिए जाने का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। मृतक की पहचान सतगुआ गांव निवासी अखिलेश कुशवाहा के रूप में की गई है।

घटना ने न सिर्फ पूरे जिले को हिला दिया है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 21वीं सदी में भी Human Sacrifice जैसे कृत्य ग्रामीण भारत के कुछ हिस्सों में जीवित हैं।

कैसे हुई घटना की शुरुआत?

पुलिस सूत्रों के अनुसार, विजयपुर गांव के पास स्थित गोंड बाबा के स्थान पर मंगलवार रात कुछ अज्ञात लोग एक धार्मिक अनुष्ठान के नाम पर जुटे थे। तंत्र-मंत्र, हवन और ढोल-नगाड़ों की आवाजें सुनकर ग्रामीणों को पहले तो यह सामान्य पूजा लगा, लेकिन सुबह जब अखिलेश कुशवाहा का खून से सना शव वहां पाया गया, तब पूरा गांव सन्न रह गया।

प्रथम दृष्टया पुलिस को यह मामला तांत्रिक अनुष्ठान में Human Sacrifice का प्रतीत हुआ। शव के पास कुछ हवन सामग्री, तांत्रिक किताबें और नींबू मिर्च आदि भी मिले।

पुलिस ने क्या पाया जांच में?

प्रारंभिक जांच में खुलासे:

  • शव पर धारदार हथियार से हमला होने के निशान
  • हाथ-पैर रस्सियों से बंधे हुए थे
  • सिर पर गहरी चोट और खोपड़ी का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त
  • घटनास्थल पर मिला तांत्रिक सामान

पुलिस ने इसे Human Sacrifice का मामला मानते हुए तांत्रिक बाबा और अनुष्ठान में शामिल संदिग्धों की तलाश शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, मृतक को धोखे से अनुष्ठान स्थल पर बुलाया गया था।

गांव में भय और आक्रोश का माहौल

घटना के बाद गांव विजयपुर और सतगुआ दोनों जगहों पर दहशत और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस पाखंडी हत्या में शामिल सभी लोगों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए और सख्त सजा दी जाए।

ग्रामीण रामदीन अहिरवार का कहना है,

“हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे गांव में कोई तांत्रिक किसी की जान ले सकता है। यह Human Sacrifice नहीं, सीधा-सीधा हत्या है।”

तांत्रिक अनुष्ठानों के पीछे की सच्चाई

भारत में आज भी कई अंधविश्वास तंत्र-मंत्र और बलि जैसे अमानवीय कृत्यों को धर्म का रूप देकर किए जाते हैं। Human Sacrifice जैसे मामलों में ज्यादातर तांत्रिक किसी लालच, भय या प्रभावशाली लाभ के लिए ऐसा कृत्य कराते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अशिक्षा, डर और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग जल्दी ही ऐसे पाखंडियों के जाल में फंस जाते हैं।

क्या कहता है कानून?

भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत Human Sacrifice जैसे कृत्य को संज्ञेय अपराध माना जाता है, और इसके लिए उम्रकैद या फांसी तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा:

  • तंत्र-मंत्र से जुड़ी धोखाधड़ी को IPC 420 के तहत अपराध माना जाता है
  • अगर नाबालिग की बलि दी जाए, तो POCSO एक्ट भी लागू होता है
  • राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर Witch-Hunting और Human Sacrifice पर रोक के लिए कानून बना चुकी हैं

प्रशासन की प्रतिक्रिया और कार्रवाई

टीकमगढ़ एसपी अजय भार्गव ने प्रेस को बताया:

“हमें जानकारी मिली थी कि विजयपुर गांव के पास एक युवक की बलि दी गई है। टीम ने तुरंत पहुंचकर जांच शुरू की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इस मामले में तांत्रिक समेत कई संदिग्धों की पहचान कर ली गई है।”

पुलिस ने गांव के कुछ संदिग्धों को हिरासत में लिया है और अन्य की तलाश के लिए टीमें गठित की गई हैं। साथ ही गोंड बाबा स्थल पर अब कड़ी निगरानी की जा रही है।

जनजागरूकता की आवश्यकता

इस तरह की घटनाएं साफ दर्शाती हैं कि अभी भी देश के कई कोनों में Human Sacrifice जैसे पाखंडी और अमानवीय कृत्य होते हैं। समाज के हर वर्ग, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में जनजागरूकता की सख्त जरूरत है।

शिक्षा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक जागरूकता ही इन बुराइयों को खत्म कर सकती है।

अखिलेश की मौत – एक परिवार की उजड़ी जिंदगी

अखिलेश कुशवाहा अपने माता-पिता का एकमात्र पुत्र था और दो छोटे बच्चों का पिता था। उसकी मौत ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। पत्नी लगातार बेहोश हो रही है और माता-पिता गहरे दुख में हैं।

“हमें हमारा बेटा लौटा दो, हमने क्या बिगाड़ा था किसी का?” — अखिलेश की मां की चीखें अब भी गांव के सन्नाटे को चीर रही हैं।

पाखंड से मुक्ति का समय

टीकमगढ़ की यह दिल दहला देने वाली घटना यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम सच में 21वीं सदी में जी रहे हैं? जब तक समाज में शिक्षा और वैज्ञानिक सोच नहीं आएगी, तब तक Human Sacrifice जैसे अंधविश्वास जीवित रहेंगे।

सरकार, प्रशासन, और समाज—तीनों को मिलकर ऐसे पाखंडियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे ताकि किसी और अखिलेश की बलि न दी जाए।

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