क्लास में पढ़ाई चल रही थी… और अचानक टपका मौत का साया! गोरखपुर स्कूल हादसे ने मचा दी सनसनी

Latest News

हाइलाइट्स

  • गोरखपुर स्कूल हादसा: सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान बच्चों पर गिरा छत का प्लास्टर
  • एक छात्र के सिर पर गंभीर चोट, मौके पर मचा हड़कंप
  • स्कूल की जर्जर हालत के बावजूद विभाग की अनदेखी
  • शिक्षकों और अभिभावकों ने जताई नाराजगी, जांच की मांग तेज
  • हादसा किसी मंत्री या अधिकारी के बच्चे के साथ नहीं हुआ, इसलिए प्रशासन अब तक चुप

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से एक बेहद चिंताजनक मामला सामने आया है, जहाँ एक सरकारी स्कूल की जर्जर छत का प्लास्टर अचानक गिर पड़ा और एक मासूम छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। यह गोरखपुर स्कूल हादसा न केवल शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि उन बच्चों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है, जो हर दिन जान हथेली पर रखकर स्कूल आते हैं।

प्लास्टर गिरने से छात्र गंभीर रूप से घायल

यह गोरखपुर स्कूल हादसा उस समय हुआ जब कक्षा चल रही थी। बच्चे अपने शिक्षक के साथ पढ़ाई में व्यस्त थे कि तभी अचानक छत का एक बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर गया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, एक छात्र के सिर पर सीधा प्लास्टर गिरा, जिससे वह लहूलुहान हो गया। बच्चों की चीख-पुकार सुनकर शिक्षक दौड़े और घायल छात्र को प्राथमिक चिकित्सा के लिए पास के सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया।

बच्चों में दहशत का माहौल

हादसे के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई। बाकी बच्चे सहमे हुए हैं और उनके अभिभावक भी गुस्से में हैं। इस गोरखपुर स्कूल हादसे ने छात्रों और अभिभावकों की नींद उड़ा दी है। सवाल ये उठता है कि क्या सरकारी स्कूलों में बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं?

जर्जर भवन की पहले से थी शिकायत

स्थानीय लोगों और शिक्षकों का कहना है कि स्कूल भवन की हालत काफी समय से खराब थी। कई बार विभागीय अधिकारियों को इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस गोरखपुर स्कूल हादसे के बाद अब सवाल उठता है कि आखिर कब तक इस तरह की अनदेखी बच्चों की जान पर भारी पड़ती रहेगी?

“अगर किसी अफसर का बच्चा होता तो अब तक जांच बैठ गई होती”

एक स्थानीय अभिभावक ने नाराजगी जताते हुए कहा, “अच्छी बात ये है कि यह हादसा किसी मंत्री या अधिकारी के बच्चे के साथ नहीं हुआ। वरना अब तक जिले में हड़कंप मच चुका होता। लेकिन आम लोगों के बच्चे हैं, इसलिए विभाग सो रहा है।”

यह बयान इस गोरखपुर स्कूल हादसे के बाद शिक्षा व्यवस्था की असलियत को बयां करता है।

शिक्षा के मंदिर या जानलेवा भवन?

सरकारी स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, लेकिन जब इन मंदिरों की छतें ही बच्चों पर गिरने लगें, तो सवाल उठना लाजमी है। यह गोरखपुर स्कूल हादसा सिर्फ एक इकलौता मामला नहीं है। प्रदेश भर के कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहाँ भवन की स्थिति भयावह है। दीवारों में दरारें, छत से टपकता पानी, और सीलन भरे कमरे बच्चों की पढ़ाई ही नहीं, उनकी जान के लिए भी खतरा हैं।

प्रशासन की चुप्पी खतरनाक

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस गोरखपुर स्कूल हादसे के 24 घंटे बाद तक भी किसी भी बड़े अधिकारी ने स्कूल का दौरा नहीं किया है। न ही कोई जाँच कमेटी गठित की गई है, न ही भवन की मरम्मत को लेकर कोई निर्देश जारी किए गए हैं।

क्या प्रशासन किसी बड़ी त्रासदी का इंतज़ार कर रहा है?

सामाजिक संगठन आए आगे

गोरखपुर स्कूल हादसा के बाद कई सामाजिक संगठनों ने मौके पर पहुँचकर स्थिति का जायज़ा लिया और ज़िम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की। ‘शिक्षा अधिकार मंच’ नामक एक स्थानीय संगठन के संयोजक आदित्य पांडेय ने कहा, “यह हादसा लापरवाही नहीं बल्कि बच्चों के जीवन के साथ किया गया अपराध है। हम जल्द ही ज़िला अधिकारी को ज्ञापन देंगे और स्कूल भवनों के सर्वे की माँग करेंगे।”

बच्चों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसकी?

इस सवाल का जवाब प्रशासन को देना होगा। हर साल शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट पास होता है, लेकिन उसका कितना हिस्सा बच्चों की वास्तविक ज़रूरतों पर खर्च होता है, यह गोरखपुर स्कूल हादसा बताने के लिए काफी है।

आगे क्या?

इस हादसे के बाद स्कूल को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। घायल छात्र की हालत अब स्थिर बताई जा रही है, लेकिन डर अभी बाकी बच्चों और उनके अभिभावकों के मन में गहराई तक बैठ चुका है।

स्थानीय विधायक ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि स्कूल भवन की तत्काल मरम्मत कराई जाए और ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। हालांकि, अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

गोरखपुर स्कूल हादसा एक चेतावनी है। यह सिर्फ एक छात्र का सिर फटने की घटना नहीं, बल्कि सरकार, शिक्षा विभाग और प्रशासन की सोई हुई संवेदनशीलता का प्रतीक है। बच्चों की सुरक्षा कोई ‘विकल्प’ नहीं बल्कि ‘प्राथमिकता’ होनी चाहिए। यदि समय रहते नहीं चेता गया, तो अगली बार हादसा और भी गंभीर हो सकता है — शायद ऐसा, जिसे कोई भूल न पाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *