हाइलाइट्स
- भारी बारिश के चलते लखनऊ में सभी स्कूल 4 अगस्त को बंद रहेंगे
- रविवार रात से लगातार हो रही बारिश ने शहर की सड़कें जलमग्न कर दीं
- मौसम विभाग ने 36 घंटे के लिए यलो अलर्ट जारी किया
- जिला प्रशासन ने छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए स्कूल बंद करने का निर्णय लिया
- सोमवार को भी बारिश जारी रहने की संभावना, मंगलवार से थोड़ी राहत संभव
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रविवार रात से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार गिरती मूसलधार बारिश के चलते शहर के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति बन गई है। सोमवार सुबह तक हालात बद से बदतर हो गए, जिससे बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा हो गया। इसी को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने एहतियातन कदम उठाते हुए 4 अगस्त 2025 को कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है।
क्यों बंद हुए स्कूल?
बच्चों की सुरक्षा बनी प्राथमिकता
लखनऊ में बीते 24 घंटे के भीतर अब तक की सबसे अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। रविवार को 61.5 मिमी और अलीगंज में 40.4 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे निचले इलाकों में जलभराव की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई।
सड़कें नदियों में तब्दील हो गईं और वाहन रेंगते नजर आए। ऐसे में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक ने आदेश जारी किया कि यदि कोई छात्र पहले ही स्कूल के लिए रवाना हो चुका है, तो उसे सूचित कर तत्काल घर वापस भेजा जाए।
मौसम विभाग की चेतावनी
अभी थमेगी नहीं बारिश की रफ्तार
अमौसी स्थित मौसम विज्ञान केंद्र ने भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 24 से 36 घंटे तक लखनऊ, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई और आसपास के जिलों में भारी बारिश जारी रह सकती है। मौसम विभाग ने इस अवधि के लिए यलो अलर्ट घोषित किया है, जो नागरिकों को सतर्क रहने का संकेत देता है।
मानसून की ट्रफ लाइन बनी वजह
चक्रवाती परिसंचरण से बनी है गंभीर स्थिति
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस भारी बारिश की मुख्य वजह उत्तर की ओर खिसकी मानसून की ट्रफ लाइन, पश्चिमी विक्षोभ और एक सक्रिय चक्रवाती परिसंचरण है। वर्तमान में यह ट्रफ लाइन शामली, शाहजहांपुर और लखनऊ से होकर गुजर रही है, जिसके कारण वायुमंडल में लगातार नमी बनी हुई है और भारी बारिश का सिलसिला जारी है।
सोमवार को क्या रहा हाल?
सड़कों पर घंटों लगा रहा जाम
बारिश के चलते शहर की प्रमुख सड़कों जैसे हजरतगंज, आलमबाग, इंदिरा नगर, गोमती नगर और चौक इलाके में जलजमाव के कारण लंबा ट्रैफिक जाम देखने को मिला। राहगीर जहां तकलीफ में रहे, वहीं दोपहिया वाहन चालक फिसलन भरी सड़कों पर गिरते नजर आए।
नगर निगम की टीमें जल निकासी के प्रयास में जुटी रहीं, लेकिन नालियों की सफाई समय पर न होने के कारण स्थिति में खास सुधार नहीं हो पाया।
आगे क्या रहेगा मौसम का मिजाज?
मंगलवार से कुछ राहत संभव
मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार, सोमवार को भी भारी बारिश जारी रहेगी। हालांकि मंगलवार यानी 5 अगस्त से बारिश की तीव्रता में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन कहीं-कहीं पर अचानक तेज बारिश होने की संभावना बनी रहेगी। इसलिए आम जनता से अपील की गई है कि वे गैर-जरूरी यात्रा से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
प्रशासन ने उठाए ये कदम
कंट्रोल रूम सक्रिय, पंप लगाए गए
लखनऊ जिला प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए नगर निगम, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त बैठक बुलाई। आपदा राहत टीमों को सतर्क कर दिया गया है और जलमग्न इलाकों में ड्रेनेज पंप लगाकर पानी निकालने का कार्य शुरू कर दिया गया है।
साथ ही, कंट्रोल रूम नंबर 0522-XXX-XXXX पर आम नागरिक जलभराव, गिरते पेड़ या करंट के मामलों की सूचना दे सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
जलभराव रोकने की व्यवस्था नाकाफी
शहरी विकास विशेषज्ञ डॉ. संजय रावत का कहना है कि लखनऊ जैसे शहरों में हर साल भारी बारिश के समय जलभराव की समस्या सामने आती है। इसका मुख्य कारण अतिक्रमण और वर्षों से बंद नालों की सफाई न होना है।
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर स्मार्ट सिटी योजना के तहत जल निकासी प्रणाली को सही तरीके से अपडेट किया जाए, तो इस तरह की स्थिति को काफी हद तक टाला जा सकता है।
जनजीवन पर असर
स्कूल ही नहीं, ऑफिस आने-जाने में भी मुश्किल
जहां एक ओर भारी बारिश के कारण स्कूलों को बंद किया गया, वहीं सरकारी और निजी दफ्तरों में भी उपस्थिति कम देखी गई। कई कर्मचारी देर से पहुंचे या फिर वर्क फ्रॉम होम विकल्प अपनाया।
रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर भी यात्री फंसे नजर आए। लखनऊ जंक्शन और चारबाग स्टेशन पर कई ट्रेनें देरी से चलीं।
भारी बारिश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अभी भी हमारी शहरी व्यवस्थाएं पूरी तरह तैयार नहीं हैं। हालांकि प्रशासन ने स्कूलों को बंद कर एक संवेदनशील फैसला लिया है, लेकिन यह अल्पकालिक राहत है। दीर्घकालिक समाधान के लिए शहर को स्मार्ट और संवेदनशील ढांचे की जरूरत है, ताकि भारी बारिश जैसी आपदाओं में जनजीवन पटरी से न उतरे।