हाइलाइट्स
- Gujarat Bridge Collapse में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि, कई लापता
- घटना स्थल पर NDRF की टीमें तैनात, रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी
- 40 साल पुराना पुल पिछले साल ही हुआ था मरम्मत के बाद शुरू
- स्थानीय प्रशासन और इंजीनियरिंग विभाग की भूमिका पर उठ रहे सवाल
- घटना के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए, मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा
Gujarat Bridge Collapse: हादसे ने फिर जगाई बुनियादी ढांचे की असलियत
गुजरात के मोरबी ज़िले में सोमवार को हुआ Gujarat Bridge Collapse हादसा एक बार फिर भारत में आधारभूत संरचना (infrastructure) की खस्ता हालत को उजागर करता है। इस हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल हैं। NDRF और स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव कार्य में जुटा है।
घटना की पूरी जानकारी
हादसा सोमवार शाम करीब 6:30 बजे हुआ जब स्थानीय नागरिक और पर्यटक पुल पर चल रहे थे। अचानक ही लोहे की संरचना तेज़ आवाज़ के साथ ढह गई और पुल पर मौजूद दर्जनों लोग नीचे गिर गए।
पुल, जो कि 1985 में बना था, की मरम्मत पिछले वर्ष ही पूरी की गई थी। इसके बावजूद इसका गिरना कई सवाल खड़े कर रहा है।
पुल की हालत पर पहले भी उठ चुके थे सवाल
मरम्मत के बाद बिना निरीक्षण खोला गया पुल?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि मरम्मत के बाद पुल को बिना किसी गहन तकनीकी जांच के आम जनता के लिए खोल दिया गया था।
एक निवासी ने बताया,
“हमने कई बार प्रशासन से कहा था कि पुल की हालत ठीक नहीं है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।”
इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही को लेकर जनता में आक्रोश है। कई सामाजिक संगठनों ने कहा कि Gujarat Bridge Collapse प्रशासन की असंवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी का नतीजा है।
जांच और जवाबदेही पर सवाल
सरकार ने दिए जांच के आदेश
गुजरात सरकार ने उच्च स्तरीय समिति बनाकर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की सहायता देने की घोषणा की है।
Gujarat Bridge Collapse के बाद संबंधित ठेकेदार और इंजीनियरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर #JusticeForVictims और #BridgeCollapse ट्रेंड कर रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विपक्ष का हमला
Update : 10 Dead in the #Gujarat Bridge Collapse. Search & Rescue Ops Continue. The 40 yr old bridge was repaired only last year !
100 % Apathy , 0 % Accountability. pic.twitter.com/LIZsLBcPCV
— Shreya Dhoundial (@shreyadhoundial) July 9, 2025
विपक्ष ने सरकार की आलोचना की
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा:
“एक बार फिर जनता की जान के साथ खिलवाड़ हुआ है। सरकार जवाब दे कि पुल की मरम्मत के बाद सुरक्षा जांच क्यों नहीं हुई?”
आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने इसे “100% लापरवाही और 0% जवाबदेही” करार दिया।
रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति
NDRF और स्थानीय प्रशासन कर रहा प्रयास
अब तक 10 शव बरामद किए जा चुके हैं और लगभग 30 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। स्थानीय अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है।
Gujarat Bridge Collapse के बाद घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल, एंबुलेंस, और राहत टीमें मौजूद हैं।
पिछले पुल हादसों की पुनरावृत्ति
यह पहली बार नहीं है जब किसी पुराने पुल के गिरने से जानमाल का नुकसान हुआ है।
वर्ष | स्थान | मृतक संख्या | कारण |
---|---|---|---|
2016 | कोलकाता | 27 | निर्माण के दौरान ढहना |
2022 | मोरबी, गुजरात | 135 | केबल टूटना |
2025 | अहमदाबाद (वर्तमान) | 10 | मरम्मत के बाद फिर से ढहना |
हर बार की तरह इस बार भी जांच के आदेश और मुआवजे की घोषणा हो रही है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं दिखता।
समाज की जिम्मेदारी और आगे का रास्ता
Gujarat Bridge Collapse सिर्फ एक तकनीकी चूक नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक उदासीनता और निगरानी तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है।
सवाल यह है:
- क्या भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकेंगी?
- क्या मरम्मत के बाद पुलों की नियमित जांच होगी?
- क्या दोषियों को सज़ा मिलेगी या फिर मामले को दबा दिया जाएगा?
कब जागेगा सिस्टम?
Gujarat Bridge Collapse ने एक बार फिर साबित किया है कि बुनियादी ढांचे की मजबूती सिर्फ कागजों में है। ज़मीन पर असलियत कुछ और ही है। अब वक्त है जब सरकार को अपनी प्राथमिकताओं को पुनः परिभाषित करना होगा और सार्वजनिक सुरक्षा को सबसे ऊपर रखना होगा।