हाइलाइट्स
- Hindu Religion in Danger: धार्मिक स्थलों पर अश्लीलता और अनैतिक गतिविधियों का बढ़ता चलन
- भगवान की भक्ति की जगह डीजे और नाच-गाना बना श्रद्धा का मजाक
- क्रिकेट और लट्ठबाजी से धामों की पवित्रता पर सवाल
- कुछ स्थानों पर खुलेआम शराब की बिक्री और हनीमून सेलिब्रेशन
- ‘5th Schedule’ लागू करने की मांग ने धार्मिक बहस को तेज कर दिया है
धार्मिक स्थलों पर सांस्कृतिक पतन: क्या Hindu Religion in Danger है?
भारत में Hindu Religion in Danger एक बार फिर से बहस का विषय बन चुका है। धार्मिक स्थल, जो कभी श्रद्धा, तपस्या और भक्ति का केंद्र हुआ करते थे, आज उनके स्वरूप में भयावह परिवर्तन देखा जा रहा है। मंदिरों और तीर्थस्थलों में अब DJ, डांस, शराब और हनीमून का बोलबाला देखने को मिल रहा है। यही नहीं, कई स्थानों पर क्रिकेट, लट्ठबाजी और अन्य अमर्यादित गतिविधियाँ भी आम होती जा रही हैं।
यह परिदृश्य केवल सांस्कृतिक क्षरण की ओर इशारा नहीं करता, बल्कि यह यह भी दिखाता है कि किस तरह भारतीय समाज की धार्मिक चेतना पर बाहरी प्रभाव हावी होते जा रहे हैं। क्या यही वजह है कि आज हर ओर गूंज रहा है – Hindu Religion in Danger?
जब आस्था के केंद्र बनते हैं अश्लीलता का अड्डा
DJ, डांस बार और शराब का कारोबार
मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, और बिहार के कई प्रसिद्ध मंदिर क्षेत्रों से रिपोर्ट सामने आई हैं जहां मंदिर परिसर के पास DJ बजाना, डांस बार की तर्ज पर नाच-गाना, और शराब की बिक्री आम हो गई है।
धार्मिक यात्रियों के अनुसार, कुछ युवा समूह पिकनिक की तरह इन स्थलों पर आते हैं, तेज़ आवाज़ में संगीत बजाते हैं और फिर वहीं डांस पार्टियाँ करते हैं। यह न केवल स्थानीय धार्मिक परंपरा का अपमान है, बल्कि इससे अन्य श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत होती हैं।
सवाल यही है – अगर यही चलता रहा, तो क्या Hindu Religion in Danger नहीं होगा?
क्रिकेट, लट्ठबाजी और हनीमून सेलिब्रेशन: मंदिर या मनोरंजन पार्क?
धाम में ईश्वर की भक्ति के अलावा सब कुछ हो रहा है- कोई DJ लगाकर डांस बार बना रहा है। कोई लट्ठबाजी कर रहा है, कोई क्रिकेट खेल रहा है, कोई दारू बेच रहा है, तो कोई हनीमून मना रहा है। सच में हिंदू धर्म खतरे में है।
धर्म की रक्षा के लिए 5th Schedule बेहद जरूरी है। pic.twitter.com/oNAvUhEUJq— Uttarakhand Ekta Manch (@uem4uk) July 5, 2025
पवित्रता से खिलवाड़
उत्तराखंड के एक प्रमुख धाम में कैमरे पर रिकॉर्ड हुआ दृश्य चौंकाने वाला था – मंदिर परिसर में कुछ युवा क्रिकेट खेलते हुए दिखाई दिए।
बिहार के एक मंदिर में, तीर्थयात्रियों के बीच लट्ठबाजी की घटनाएं हुईं, जो वायरल हो गईं। वहीं कुछ युवाओं ने मंदिर परिसर को ‘हनीमून डेस्टिनेशन’ की तरह इस्तेमाल किया। शादी के बाद नवविवाहित जोड़े वहाँ फोटोशूट्स कराते, मिठाई बाँटते और होटल्स में पार्टियाँ करते देखे गए।
यह सब दर्शाता है कि धार्मिक स्थलों की गरिमा को कम करने का एक सुनियोजित प्रयास हो सकता है। इससे एक ही प्रश्न उठता है – Hindu Religion in Danger?
धर्म की रक्षा का उपाय: क्यों जरूरी है ‘5th Schedule’?
क्या है 5th Schedule?
संविधान का 5th Schedule विशेष रूप से अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातीय इलाकों की स्वायत्तता और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य बाहरी हस्तक्षेप से इन क्षेत्रों की संस्कृति और सामाजिक संरचना को सुरक्षित रखना है।
अब कई धार्मिक संगठन और साधु-संत यह मांग कर रहे हैं कि प्रमुख हिंदू तीर्थस्थलों को 5th Schedule के तहत संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए, ताकि वहां की धार्मिक और सांस्कृतिक पवित्रता बनी रहे।
क्या यह समाधान है?
यदि धार्मिक स्थलों को 5th Schedule के तहत लाया जाता है, तो वहां पर DJ, शराब बिक्री, अश्लीलता, और अनैतिक गतिविधियों पर कानूनी रूप से प्रतिबंध लगाया जा सकेगा। यही कारण है कि इस विषय पर राष्ट्रव्यापी चर्चा चल रही है – और इसी संदर्भ में यह सवाल गूंज रहा है कि Hindu Religion in Danger है या नहीं?
युवाओं का दृष्टिकोण और सोशल मीडिया की भूमिका
वायरल ट्रेंड बनाम विरासत
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में युवा मंदिरों के बाहर रील्स बनाते, अश्लील गानों पर डांस करते और मंदिर के गर्भगृह तक मोबाइल ले जाते देखे गए हैं।
इन ट्रेंड्स को फॉलो करने वाले युवा यह भूल जाते हैं कि वे एक पवित्र भूमि में प्रवेश कर रहे हैं। जब आस्था का स्थान मनोरंजन का मंच बन जाए, तो यह धर्म का अपमान ही कहलाएगा। यही कारण है कि संत समाज और जागरूक नागरिक Hindu Religion in Danger को गंभीरता से ले रहे हैं।
धार्मिक संगठनों का गुस्सा और विरोध प्रदर्शन
संत समाज की चेतावनी
काशी, उज्जैन, हरिद्वार, और अयोध्या जैसे स्थलों में संत समाज ने खुलेआम चेतावनी दी है कि यदि इन पवित्र स्थलों की गरिमा को पुनः स्थापित नहीं किया गया, तो वे जन आंदोलन छेड़ देंगे।
हाल ही में हरिद्वार में एक संत सम्मेलन हुआ, जहां यह प्रस्ताव पारित हुआ कि ‘5th Schedule’ के अंतर्गत सभी प्रमुख मंदिर क्षेत्रों को लाया जाए।
क्या धर्म की रक्षा अब आंदोलन के बिना संभव है?
भारत एक धार्मिक देश है जहां हर कदम पर आस्था बसती है। लेकिन जब आस्था के स्थानों पर ही अनाचार और बाजारवाद का बोलबाला हो जाए, तो आत्ममंथन आवश्यक हो जाता है।
Hindu Religion in Danger केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – एक आह्वान है कि हमें अपनी संस्कृति, विरासत और धर्म की रक्षा स्वयं करनी होगी। 5th Schedule एक संवैधानिक उपाय हो सकता है, लेकिन उससे पहले जनचेतना की ज़रूरत है।