हाइलाइट्स
- शिक्षक के प्रताड़ना से तंग आकर छात्रा ने लगाई फांसी, स्कूल बना चुप्पी का हिस्सा
- मृतका की मां ने लगाया गंभीर आरोप: “गलत तरीके से छूते थे, आपत्तिजनक शब्दों का करते थे प्रयोग”
- घटना झारखंड के लातेहार जिले की, उत्क्रमित मध्य विद्यालय भूसूर में हुई शर्मनाक वारदात
- बच्ची कई दिनों से थी डरी-सहमी, ट्यूशन जाना भी कर दिया था बंद
- परिजनों को जब स्कूल जाने पर मिली गालियां, शिक्षक ने की अभद्रता
शिक्षक के प्रताड़ना ने छीनी एक मासूम की जिंदगी: झारखंड के स्कूल से उठी इंसाफ की चीख
झारखंड के लातेहार ज़िले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय भूसूर में एक शर्मनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। शिक्षक के प्रताड़ना से तंग आकर 13 वर्षीय छात्रा इमानी ने आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि पारा शिक्षक सत्येंद्र यादव द्वारा बच्ची के साथ आपत्तिजनक व्यवहार किया जा रहा था। वह न सिर्फ उसे गलत तरीके से छूता था, बल्कि अश्लील और अनुचित शब्दों का भी प्रयोग करता था। बच्ची ने यह सब सहते-सहते आख़िरकार खुद को फांसी के फंदे से लटकाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
मां ने खोली शिक्षक की करतूतों की परतें
बेटी के दर्द की गवाही बनी मां
इमानी की मां शिल्की देवी ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि बीते कुछ दिनों से उनकी बेटी गुमसुम और घबराई-सी रहती थी। ट्यूशन जाना भी उसने बंद कर दिया था। कई बार पूछने पर उसने बताया कि स्कूल में शिक्षक के प्रताड़ना ने उसका जीना दूभर कर दिया है। वह सत्येंद्र यादव के गलत स्पर्श और शब्दों से मानसिक रूप से टूट चुकी थी।
शिकायत पर भी नहीं मिली सुनवाई, मिला अपमान
मां ने बताया कि बेटी की बात सुनने के बाद वे स्कूल गईं और शिक्षक से इस मुद्दे पर बात करनी चाही। लेकिन शिक्षक सत्येंद्र यादव ने न केवल उन्हें भला-बुरा कहा, बल्कि अपमानजनक भाषा का प्रयोग करते हुए उन्हें स्कूल से भगा दिया।
शिक्षक के प्रताड़ना से तंग आकर छात्रा ने की आत्महत्या..!!🚨🚨
छात्रा की मां शिल्की देवी ने बताया कि विद्यालय के पारा शिक्षक सत्येंद्र यादव द्वारा उनकी बेटी को गलत तरीके से छूते थे, गलत शब्द के प्रयोग करने से वह आहत रहती थी !!
लातेहार में उत्क्रमित मध्य विद्यालय भूसूर की 13… pic.twitter.com/pp78VSYaWy
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) July 27, 2025
विद्यालय प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
स्कूल बना मौन दर्शक
घटना के बाद भी विद्यालय प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न तो कोई जांच कमेटी बनी और न ही पीड़ित परिवार से संवेदना जताई गई। इस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या शिक्षक के प्रताड़ना जैसे संगीन मुद्दे को दबाने की कोशिश की जा रही है?
स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता
स्थानीय प्रशासन की ओर से भी इस मामले पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। परिजनों का आरोप है कि FIR दर्ज कराने के लिए भी उन्हें घंटों इंतज़ार करना पड़ा।
मासूम बच्ची के आखिरी शब्द: ‘अब और नहीं सह सकती मां…’
सुसाइड नोट की तलाश
हालांकि अब तक कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, लेकिन बच्ची की मां ने बताया कि बेटी ने खुद कहा था—”अब और नहीं सह सकती, मैं टूट चुकी हूं मां।” इन शब्दों ने पूरे गांव और समाज को झकझोर कर रख दिया है।
गांव में आक्रोश, सामाजिक संगठनों ने की गिरफ्तारी की मांग
लोग सड़कों पर उतरे, स्कूल के बाहर प्रदर्शन
घटना के बाद से गांव में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन कर शिक्षक के प्रताड़ना के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। कई सामाजिक संगठनों ने आरोपी शिक्षक की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
क्या कहता है कानून: POCSO एक्ट के तहत हो सकती है कड़ी सज़ा
यदि शिक्षक पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो उस पर POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) Act के तहत कठोर कार्रवाई हो सकती है। यह कानून बच्चों के साथ किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न, उत्पीड़न और छेड़छाड़ को गंभीर अपराध मानता है, जिसमें 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
मनोवैज्ञानिक क्या कहते हैं?
बच्चे का व्यवहार हो सकता है चेतावनी संकेत
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई बच्चा अचानक चुपचाप हो जाए, स्कूल या ट्यूशन जाना बंद कर दे, या डरने लगे तो यह संकेत हो सकता है कि वह किसी मानसिक प्रताड़ना या यौन उत्पीड़न से गुजर रहा है। शिक्षक के प्रताड़ना जैसे मामलों में अभिभावकों को बच्चे की हर गतिविधि पर सतर्क रहना चाहिए।
सरकार से मांग: बने विशेष जांच टीम, हो समयबद्ध न्याय
झारखंड सरकार से मांग की जा रही है कि इस मामले में विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाए ताकि पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिल सके।
कब तक मासूमों को निगलता रहेगा ये ‘शिक्षक का चोला’?
शिक्षक का काम है ज्ञान देना, मार्गदर्शन करना—not प्रताड़ित करना। जब शिक्षक के प्रताड़ना जैसे मामले सामने आते हैं, तो पूरा शिक्षा तंत्र कलंकित होता है। सवाल यह नहीं कि एक शिक्षक ने ऐसा किया, सवाल यह है कि बाकी सब चुप क्यों रहे?