हाइलाइट्स
- बांग्लादेश के दिनाजपुर में एक Hindu woman पर दो इस्लामिक कट्टरपंथियों ने किया जानलेवा हमला
- पीड़िता निला रानी को पहले पीटा गया, फिर सिर पर बेरहमी से पैर रखकर कुचला गया
- घटना के बाद से स्थानीय हिंदू समुदाय में भय और आक्रोश का माहौल
- पुलिस ने एक आरोपी को किया गिरफ्तार, दूसरा अब भी फरार
- घटना ने 1947 में विभाजन के समय हुए निर्णयों पर फिर से बहस को जन्म दिया
निला रानी पर हमले से दहला बांग्लादेश: क्या अल्पसंख्यकों की सुरक्षा केवल कागज़ी आश्वासन है?
बांग्लादेश के उत्तर-पश्चिमी जिले दिनाजपुर में हाल ही में घटी एक वीभत्स घटना ने फिर से यह सवाल उठा दिया है कि क्या अल्पसंख्यकों, विशेषकर Hindu woman की सुरक्षा वास्तव में संभव है, या फिर ये केवल राजनीतिक भाषणों की शोभा मात्र हैं?
40 वर्षीय निला रानी, जो एक स्थानीय हिंदू महिला थीं, पर दो इस्लामिक कट्टरपंथियों ने उस समय हमला कर दिया जब वह अपने खेत की देखरेख कर रही थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, न केवल उन्हें पीटा गया, बल्कि हमलावरों ने उनके सिर पर पैर रखकर उन्हें बुरी तरह से कुचला।
हमले का विवरण: खेत से अस्पताल तक की दर्दनाक यात्रा
पीड़िता कौन हैं?
निला रानी एक साधारण Hindu woman थीं जो दिनाजपुर जिले के बिरगंज उपजिला में रहती थीं। वह अपने खेत में नियमित रूप से काम करती थीं और स्थानीय स्तर पर धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय थीं।
A Hindu woman, Nila Rani, is beaten senseless and then stomped on by 2 Islamist radicals in Dinajpur district of Bangladesh
Not doing a total population transfer was the worst mistake committed by the Indian ‘leadership’ in 1947.pic.twitter.com/SMeZRMjfbI
— HinduPost (@hindupost) July 24, 2025
हमला कैसे हुआ?
घटना 20 जुलाई को दोपहर के समय हुई। निला रानी खेत में थीं तभी दो युवक, जिनकी पहचान शहाबुद्दीन और मुन्ताज के रूप में हुई है, मोटरसाइकिल पर आए और उनके साथ झगड़ा करने लगे। झगड़े की वजह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमलावरों ने धार्मिक गालियाँ दीं और उन्हें ‘काफिर’ कहकर संबोधित किया।
हमले की क्रूरता
हमलावरों ने निला रानी को लाठी और पत्थर से पीटा। जब वह ज़मीन पर गिर गईं, तो उनमें से एक ने उनके सिर पर पैर रखकर दबाया। यह दृश्य इतना वीभत्स था कि वहां मौजूद कुछ ग्रामीणों को हस्तक्षेप करने में भी डर लग रहा था।
स्थानीय प्रतिक्रिया: भय, क्रोध और असहायता
हिंदू समुदाय में डर का माहौल
इस घटना ने पूरे दिनाजपुर क्षेत्र के हिंदू समुदाय में दहशत भर दी है। एक स्थानीय निवासी रमाकांत मिश्रा ने कहा,
“आज निला बहन के साथ हुआ है, कल किसी और Hindu woman के साथ होगा। हमारी बेटियां अब खेत या स्कूल जाने से डर रही हैं।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है जबकि दूसरा अभी भी फरार है। दिनाजपुर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मामला संवेदनशील है और त्वरित कार्रवाई की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई निला रानी को न्याय दिला पाएगी?
1947 की ऐतिहासिक गलती पर फिर बहस
इस बर्बर हमले ने एक बार फिर विभाजन के समय किए गए निर्णयों पर बहस छेड़ दी है। कई सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि पूरी जनसंख्या का स्थानांतरण (Population Transfer) 1947 में हुआ होता, तो इस तरह की घटनाएं टाली जा सकती थीं।
भारतीय इतिहासकार संजय चक्रवर्ती कहते हैं:
“हमने एक सेकुलर राष्ट्र की उम्मीद में लाखों हिंदू और मुस्लिमों को वहीं छोड़ दिया, लेकिन अब Hindu woman के साथ हो रही हिंसा यह बताती है कि वह फैसला शायद सबसे बड़ा ऐतिहासिक भ्रम था।”
क्या यह केवल एक घटना है या पैटर्न बन चुका है?
यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में किसी Hindu woman पर हमला हुआ हो। पिछले 5 वर्षों में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं जहां या तो बलात्कार हुआ, या धर्मांतरण के लिए प्रताड़ना दी गई, या फिर घरों को जला दिया गया।
संख्या बताती है भयावह सच्चाई
- 2022 में 79 हिंदू मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया
- 2023 में 110 से अधिक Hindu woman पर यौन हिंसा के मामले दर्ज
- 2024 में 17 से अधिक जबरन धर्मांतरण के केस
बांग्लादेश सरकार की भूमिका: वादे बनाम हकीकत
प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने बार-बार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का दावा किया है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। पीड़ितों को न तो न्याय मिलता है और न ही स्थायी सुरक्षा।
शेख हसीना का बयान
“हम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर चलते हैं। किसी भी अल्पसंख्यक के साथ अन्याय नहीं होने देंगे।”
पर सवाल यह है कि Hindu woman पर हुए इस बर्बर हमले को क्या यह बयान बदल सकता है?
मानवाधिकार संगठनों की चेतावनी
Human Rights Watch और Amnesty International जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन पहले भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर चिंता जता चुके हैं। अब उन्होंने इस घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
क्या समय आ गया है फिर से सोचने का?
निला रानी की दर्दनाक कहानी केवल एक Hindu woman की त्रासदी नहीं है, यह पूरी मानवता के लिए आईना है। क्या हम इस युग में भी धार्मिक कट्टरता के नाम पर किसी महिला को इस कदर कुचले जाने को चुपचाप देखेंगे?